चण्डीगढ़ : ट्राइसिटी के चैतन्य मुकुंद हाल ही में अमेरिका से लीडरशिप कार्यक्रम में हिस्सा ले के लौटे हैं। चैतन्य मुकुंद दिव्यांगजनों के अधिकारों के हनन जैसे संवेदनशील विषय पर शोध कर रहे हैं और दिव्यांगों के अधिकारों के पूर्ण रूप से पक्षधर हैं l दिव्यांगता के क्षेत्र में उनके शोध, समर्पण व अथक प्रयासों को देखते हुए इस वर्ष भारत से इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम में भाग लेने के लिए उन्हें भी आमंत्रित किया गया, जहां उन्होंने वाशिंगटन, बोस्टन, शिकागो और एटलांटा जैसे प्रमुख शहरों की यात्रा की। वहां उन्हें हार्वर्ड व पेंटागॉन समेत कई विश्वविख्यात अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में अपनी बात रखने एवं भारत के विकलांगजनों का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। चैतन्य के मुताबिक ऐसा नहीं है कि अमेरिका हर मायने में परिपूर्ण है l एक महाशक्ति होने के बावजूद भी वहां की 44 फीसदी राज्य सरकारें अमेरिकी विकलांगता कानून का अनुपालन नहीं कर रही हैं। यही नहीं, भारत का दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 अमेरिकी कानून से कई अधिक सक्षम और बेहतर है, फिर भी भारत में परिपालन और समावेशी विचारधारा की कमी के चलते यहां का विकलांग समाज अपने मौलिक अधिकारों से वंचित रह जाता है। चैतन्य मुकुंद अपने अमेरिका के लीडरशिप प्रोग्राम के अनुभवों को समाज में दिव्यांगों के प्रति जागरूकता लाने में इस्तेमाल करना चाहते हैं। वे चाहते हैं भारत में दिव्यांगों के प्रति भेदभाव और उनके मौलिक अधिकारों का हनन बंद होना चाहिए।
इण्टरनेशनल विजिटर्स लीडरशिप प्रोग्राम अमेरिकी सरकार का एक प्रतिष्ठित कार्यक्रम है और इसके एलुमनाई में 290 से अधिक वर्तमान और पूर्व राज्य प्रमुख और सरकार के प्रमुख, दुनिया भर से लगभग दो हज़ार कैबिनेट स्तर के मंत्री और सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के कई अन्य प्रतिष्ठित नेता हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपई, इंदिरा गाँधी, ब्रिटेन की पूर्व प्रधान मंत्री मार्गरेट थैचर और टोनी ब्लेयर व कई अन्य विश्व प्रसिद्ध शख्सियतें भी इस कार्यक्रम की एलुमनाई हैं।
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