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जम्मू-कश्मीर में पिछले चार वर्षों में शांति और विकास के नए युग की हुई शुरुआत: लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने कहा

श्रीनगर: कश्मीर सदियों से सूफीवाद और सांप्रदायिक सद्भाव की संस्कृति की भूमि रहा है जहाँ सदियों से, सद्भावना और भाईचारे की भावना पनप रही है। कश्मीर की सह-अस्तित्व की विरासत भी सदियों पुरानी है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में यह आतंकवाद से ग्रस्त हो गया था परन्तु अब कश्मीर बदल रहा है, जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर, मनोज सिन्हा ने शनिवार को शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी), श्रीनगर में इंडियन मीनिओरिटी फाउंडेशन (आईएमएफ) द्वारा 'सूफीवाद और कश्मीरियत: शांति और सद्भाव की मिसाल' पर आयोजित सद्भावमा सम्मेलन में बोलते हुए कहा।
अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पहली बार शनिवार (28 अक्टूबर) को श्रीनगर में सभी मुस्लिम संप्रदायों के नेता बड़ी संख्या में एक मंच पर आए और जम्मू-कश्मीर की छवि बदलने और यूटी के लिए  विकास के नए रास्ते खोलने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की। 
सुन्नी , शिया, सूफी, दाऊदी बोहरा, पसमांदा मुसलमानों और गुज्जर-बक्करवालों सहित विभिन्न मुस्लिम समुदायों के धार्मिक नेताओं ने पिछले तीन दशकों के दौरान आतंकवाद से ग्रस्त क्षेत्र में शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए पीएम मोदी की सराहना की। उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों के दौरान घाटी में विकास के नए रास्ते खुले हैं। पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर के सामाजिक-आर्थिक विकास को गति मिली है।
जम्मू-कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों से ये नेता शनिवार को श्रीनगर के प्रतिष्ठित शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में सूफीवाद और कश्मीरियत पर इंडियन माइनॉरिटी फाउंडेशन (आईएमएफ) द्वारा आयोजित सद्भावना सम्मेलन के दौरान एक साथ आए थे । कश्मीर में सांप्रदायिक सद्भाव, आतिथ्य, शांति, सहिष्णुता की परंपरा  सदियों पुरानी है और इस सम्मलेन में वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला गया।
लेफ्टिनेंट गवर्नर, मनोज सिन्हा सम्मेलन के मुख्य अतिथि के रूप शामिल हुए थे जो कश्मीर में सांप्रदायिक सद्भाव, आतिथ्य, शांति, सहिष्णुता और आपसी तालमेल की सदियों पुरानी परंपरा पर प्रकाश डालने के लिए 'सूफीवाद और कश्मीरियत: शांति और सद्भाव की मिसाल' विषय पर आयोजित किया गया था। “कश्मीर की संस्कृति अद्वितीय रही है तथा शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की परंपरा अनुकरणीय एवं अनूठी रही है ”उन्होंने कहा।
सद्भाव सम्मेलन में सभी मुस्लिम संप्रदायों के धार्मिक नेताओं, विद्वानों, शिक्षाविदों, छात्रों, व्यापार और पर्यटन संघों के प्रतिनिधियों, व्यापारियों, किसान संघों और विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भारी संख्या में भाग लिया। 
आईएमएफ के संयोजक सतनाम सिंह संधू सहित आईएमएफ के अन्य प्रतिनिधि और डॉ. मौलाना सैयद कल्बे रुशैद रिज़वी, सूफी इस्लामिक बोर्ड के अध्यक्ष मंसूर खान, कश्मीर के एक प्रमुख मौलवी और धार्मिक संगठन तहरीक ए सौतुल औलिया के प्रमुख मौलाना अब्दुल रशीद दाऊदी, चिश्ती फाउंडेशन के अध्यक्ष और धार्मिक उपदेशक सैयद सलमान चिश्ती, और आदिवासी और गुज्जर कार्यकर्ता और जम्मू-कश्मीर गुज्जर बकरवाल युवा सम्मेलन के अध्यक्ष जाहिद परवाज़ चौधरी मौजूद रहे l 

जम्मू-कश्मीर के मुख्य अतिथि, लेफ्टिनेंट गवर्नर जनरल मनोज सिन्हा ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कश्मीर ने हाल के वर्षों में एक बड़ा बदलाव देखा है जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में अभूतपूर्व स्तर पर परिवर्तन हुआ है। “जम्मू और कश्मीर एक पवित्र भूमि है जहाँ विभिन्न धर्म और संस्कृतियाँ फली-फूली हैं। लेकिन दुर्भाग्य से, पिछले तीन दशकों में, यह भूमि हिंसा और आतंकवाद से ग्रस्त रही, जिसमें हमारे पड़ोसी देश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने घाटी में अमन और शांति को भंग करने की असफल कोशिश की। हालाँकि, जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के योगदान से, अब कश्मीर में बड़े बदलाव देखे जा रहे हैं।'
उन्होंने कहा, ''कोई भी क्षेत्र शांति के बिना विकसित और समृद्ध नहीं हो सकता है । हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने अथक प्रयासों से कश्मीर घाटी को विकास करके बदल दिया है। हड़तालों का वह समय, जिससे स्कूल, कॉलेज, कारोबार प्रभावित होते थे, अब खत्म हो चुका है। पत्थरबाजी अब पुरानी बात हो गई है. यहां का हर नागरिक अपनी मर्जी से अपनी जिंदगी का लुत्फ उठा रहा है। कश्मीर में पुराने अच्छे दिन लौट आए हैं और हिंसा और आतंकवाद का युग ख़त्म हो गया है।  अब यह सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि शांति और समृद्धि का यह युग हमेशा चलता रहे और कश्मीर के प्रत्येक नागरिक को 'अमृत काल' के दौरान देश के विकास में योगदान देना चाहिए।
मनोज सिन्हा ने कहा, “ऐसे कई तत्व हैं जो हमें विभाजित करने की कोशिश कर सकते हैं लेकिन हमें शांति और मानवता के लिए दृढ़ संकल्पित रहना चाहिए। हम एक ऐसे देश में रहते हैं जहां धर्म, जाति या किसी अन्य चीज के आधार पर कोई विभाजन नहीं किया जाता है।  यहाँ सभी समान है।  भारत 140 करोड़ भारतीयों का परिवार हैं और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस परिवार में शांति बनी रहे।  
उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि जम्मू-कश्मीर नई ऊंचाइयों को छूते हुए विकास की नई कहानियां लिख रहा है। “पीएम मोदी ने हमें 2047 तक विकसित भारत का दृष्टिकोण दिया है और हम इस लक्ष्य की ओर बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर भी इस दृष्टिकोण में बहुत योगदान दे रहा है और मुझे यकीन है कि भविष्य में जम्मू-कश्मीर का योगदान अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से अधिक होगा।  
लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने यह भी कहा कि वर्तमान सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि उसकी कल्याणकारी योजनाओं और नीतियों का लाभ देश के हर कोने  तक पहुंचे। “2014 के बाद, सरकार ने यह सुनिश्चित  किया है कि सभी लोग योजनाओं और नीतियों से लाभान्वित हों और नागरिक किसी भी योजना के लाभ से वंचित न रहे। हमारी शासन व्यवस्था में भेदभाव का कोई स्थान नहीं है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत 33% धनराशि मुस्लिम समुदाय के किसानों को आवंटित की गई है जबकि पीएम मुद्रा योजना के तहत कुल लाभार्थियों में से 36% मुस्लिम समुदाय के हैं। 

उन्होंने यह भी कहा, ''केंद्र सरकार की नौकरियों में अल्पसंख्यक समुदायों का प्रतिशत 2014 से पहले 5 प्रतिशत से भी कम था, परन्तु वह अब 10% से भी अधिक हो गया है।   वर्तमान सरकार ने तुष्टिकरण की राजनीति के बजाय यह सुनिश्चित किया है कि अल्पसंख्यक समुदायों का सामाजिक-आर्थिक उत्थान हो। हुनर हार्ट और उस्ताद जैसी योजनाओं ने अल्पसंख्यक समुदायों के पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को स्वरोजगार, बाजार और अवसर प्रदान करने और पारंपरिक कला की उनकी समृद्ध विरासत को संरक्षित करने में काफी मदद की है।
कश्मीर के एक प्रमुख मौलवी और 'तहरीक ए सौतुल औलिया'(एक धार्मिक संगठन), के प्रमुख मौलाना अब्दुल रशीद दाऊदी ने कहा कि मानवता सबसे पहले आती है। “पैगंबर मुहम्मद (SAW) ने कहा है कि तुममें से सबसे अच्छे वे लोग हैं जो दूसरों की भलाई करते हैं। यह मानवता और दूसरों के प्रति प्रेम का संदेश है।' सूफीवाद शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और करुणा की विचारधारा भी है। उन्होंने कहा कि तसव्वुफ़ (सूफी बनना) का अर्थ है स्वयं की शुद्धि करना और अच्छे चरित्र का पालन करना । सूफीवाद ने हमेशा शांति की विचारधारा का पोषण किया है जहां हर कोई समान है। इसीलिए हम देखते हैं कि हर कोई बिना किसी धार्मिक रोक-टोक के सूफी संतों की दरगाहों पर जाता है।”
उन्होंने सूफीवाद की शिक्षाओं को उजागर करने के लिए इस तरह के सम्मेलन के आयोजन के लिए आईएमएफ कन्वीनर सतनाम सिंह संधू को धन्यवाद देते हुए कहा “कश्मीर संतों की घाटी रही है और हमारी धरती ने सदियों से सूफीवाद को पोषित किया है। सूफी संतों ने शांति और सद्भाव का संदेश देकर एक ऐसे समाज के निर्माण में हमारा मार्गदर्शन करते हैं जहां सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारा पनपता है।"
चिश्ती फाउंडेशन के अध्यक्ष और  धार्मिक उपदेशक सैयद सलमान चिश्ती ने कहा कि  मैंने पिछले कई सालों में कई देशों का दौरा कर महोब्बत ,शांति और अमन का पैगाम दिया है।  कोविड के बाद पहली बार कश्मीर में इस तरह का कार्यक्रम कराया गया है और यह देखखर मैं बेहद खुश हूँ। इससे पहले साल 2016 में नई दिल्ली में वर्ल्ड सूफी कॉन्फ्रेंस करवाई गई थी जिसमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूफीवाद के बारें में बात की थी। अपने 40  मिनट के सम्बोधन में उन्होंने सूफीवाद के मूल विचारों की प्रशंसा की थी।  यह पहली बार था कि आज़ादी के बाद किसी भारतीय प्रधान मंत्री ने सूफीवाद और उसके सिद्धांतों के बारें में बात की। यह अपने आप में एक अनोखा उदारहण था।
सामाजिक, सांस्कृतिक क्रांतिकारी, इस्लामी विद्वान और समाज सुधारक डॉ. मौलाना कल्बे रुशैद रिज़वी ने कहा  "आज इस कॉन्फ्रेंस का हिस्सा बनना  मेरे लिए बहुत गर्व की बात है। हमारे लिए हमारे धर्म से ऊपर हमारा देश है क्योंकि यही हमारी असली पहचान है। भारत में रह रहे सभी धर्मो के लोग अपने अपने धर्म  से सम्बंधित ईश्वर को तो मानते हैं पर उनकी दी गई शिक्षाओं को नहीं। उन्होंने कहा कि सभी धर्मो का आधार एक ही है पर हम सभी इसे समझ नहीं पा रहे है और भाषा इसका प्रमुख कारण है।  कहीं न कही भाषा एक ऐसा बंधन है जो हमे जुड़ने से रोक रहा है। इस बंधन को अलग दरकिनार करते हुए हमे सिर्फ इंसानियत को देखना है।  आज कश्मीर में विकास हो रहा है जो साफ़ साफ़ देखा जा सकता है। कश्मीर में शिक्षा के क्षेत्र में अभी भी काम करने की आवश्यकता है। और मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में शिक्षा के द्वारा राष्ट्र की विकास के नए द्वार खुलेंगे और यहाँ का युवा ओर सशक्त होगा।"
आदिवासी और गुज्जर कार्यकर्ता और जम्मू-कश्मीर गुज्जर बकरवाल युवा सम्मेलन के अध्यक्ष जाहिद परवाज़ चौधरी ने कहा, ''कश्मीर हमेशा से सूफी संतों, पीरों और गुरुओं का निवास रहा है, जिन्होंने सभी के बीच प्रेम, शांति और भाईचारे का पैगाम दिया है। कश्मीर का पूरा गुज्जर समुदाय आज के समय में जब हर जगह नफरत, हिंसा और ईर्ष्या , प्यार, भाईचारा और शांति को बढ़ावा देने और एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करने के लिए अन्य सभी समुदायों के साथ खड़ा है जो एकजुट और मजबूत हो। अमृत काल में भारत को एक विकसित देश बनाने में समुदाय समान रूप से योगदान देगा।'' उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि सरकार गुर्जर समुदाय की युवा प्रतिभा को बढ़ावा देने के लिए पहल करेगी।

आईएमएफ के कन्वीनर सतनाम सिंह संधू ने जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर श्री मनोज सिन्हा, धार्मिक नेताओं, मौलवियों, विद्वानों, गैर सरकारी संगठनों और अन्य सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह सम्मेलन हमारे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास और सबका विश्वास ' के दृष्टिकोण के अनुरूप आयोजित किया गया था। 
“कश्मीरियत और सूफीवाद शांति और सद्भाव की विचारधारा है और सभी को इस विचारधारा को अपनाने की जरूरत है। घाटी में करुणा, सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारा देखना मेरे लिए अभिभूत करने वाला पल है। घाटी को लेकर हमारी गलतफहमियां अब खत्म हो गई हैं. सतनाम सिंह संधू ने कहा, कश्मीर शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और सद्भाव का संदेश है और हम इस संदेश को हम न केवल देश में बल्कि दुनिया भर में पहुंचाएंगे।
सतनाम सिंह संधू जो चंडीगढ़यू निवर्सिटी के चांसलर भी हैं, ने कहा, “हम घाटी के युवाओं को  शिक्षा के क्षेत्र में अवसर देकर जम्मू-कश्मीर के विकास में अपना योगदान देंगे। हम कश्मीर की महिला छात्रों के लिए एक छात्रवृत्ति योजना की घोषणा करेंगे ताकि वे बिना किसी कठिनाई के अपने सपनों को पूरा कर सकें। हमने कश्मीर के साथ बहुत अच्छे रिश्ते बनाए हैं और हम इसे भविष्य में भी बरकरार रखेंगे।'
सूफी इस्लामिक बोर्ड के अध्यक्ष मंसूर खान ने कहा " कश्मीरियत अपने आप में एक संस्कृति है जिसका आधार प्रेम अमन और शांति है और वही दूसरी तरफ सूफीवाद इसका पूरक है। सूफीवाद को हमेशा से ही नज़रअंदाज़ किया गया था और उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश की गई थी। सूफीवाद का मूल मंत्र मोहब्बत और इंसानियत का पैगाम देना है।  आज जिस तरह से  दुनिया में एक तरफ नफरत और हिंसा बढ़  रही है ऐसे में सूफीवाद अमन और शांति स्थपित करने में अहम भूमिका निभा सकता है।  सूफी समाज कश्मीर से ये मोहब्बत का पैगाम न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में देने के लिए तैयार है। सूफ़ियत एक जज़्बा है जो सभी कोमों को एकता के सूत्र में बाँध सकता है। हमे भी शांति के दूत बनकर भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में  अमन ,शांति, प्रेम और भाईचारे का पैगाम देना है।

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