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रेगुलराइजेशन पालिसी व समान कार्य समान वेतन की मांगों को लेकर आल कांटरैकचुअल कर्मचारी संघ ने मस्जिद ग्राउंड में गांधी जयंती पर किया एक दिन का उपवास

चंडीगढ़ :  मांगों के समर्थन में चंडीगढ़ प्रशासन की निर्णय लेने की अक्षमता व शासन की राजनीतिक इच्छा न होने से चंडीगढ़ के कांट्रैक्ट व आउटसोर्सिंग वर्कर्स को गांधी जयंती पर सत्याग्रह करने के लिए  मजबूर होना पड़ा।आल कांटरैकचुअल कर्मचारी संघ‌ भारत की मुख्य कार्यकारिणी ने मस्जिद ग्राउंड में एक दिन का अनशन किया । उनकी मांग थी कि चंडीगढ़ प्रशासन, म्युनिसिपल कार्पोरेशन व पीजीआई में कांट्रैक्ट कर्मचारियों के लिए रेगुलराइजेशन पालिसी बनाई जाए व आऊटसोर्सिंग व एन एच एम , डायरेक्ट डीसी रेट वर्कर्स को समान कार्य  समान वेतन दिया जाए ।
प्रधान अशोक कुमार ने बताया कि चंडीगढ़ में कांट्रैक्ट इम्प्लाइज व आऊटसोर्सिंग वर्कर्स को लेकर कोई निर्धारित पालिसी नहीं है। यूटी प्रशासन के कई विभागों में वर्षों से स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है। कांट्रैक्ट नियुक्ति को लेकर भी कोई नियम निर्धारित नहीं है। चंडीगढ़, म्युनिसिपल कार्पोरेशन व पीजीआई में कांट्रैक्ट व आउटसोर्सिंग पर छह महीने से लेकर तीन वर्ष यहां तक कि विभागों में 20 -25 वर्षों से कांट्रैक्ट या  आऊटसोर्सिंग पर कर्मचारी काम कर रहे हैं।*

*महासचिव शिव मूरत ने कहा कि हाल ही में मिनिस्ट्री की तरफ से कांट्रेक्ट पर नियुक्तियों को खाली माने जाने के लेटर के बाद से ही यूटी प्रशासन हरकत में आया था  तथा मामले में कई मीटिंग का दौर भी चला, लेकिन  हमेशा की तरह यूटी प्रशासन इस मामले में कोई स्टैंड नहीं ले सका और फाइल मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स को भेजी गई है परन्तु प्रशासन ने पड़ोसी राज्यों की तरह कांट्रैक्ट इम्प्लाइज के नियमितीकरण पर कभी भी ध्यान नहीं दिया । चंडीगढ़ प्रशासन पिछले  कई वर्षों से सैंक्शन पोस्टों पर इन कांट्रैक्ट इम्प्लाइज को नियमित भर्तियों की तरह ही नियुक्ति कर सरकारी खजाने से तनख्वाह दे रहा है । हाल ही में यूटी के सभी रेगुलर और कांट्रेक्ट पदों को लेकर रिव्यू किया गया था। यूटी प्रशासन में दो वर्ष से मंजूर, लेकिन रिक्त पदों के बारे में पूरी जानकरी मांगी गई थी जिसमें कांट्रैक्ट पर नियुक्ति को रिक्त माना गया है। इस फैसले से तुरंत कांट्रैक्ट कर्मचारियों की नौकरी खतरे में आ गई। यूटी के एजुकेशन (स्कूल- कालेज), इंजीनियरिंग और हेल्थ विभाग में सबसे अधिक कांट्रैक्ट कर्मचारी कार्यरत हैं। इन सभी विभागों में  1500 से अधिक कांट्रैक्ट पर नियुक्तियां हैं, जिसमें असिस्टेंट प्रोफेसर, लेक्चरर, डाक्टर, इंजीनियर तथा शिक्षक, क्लर्कों से लेकर दूसरे कर्मचारी भी शामिल हैं ।

चेयरमैन बिपिन शेर सिंह ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन केंद्र व पंजाब रूल्स की संवैधानिक विसंगति के तराजू में कर्मचारियों को अपनी मनमर्जी से तोलता आ रहा है जिसके कारण कर्मचारियों को कोर्टों का सहारा लेना पड़ता है ।

चंडीगढ़ प्रशासन अपनी मनमानी से कहीं पंजाब , कहीं केंद्र कहीं कोर्टों की भी अनसुनी करता है ।।‌जिसके कारण कर्मचारियों के शहर में उनका अस्तित्व बाबूगिरी  व अफसरशाही तले रौंदा जा रहा है।

चंडीगढ़ प्रशासन, म्युनिसिपल कार्पोरेशन व पीजीआई के विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने चंडीगढ़ में कांट्रैक्ट कर्मचारियों के लिए रेगुलराइजेशन पालिसी व आउटसोर्सिंग,एन एच एम व डायरेक्ट डीसी रेट वर्कर्स के लिए समान कार्य समान वेतन जैसी मांगों के समर्थन में किए जा रहे सत्याग्रह में शामिल हो कर सहयोग व समर्थन दिया ।

आल कांटरैकचुअल कर्मचारी संघ भारत यूटी चंडीगढ़ ने शासन व चंडीगढ़ प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि भविष्य में अगर रेगुलर भर्तियों की आड़ में 20- 25 वर्षों से सैंक्शन पोस्टों पर कार्यरत कांट्रैक्ट इम्प्लाइज व आऊटसोर्सिंग वर्कर्स को निकाला गया तो अपनी  नौकरी बचाने के लिए चंडीगढ़ के लगभग 25000 कर्मचारियों को सड़कों पर उतर आने को मजबूर होना पड़ेगा ।*


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