अमृतसर । 27 नवम्बर , 2021 भारत में लगभग 13.5 करोड़ से अधिक जनसँख्या मोटापे से पीड़ित हैं और सम्पूर्ण विश्व में चीन और अमेरिका के बाद आज भारत तीसरे स्थान पर है। आज कि स्थिति में खासकर युवाओं में मोटापे से उत्पन्न होने वाली चिकित्सा स्थितियां, जैसे उच्च रक्तचाप, स्लीप एपनिया, मधुमेह (भारत में 80 मिलियन मधुमेह रोगी हैं), जोड़ों की समस्याएं, हृदय रोग और श्वसन संबंधी समस्याएं देश के भविष्य को भी बाधित कर सकती हैं।
मोटापा को किसी भी तरह से हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह कहना है प्रसिद्ध बैरिएट्रिक एंड मेटोबोलिक सर्जरी स्पेशलिस्ट और कोस्मिक सर्जिकल सेंटर्स मोगा के निदेशक डॉ अमित सूद का। आज अमृतसर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए डॉ अमित सूद ने बताया कि मोटापा एक बहुत ही जटिल बीमारी है और यह व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक व समाजिक आर्थिक तौर तरीकों को प्रभावित करती हैं। मोटे लोगों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पडता है यहां तक कि उनकी घरेलु जिदंगी में भी उसका असर होता है और तलाक तक की नौबत आ जाती है।
विश्व ओबेसिटी फेडेरशन ने भी मोटापे को एक जटिल बीमारी के रूप में माना है, जो मधुमेह, स्लीप एपनिया, उच्च रक्तचाप और बांझपन जैसी सह रुग्णताओं से भी जुड़ी है। मोटापा व टाइप-2 डायबिटीज बीमारी लगातार बढ़ रही है। पूरी दुनिया में मोटापा सबसे ज्यादा होने वाली मेटाबोलिक बीमारी के रूप में उभर कर सामने आया है और इस बीमारी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हाल ही में किये गए एक अध्ययन में मॉर्बिड ओबेसिटी को 13 प्रकार के कैंसर रोगों से भी जोड़ा गया है । हालांकि भारत ने ऐतिहासिक रूप से कुपोषण से लड़ाई लड़ी है, लेकिन पिछले दस वर्षों में देश में मोटे लोगों की संख्या दोगुनी हो गई है - और यह प्रवृत्ति शहरी क्षेत्रों में स्पष्ट है। अमृतसर में, लगभग एक तिहाई से अधिक आबादी मोटापे से ग्रस्त है - और यह अनुपात महिलाओं में अधिक है, जिनमें से आश्चर्यजनक रूप से 42% मोटापे से ग्रस्त हैं!
मोटे लोगों के लिए कई तरह की बीमारियों का रिस्क रहता है जिसमें टाइप-2 डायबिटीक मेलिटस, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज, हायपरटेंशन, डिसलिपिडीमिया, रेस्पिरेट्री डिसीसेज, ओस्टियो आर्थारिटीज व मानसिक अवसाद जैसी बीमारियां शामिल हैं । कई तरह के शोधों से यह साबित होता है कि मोटापा व डायबिटीज मे गहरा रिश्ता है। उन लोगों में डायबिटीज बीमारी का खतरा ज्यादा हो जाता है जिनका बीएमआई 25 से ज्यादा होता है। कई तरह के शोधों से यह जाहिर होता है कि मध्यम उम्र के उन भारतीय लोगों में जिनका बीएमआई 23 से ज्यादा है उनमें टाइप टू डायबिटीज होने का ज्यादा खतरा होता है।
डॉ अमित सूद का कहना है कि पंजाब में मोटापा समस्या का प्रमुख कारण आरामदायक जीवन शैली व सामाजिक आदतें जिनमें लोग बगैर नियंत्रण के खाते हैं। लोगों में जंक फूड को खाने या फिर बूफे सिस्टम में ज्यादा खाने से यह समस्या होती है। यदि इस खाने के साथ शराब का सेवन भी किया जाता है तो यह बहुत बडी समस्या पैदा कर सकता है। यह बीमारी वंशानुगत भी हो सकती है इसलिए ऐसे लोगों को अपनी जीवन शैली व खान पानी के तरीकों को बदलने के लिए हमेशा ही तत्पर रहना चाहिए। मोटापा बच्चों को भी प्रभावित कर सकता है। आज की जीवन शैली में बच्चे दिन भर मोबाइल या फिर लैपटाप पर ज्यादा समय व्यतीत करते हैं ऐसे में यह मोटापा को बढाता है। इससे न सिर्फ मोटापा का रिस्क पैदा होता है बल्कि विटामिन डी की भी कमी होती है। जो कि मोटापा या फिर डायबिटीज दोनों में ही रिस्क फैक्टर हैं।
टाइप २ डायबिटीज के मरीजो के बारे में बातचीत करते हुए डॉ अमित सूद ने बताया गत समय दौरान जारी अंतर्राष्ट्रीय हिदायतों के अनुसार भी मेटाबोलिक सर्जरी को टाइप २ डायबिटीज के मरीजो के लिए पहला इलाज बताया गया है। डायबिटीज और मोटापा एक ऐसी बीमारी है जो मेटाबोलिक सर्जरी के जरिेए ठीक किया जा सकता है। सरकार भी इसको रोकने में मदद कर रही है।
डॉ अमित सूद ने कहा कि मोटापा की बीमारी के इलाज में इंश्योरेंस कवरेज एक अहम कडी है। डॉ अमित सूद का कहना है कि उनका अनुभव रहा है कि वित्तीय समस्या के कारण ज्यादातर मरीज मोटापे का इलाज करने से परहेज करते हैं। लेकिन यह समझना चाहिए मोटापा एक गंभीर मेडिकल कंडीशन हैं। मेडिकल इंश्योरेंस में इस तरह के उपचार की कवरेज के जरिए निश्चित रूप से ज्यादा से ज्यादा लोगों को फायदा होगा और वे इलाज के लिए सामने भी आएंगे। डॉ अमित सूद ने कहा की हालाँकि कुछ लोग यह भी सवाल करते हैं कि क्या उन्हें कॉस्मेटिक सर्जरी पर पैसा खर्च करना चाहिए, लेकिन हमें यह समझने की आवश्यकता है की मोटापा एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है और इससे आने वाली गंभीर समस्याओं से बचने के लिए हमें अपना ध्यान रखा जाना चाहिए। यदि आप अच्छे दिखते हैं और आप स्वस्थ महसूस करते हैं तो आप अपने में अधिक आत्मविश्वास महसूस करेंगे और आप निश्चित रूप से एक खुशहाल जीवन जी सकेंगे, रोग मुक्त जीवन कौन नहीं चाहता?
उन्होंने कहा की मोटापे के इलाज के बारे में बहुत से लोगों में गलत जानकारियां भी फैली हुई है, इसलिए सही वैज्ञानिक चिकित्सा आज समय की मांग है। डॉ अमित सूद ने इस मौके पर अपने कुछ रोगियों के अनुभवों को भी साझा किया, जो मधुमेह के उपचार के लिए मेटाबोलिक सर्जरी से गुजर चुके हैं।
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