चंडीगढ़ : पब्लिक अगेंस्ट एडल्ट्रेशन वेलफेयर एसोसिएशन के मुख्य संरक्षक जस्टिस ज़ोरा सिंह, महासचिव सुरजीत सिंह भटोआ ने आज चंडीगढ़ प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि खाने-पीने की चीजों में मिलावट एक खामोश महामारी है। खाने-पीने की चीजों में मिलावट से हर कोई प्रभावित होता है। अजन्मे शिशुओं से लेकर बुजुर्गों तक - चाहे उनकी स्थिति कुछ भी हो। फल, सब्जियां, दूध, दही, पनीर, मिठाइयां, शहद, चीनी, आटा, चाय, दालें आदि में संदूषण आम बात है। अस्पताल कैंसर सहित गंभीर बीमारियों के रोगियों से भरे पड़े हैं। इसके बावजूद, एफएसएसएआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) में कर्मचारियों की कमी है तथा संसाधन भी कम हैं, जिससे संकट का प्रभावी ढंग से समाधान करने में इसकी क्षमता सीमित हो गई है।
जस्टिस ज़ोरा सिंह ने आगे कहा कि देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त है और बहुत से लोग इससे पीड़ित हैं। यहां तक कि मिलावटखोर भी इन भयंकर बीमारियों से अछूते नहीं हैं, फिर भी वे मिलावट करना जारी रखते हैं। यहां तक कि दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले खाद्य पदार्थ जैसे दूध, दही और पनीर भी नकली पाए जाते हैं। फलों आदि को पकाने के लिए जहरीले रसायनों का उपयोग किया जा रहा है तथा अनाज की पैदावार बढ़ाने के लिए जहरीले कीटनाशकों का छिड़काव किया जा रहा है।
जस्टिस ज़ोरा सिंह ने आगे कहा कि कुछ दवाइयां भी नकली बनाई जा रही हैं। त्योहारी सीजन में भी संबंधित विभागों में स्टाफ की कमी और नमूना जांच प्रयोगशालाओं की कमी भी मिलावटखोरी में लगातार हो रही वृद्धि का प्रमुख कारण है।
सुरजीत सिंह भटोआ ने कहा कि हमने पंजाब, चंडीगढ़ और हरियाणा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है और पंजीकृत आंदोलन चलाया है। पंजाब में 12 जिला स्तरीय चुनाव हैं।
चंडीगढ़ में एक और हरियाणा में दो इकाइयां क्षेत्रीय स्तर पर काम कर रही हैं। हम कह सकते हैं कि सरकारी विभागों और एजेंसियों द्वारा इस मुद्दे को हर स्तर पर उठाने के कारण राज्य सरकारों ने छापेमारी बढ़ा दी है और नकली पनीर, दूध, तेल, देसी घी आदि बरामद हुए हैं। हम कानूनी सुधार और सख्त प्रवर्तन की मांग करते हैं। सुरजीत सिंह ने कहा कि मिलावट के मामलों की सुनवाई ट्रैक कोर्ट के माध्यम से होनी चाहिए।
जस्टिस ज़ोरा सिंह ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री से खाद्य पदार्थों में मिलावट के खिलाफ एक राष्ट्रीय अभियान शुरू करने का अनुरोध किया है, जिससे इसके अधिक खतरनाक और दूरगामी परिणामों पर प्रकाश डाला जा सके। सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए कहा गया है कि जब तक केंद्र और राज्य इसे राष्ट्रीय आपातकाल घोषित नहीं करते, तब तक केवल जन जागरूकता से कोई फायदा नहीं होगा। हम यह भी प्रस्ताव करते हैं कि माननीय प्रधानमंत्री को सभी एजेंसियों को संगठित करने के लिए इस मुद्दे को उठाना चाहिए। सरकार को साइबर अपराध और मोटापे के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाने के लिए धन मुहैया कराना चाहिए। खाद्य पदार्थों में मिलावट, साइबर अपराध या मोटापे से भी बड़ा सार्वजनिक खतरा है। यह तत्काल राष्ट्रीय कार्रवाई का समय है।
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