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जन्मदोष का शीघ्र पता लगाने के लिए प्रसव पूर्व परीक्षण का है बहुत महत्व: डॉ.गुरजीत कौर


चंडीगढ़,march,3:जन्मदोष, संरचनात्मक/ कार्यात्मक दोष हैं जो जन्म के समय दिखाई दे भी सकते हैं या नहीं भी लेकिन इनका व्यक्तिगत जीवन पर परिवर्तनशील प्रभाव हो सकता है।कुछ जन्मदोष शारीरिक और मानसिक विकलांगता का प्रमुख कारण हैं।जन्मदोष प्रमुख या मामूली हो सकते हैऔर हमारे शरीर के किसी भी अंग जैसे हृदय, मस्तिष्क, रीढ़, आंख, कान आदि को प्रभावित कर सकते है।
विश्व स्वास्थय संगठन के अनुसार, हर साल दुनिया भर में लगभग 8 मिलियन बच्चे गंभीर जन्मदोष के साथ पैदा होते हैं और भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा आबादी वाला देश है, इसलिए हम भारत में हर साल जन्म लेने वाले बच्चों की बड़ी संख्या की अच्छी तरह से कल्पना कर सकते हैं। इनमें से कुछ जन्मदोषों को शुरुआती हस्तक्षेप से रोका जा सकता है और कुछ के लिए प्रबंधन प्रदान किया जा सकता है। जेनेटिक सेंटर, जी एम् सी एच-32 को स्वर्गीय डॉ बी एस चव्हाण की देखरेख और मार्गदर्शन में यूटी प्रशासन के माध्यम से ‘डिसएबिलिटी प्रिवेंशन एंड रिहैबिलिटेशन ’के प्रस्ताव के तहत स्थापित किया गया है।यहाँ पर गर्भावस्था के दौरान और जन्म के तुरंत बाद जन्म के कुछ दोषों की पहचान करने के लिए प्रसव पूर्व और नवजात स्क्रीनिंग की जाती है।
डॉ.गुरजीत कौर, कंसल्टेंट इंचार्ज, जेनेटिक सेंटर ने वर्ल्ड बर्थ डिफेक्ट डे, 3 मार्च 2021 को स्लम एरिया सेक्टर -25 के लोगों से जन्म से पहले होने वाले जन्मदोष तथा बचाव या समय पर प्रबंधन के लिए उठाए जाने वाले शुरुआती कदमों, जो कि परिवारों और समाज पर सामाजिक -आर्थिक बोझ को काफी कम कर सकता है,के बारे में जागरूकता पैदा की। उन्होंने सरल भाषा में बहुत बारीकी से गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ आहार, नियमित जांच और जोखिम से बचाव के महत्व के बारे में परिवारों को शिक्षित किया। उन्होंने जन्मदोषों के शीघ्र पता लगाने के लिए प्रसव पूर्व परीक्षण के महत्व पर जोर दिया, जो एक स्वस्थ समाज के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि गर्भावस्था को अच्छी तरह से नियोजित किया जाना चाहिए और जेनेटिक सेंटर और स्त्रीरोग विभाग,जीएमसीएच-32 में पूर्व गर्भाधान परामर्श सेवाओं का लाभ उठाया जा सकता है।
ओंकार चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन रविंदर सिंह बिल्ला ने बताया कि इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन का उनका मकसद महिलाओं को बर्थ डिफेक्ट्स के प्रति जागरूक करना है, ताकि वो इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम के  माध्यम से जन्मदोष का बारे में प्रसव पूर्ण जान सके।

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