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विश्व नशा विरोधी दिवस के उपलक्ष्य में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

मोहाल:-विश्व नशा विरोधी दिवस के उपलक्ष्य में पंचम मनोरोग हॉस्पिटल की तरफ से जागरूकता कार्यक्रम और उपस्थित लोगों और जरूरतमंद लोगों के लिए लँगर भी लगाया गया।  जागरूकता कार्यक्रम के दौरान लोगों को न केवल नशे से समाज और परिवार को होने नशे नुकसान बल्कि इसके दुष्प्रभाव से अवगत करवाया गया। इसके साथ ही नशे को समाज से जड़ स्तर पर ही खत्म करने के लिए सामुहिक स्तर मुहिम छेड़ने की भी अपील की गई।
पंचम मनोरोग हॉस्पिटल के मनोचिकित्सक डॉ. अभिषेक नागाकुमार ने 26 जून को "विश्व नशा विरोधी दिवस" के अंतर्गत उपस्थित लोगों को   " नशे के खिलाफ लड़ने", नशे से आर्थिक- सामाजिक स्तर पर समाज पर पड़ने वाला बोझ, शारीरिक, व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन पर प्रभाव सहित अन्य मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नशे की लत एक्सपेरिमेंटशन या प्रेशर से शुरू होती है। नशा लेने की इच्छा, नशे की मात्रा में वृद्धि नुकसानदायक है।  उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए, यथाशीघ्र चिकित्सक से संपर्क करना आवश्यक है।  नशे की आदत से क्राइम रेट और सुसाइड रेट में वृद्धि  देखने को मिलती है।  उन्होंने कहा कि पंचम मनोरोग अस्पताल में इन पेशेंट और आउट पेशेंट दोनों के लिए ही नशे से इलाज की सेवा उपलब्ध है। रोगी की पहचान को गोपनीय रखा जाता है। हमें चाहिए कि किसी विशेषज्ञ की मदद से नशे की लत को खत्म करें।  थोड़ी सी दिशा बदल दो, आपके किनारे और दुनिया बदल जायेगी। 

 डा . अभिषेक नागाकुमार  ने आगे संबोधित करते बताया कि नशे से केवल आर्थिक तौर पर ही नहीं बल्कि शारीरिक और सामाजिक तौर पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है । ऐसे में मां - बाप को चाहिए कि वे बच्चों के जेब खर्च से लेकर उनकी सोसायटी पर भी पूरी तरह नजर रखें । डा . अभिषेक नागाकुमार ने कहा कि आज के दौर में जहां नशे का प्रभाव बढ़ रहा है , वहीं नशा छुड़ाने की दवाएं भी लाभदायक साबित हो रही है । छोटे बच्चों से लेकर महिलाएं और बुजुर्ग पंचम मनोरोग हॉस्पिटल से अपना इलाज करवा रहे है । इस हॉस्पिटल की ओर से नीले कार्ड धारक मरीजों की मुफ्त रजिस्ट्रेशन के साथ मुफ्त टेस्ट किए जाते है । जबकि बाकी अस्पतालों के मुताबिक इस अस्पताल में बहुत कम दरों पर इलाज किया जाता है ।

मैनेजर मनमोहन शर्मा ने कहा कि मनोविज्ञानक इलाज के दौरान मरीज को नशीले पदार्थों से दूर रहने के लिए जागरूक किया जाता है और इलाज कराने वाले मरीजों का नाम पता भी गुप्त रखा जाता है ।

  वहीं डॉ. जगदीश सिंह  ने इस अवसर पर कहा कि नशीली दवाओं की लत समाज के लिए एक बोझ है। एक विशेषज्ञ मनोचिकित्सक द्वारा उचित उपचार आवश्यक है। उन्होंने आगे कहा कि अपने स्तर पर ही इलाज नही करना चाहिए। आई डर्मा (त्वचा विज्ञान और नेत्र रोग विज्ञान) ड्रग एडिक्शन के खिलाफ खड़ा है।

या मंजीत कौर.  सीडर्मेटोलॉजिस्ट, टीडीआई सिटी) ने अपने संबोधन में कहा कि यह लत साइकोलॉजिकल और शारीरिक समस्या है। हमें अपने बच्चों, उनके खर्चों और किसी भी अन्य व्यक्ति द्वारा नशीली दवाओं की तलाश पर नज़र रखें। युवाओं को एडिक्शन और इसके दुष्प्रभावों के बारे में शिक्षित करें।  टीडीआई सिटी में आई डर्मा क्लीनिक हमेशा ही नशे के खिलाफ खड़ा है।

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