Chandigarh;सरकारी मॉडल स्कूल सेक्टर-35, चंडीगढ़ में स्कूल के प्रिंसिपल देवेंद्र गोसाईं ने कपूर के पौधें लगाकर ग्रीन दीवाली का संदेश दिया। वहीँ स्कूल प्रांगण में काफी संख्या में घृतकुमारी (ऐलोवेरा) के पौधे भी लगाये गये। इस उपलक्ष्य पर स्कूल प्रिंसिपल देवेंद्र गोसाईं ने कहा कि हमें प्रतिवर्ष दीवाली पर पौधारोपण करना चाहिए क्योंकि दीवाली पर वायु प्रदूषण का स्तर काफी मात्रा में बढ़ जाता है जिसे सिर्फ पेड़-पौधे ही कम कर सकतें इसलिए हमें अधिक से अधिक पेड़ पौधें लगाने चाहिए जो हमें वायु प्रदूषण से बचाते हैं।
वहीँ स्कूल के स्पोर्ट्स टीचर कुलदीप मेहरा ने स्कूल प्रांगण में लगायें गये औषधीय पौधों की विशेषताओं की जानकारी दी उन्होंने बताया कि आज हमनें औषधीय गुणों से भरपूर कपूर एवं घृतकुमारी के पौधे रोपें हैं। कपूर उड़नशील वानस्पतिक द्रव्य है। यह श्वेत रंग का मोम जैसा पदार्थ है। इसमें एक तीखी गंध होती है। कपूर को संस्कृत में कर्पूर, फारसी में काफ़ूर और अंग्रेजी में कैंफ़र कहते हैं।
घृतकुमारी या एलोवेरा या एलोवेराजिसे क्वारगंदल या ग्वारपाठा के नाम से भी जाना जाता है, जो एक औषधीय पौधे के रूप में विख्यात है। इसका उल्लेख आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। देखा जाये तो आज के समय में अगर सबसे ज्यादा किसी आयुर्वेदिक पौधें की मांग है, तो वह, एलोवेरा ही हैं। क्योंकि एलोवेरा ऐंटिफंगल और ऐंटिमाइक्रोबियल, ऐंटीइंफ्लामेंट्री और ऐंटिबैक्टीरियल तो होता ही है साथ ही इसमें ऐंटिवायरल और ऐंटिसेप्टिक, ऐंटीट्यूमर प्रॉपर्टीज भी होती हैं। इस कारण आप एलोवेरा को घाव ठीक करने के लिए भी चोट पर लगा सकते हैं। या फिर इसका जूस वायरल इंफेक्शन को दूर करने के लिए पी सकते हैं।
इस ग्रीन दीवाली महोत्सव कार्यक्रम में सरकारी मॉडल स्कूल सेक्टर-35 चंडीगढ़ के प्रिंसिपल देवेंद्र गोसाईं, सीनियर लेक्चरार सविता, इको क्लब की इंचार्ज सीमा ग्रोवर, स्पोर्ट्स टीचर कुलदीप मेहरा, गजराज सिंह, कुलदीप निझारा सहित दलविंदर गिल, समीर शर्मा एवं शिवबरन उपस्थित रहें।
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