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द हार्डिंग बम कांड के शहीदों पर विख्यात इतिहासकार डॉ. अमरजीत सिंह की ऐतिहासिक पुस्तक का हुआ विमोचन

चण्डीगढ़ : क्रांतिकारी आंदोलन के इतिहास पर आधारित एक महत्वपूर्ण पुस्तक रिवोल्यूशनरीज एंड द ब्रिटिश राज : मार्टियर्स ऑफ द हार्डिंग बॉम्ब आउटरेज का आज चण्डीगढ़ प्रेस क्लब में विमोचन किया गया। यह पुस्तक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सेवा-निवृत्त प्रोफेसर और विख्यात इतिहासकार डॉ. अमरजीत सिंह द्वारा लिखी गई है।
इस अवसर पर देश भगत विश्वविद्यालय, मंड़ी गोबिंदगढ़ के चांसलर डॉ. जोरा सिंह, हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष प्रो. एस. के. गाखड़, डॉ. बी. आर. अंबेडकर राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, सोनीपत की पूर्व कुलपति प्रो. विनी कपूर मेहरा और हरियाणा पंजाबी साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के निदेशक सरदार हरपाल सिंह गिल ने पुस्तक का औपचारिक विमोचन किया।
डॉ. अमरजीत सिंह को राष्ट्रवादी इतिहास लेखन में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उनकी पूर्ववर्ती कृतियाँ जैसे मुस्लिम लीग की राजनीति और भारत का विभाजन, बंदा सिंह बहादुर और उनका युग, तथा महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रवाद वैश्विक स्तर पर चर्चित हैं।
नवप्रकाशित यह पुस्तक भारत के क्रांतिकारी स्वतंत्रता संग्राम के अध्ययन में मील का पत्थर मानी जा रही है। इसमें पंजाब और दिल्ली क्षेत्र के 20वीं सदी के प्रारंभिक क्रांतिकारी आंदोलनों की संरचना, विचारधारा और ऐतिहासिक दृष्टिकोण का गहराई से विश्लेषण किया गया है। डॉ. सिंह ने मास्टर आमिर चंद, भाई बाल मुकुंद, अवध बिहारी और बसंत कुमार विश्वास जैसे क्रांतिकारियों के जीवन, उनके संघर्ष और बलिदान को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है।

डॉ. सिंह का यह भी कहना है कि ये क्रांतिकारी संकीर्ण हिंदू राष्ट्रवाद के समर्थक नहीं थे, बल्कि वे समानता और प्रगतिशील मूल्यों पर आधारित स्वतंत्र और अखंड भारत का सपना देख रहे थे। पुस्तक में ब्रिटिश शासन द्वारा किए गए मुकदमों, सज़ाओं और इन शहीदों की पृष्ठभूमि से जुड़े कई अनछुए पहलुओं को सामने लाया गया है। उनके सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि का विश्लेषण करते हुए लेखक ने उनके आंदोलन की प्रभावशीलता के पीछे इन्हीं पहलुओं को महत्वपूर्ण कारण माना है।

कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ. जोरा सिंह ने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से लेखक ने उन क्रांतिकारियों के योगदान को उजागर किया है जो अब तक मुख्यधारा के इतिहास लेखन में उपेक्षित रहे हैं। प्रो. गाखड़, प्रो. विनी कपूर मेहरा और सरदार हरपाल सिंह गिल ने भी पुस्तक को भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के अध्ययन में एक नई और महत्वपूर्ण पहल बताया।  

स्टार्टेक्स विश्वविद्यालय, गुरुग्राम के पूर्व कुलपति प्रो. एम. एम. गोयल ने कहा कि यह पुस्तक आधुनिक भारतीय इतिहास लेखन की दिशा को पुनर्परिभाषित करती है और क्रांतिकारी आंदोलनों के अध्ययन में एक नई मिसाल स्थापित करती है।

इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव प्रो. भगवान सिंह चौधरी, पंजाब विश्वविद्यालय के गांधी अध्ययन केंद्र के पूर्व निदेशक प्रो. मनोहर लाल शर्मा, पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला के प्रो. मुहम्मद इदरीस, एम.डी. विश्वविद्यालय, रोहतक के पूर्व डीन प्रो. मनमोहन कुमार सहित अनेक प्रतिष्ठित विद्वान, इतिहासकार, विश्वविद्यालयों व कॉलेजों के प्राध्यापक, शोधार्थी और छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम में प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुमन सिवाच ने किया। डॉ. धरमवीर सैनी ने अतिथियों का स्वागत किया और श्री तपन गिरधर ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

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