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श्रेष्ट आचरण ही पूज्यता को प्राप्त होता हैआचर्य श्री 108 सुबल सागर जी महाराज

चड़ीगढ़ दिगम्बर जैन महावीर मंदिर में रविवारीय धर्म सभा को संबोधित करते हुए गुरू महाराज कह रहे हैं। हे भव्य प्राणियों ! इस संसार में पूज्य व्यक्ति कौन है? तो कहा है, जिस व्यक्ति का चरित्र श्रेष्ठ है, वही पूज्य है। चरित्र से तात्पर्य आचरण अर्थात् जिस पथ पर चलकर हमारे भगवान, भगवान बने उसी पथ पर हम भी चलकर पूज्य बन सकते है। हमारे-पूर्व के तीर्थंकर जिस मार्ग पर चले हैं उसी मार्ग पर हम भी अपने चरण बढ़ाते हुए उनके समान आचरण को प्राप्त कर सकते है यही आचरण श्रेष्ठ है। और तीनों लोकों में लोगों के द्वारा पूज्य है। जो सिद्धान्त,  नियम संयमादि बताया है हम भी उन्हीं सिद्धान्तों नियम आदि को धारण कर मोक्ष सुख को प्राप्त कर सकते है।
               जिसका आचरण समीचीन है, शुद्ध है वह आत्मा पूज्य है। उसका शरीर भी पूज्य है। सम्यक चारित्र को पालन करने वाले का ज्ञान भी सम्यग्ज्ञान होता है और श्रद्धा भी सम्यक् होती है। जिसने सम्यक् चारित्र का पालन किया, उसकी ही आराधना की है, उसने नियम से दर्शन और ज्ञान की आराधना भी कर ली। इसलिए इस संसार में चारित्र पूज्य है।
                कभी भी चारित्रवान् की निंदा नहीं करना। पूज्य पूजा के ही योग्य होते हैं निंदा के नही। सूरज के ऊपर थुकोगे, वह थूक थूकने वालों के ऊपर ही गिरता है, उसी प्रकार निंदा करने वालों को ही स्वयं के भावों से पाप बंध होता है और निंदा ही मिलती है। 
                 चारित्र के धनी आचार्य सुबलसागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में 151 जोड़ों के द्वारा पडगाहन हुआ। चंडीगढ़ चातुर्मास में फिर से रचेगा नया इतिहास। गुरुरेव को आहार दान देकर सतिशय पुण्य को प्राप्त करेंगे। क्योंकि इसी आहार दान की अनुमोदना करने वाले तिर्यंच गति के चार जीव जिनको आहार देने की पात्रता नहीं होने के कारण मात्र आहार देते हुए देखकर श्रद्धा से प्रसन्न होकर इतना पुण्य संचय 'किया कि उस पर्याय से विदा होकर वह सिंह का जीव भरत चक्रवर्ती हुआ, सूअर का जीव बाहुबली हुआ और नेवला, सर्प का जीव भरत चक्रवर्ती के मंत्री और सेनापति हुए। फिर हम तो मनुष्य है हममें पात्रता भी है आहार दान देने की, इसके साथ ही साथ पूर्ण श्रद्धान भी है कि इन चारित्र को धारण करने वाले गुरूदेवों के अलावा कोई भी इस धरती पर  पूज्य नहीं है।  हम उनकी पूजा भक्ति करके एक दिन हम भी पूज्य-पनों को प्राप्त कर लेगें। 

किसी ने कहा है अर्थात:-
                   If wealth is lost nothing is lost.यदि धन नष्ट हो जाये तो, समझो कुछ नही गया।
                    If health, is lost something is lost.स्वास्थ्य गया तो,समझो कुछ खो गया।
                  If character, is lost everything is lost.और यदि चरित्र चला जाये तो, समझो सब कुछ चल गया।

यह जानकारी संघत संघस्थ बाल ब्र. गुंजा दीदी एवं श्री धर्म बहादुर जैन जी ने दी।

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