जम्मू, 21 जुलाई : ब्रेन स्ट्रोक (दिमागी दौरा) के दौरान मरीज के लिए हर सैकेंड मायने रखता है, क्योंकि मरीज स्वास्थ्य सुविधाएं न मिलने के कारण औसतन स्ट्रोक में हर मिनट 1.9 मिलियन न्यूरॉन्स खोता है, जो हमेशा अधरंग या मौत का बड़ा कारण बनता है, वहीं अब चिकित्सा जगत में आई तकनीकी क्रांति से ब्रेन स्ट्रोक से पीडि़त मरीजों को पूरी तरह से स्वस्थ किया जा सकता है। यह बात उत्तर भारत के जाने माने दिमाग के विशेषज्ञ डाक्टर विवेक गुप्ता ने जम्मू में कही, जिनके द्वारा हाल ही मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टॉमी जैसे उन्नत न्यूरो-इंटरवेंशनल उपचार से 84 वर्षीय ब्रेन स्ट्रोक से लक्वाग्रस्त मरीज को पूरी तरह से स्वस्थ किया गया है।
फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली के इंटरवेंशनल न्यूरोरेडियोलॉजी के एडिशनल डायरेक्टर डॉ प्रोफेसर विवेक गुप्ता ने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक से पीडि़त गंभीर से गंभीर मरीज को पूरी तरह से स्वस्थ किया जा सकता है, बशर्तें मरीज को बिना देरी ऐसे अस्पताल में पहुंचाया जाए, जहां स्ट्रोक के उपचार के लिए आधुनिक उपकरणों के साथ न्यूरोलॉजिस्ट, इंटरवेंशनल न्यूरोरेडियोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन और एनेस्थेटिस्ट की टीम उपलब्ध हो। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा हाल ही में ऐसे ही 84 वर्षीय बुजुर्ग मरीज जो कि स्ट्रोक के 10 घंटे उपरांत अस्पताल पहुंचा, जिसका कि शरीर का आधा हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था तथा मस्तिष्क के दाहिने हिस्से में रक्त की आपूति अवरूद्ध हो गई थी। इस दौरान मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी द्वारा मस्तिष्क में रूके हुए खून के थक्के (कलाट) को पूरी तरह से हटाया गया। उन्होंने बताया कि अच्छी देखभाल के उपरांत मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है।
डॉ प्रोफेसर विवेक गुप्ता ने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों के लिए मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टॉमी जैसे उन्नत न्यूरो-इंटरवेंशनल उपचार आशा की एक नई किरण उभरी है, जो ब्रेन स्ट्रोक (दिमागी दौरे) से पीडि़त होने के 24 घंटे बाद भी मरीजों को बचाने में मदद कर सकती है। ब्रेन स्ट्रोक दीर्घकालिक विकलांगता और यहां तक कि मृत्यु का एक प्रमुख कारक है। दिमागी दौरा तब पड़ता है जब मस्तिष्क के एक हिस्से में रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती है, जिससे मस्तिष्क कोशिकाओं की अपरिवर्तनीय क्षति होती है। मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी एक न्यूनतम-इनवेसिव प्रक्रिया है जिसमें एक इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट मरीज की धमनी से थक्का (क्लाट) हटाने के लिए विशेष उपकरण का उपयोग करता है।
उन्होंने बताया कि शारीरिक गतिविधि और नियमित व्यायाम, कोलेस्ट्रॉल और रक्त शर्करा के स्तर पर नजर रखना, रक्तचाप को नियंत्रित करना और स्वस्थ जीवन शैली का पालन करने से स्ट्रोक को रोकने में मदद मिल सकती है। सुस्त जीवनशैली उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और यहां तक कि स्ट्रोक जैसी विभिन्न बीमारियों को जन्म देती है। हर दिन कम से कम 20-30 मिनट तक तेज चलना या साइकिल चलाना न केवल आपको फिट रहने में मदद करेगा, बल्कि कई बीमारियों को भी दूर रखेगा। डॉ. प्रोफेसर गुप्ता ने कहा कि फोर्टिस अस्पताल मोहाली स्ट्रोक के लिए एडवांस हास्पीटल है, जिसके तहत ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों के लिए एक समर्पित स्ट्रोक हेल्पलाइन 9815396700 भी चलाई जा रही है।
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