चंडीगढ़:- दिगंबर जैन मंदिर सेक्टर 27 बी में आचार्य श्री सुबल सागर जी महाराज विराजमान है उनके मंगल सानिध्य में श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन चल रहा है ।
आज गुरु पूर्णिमा महा महोत्सव का दिन है आज के दिन ही नहीं हमेशा जीवन में गुरु का महत्व सर्वोपरि रहता है कहते हैं गुरु के बिना जीवन अधूरा है गुरु से ही धर्म की आन बान शान है बिना गुरु धर्म का नाम न निशान है।
महाराज श्री ने कहा कि हे भव्य आत्माओं आज के दिन गौतम स्वामी ने भगवान महावीर से दीक्षा लेकर उन्हें अपना गुरु स्वीकार किया था वो भगवान महावीर के प्रमुख शिष्य थे । 66 दिन तक केवलज्ञान होने के बाद ही भगवान महावीर की दिव्य वाणी समवशरण में गणतंत्र के अभाव में नहीं खिरि।
आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन अर्थात आज गौतम स्वामी उनके मुख्य गणधर पद पर विराजे और उन्होंने भगवान महावीर को अपना गुरु बनाया जिससे आज के दिन हम गुरु पूर्णिमा के नाम से जानते हैं।
आचार्य श्री के गुरु "तपस्वी सम्राट" आचार्य श्री 108 सन्मति सागर जी महाराज ने सारा विश्व या समाज के लोग तपस्वी सम्राट के नाम से जानते हैं उनकी तपस्या बहुत ही उत्कृष्ट थी समाधि के पहले 10 साल तक उन्होंने केवल पानी और मट्ठा लिया मात्र बस इसके अलावा कुछ नहीं सब त्याग दिया था। उनकी समस्या से बड़े बड़े चमत्कार भी होते थे कहते थे। कहते हैं "गुरु के बारे में गुरु की महिमा वर्णनी न जाऐ, गुरु नाम जापो मन वचन काय"।
जैन मुनियों की आज से चतुर्मास व्यवस्था हो चुकी है अब वो दीपावली तक चंडीगढ़ से बाहर 100 किलोमीटर से बाहर नहीं जाएंगे।इस स्थापना दिवस पर और गुरु पूर्णिमा दिवस पर सैंकड़ों गुरु भक्त अपने गुरु की पूजा भक्ति करने के लिए बाहर से पधारे और असीम पुण्य को प्राप्त किया।
जयपुर से श्रीमान राजीव जी, देवेन्द्र जी, भोपाल से मनोज जी प्रधान सहपाठी, ग्वालियर, बहराइच लखनऊ, हरिद्वार आदि और पूर्ण चंडीगढ़ जैन समाज उपस्थित था।
*यह जानकारी श्री धर्म बहादुर जैन जी ने दी*
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