चंडीगढ़: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर वीरवार को सेक्टर 19 के कम्युनिटी सेंटर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में 10 महिलाओं को सम्मानित किया जाएगा। यह कार्यक्रम समाज सेवी संस्था "द लास्ट बेंचर्स" द्वारा आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में शिक्षा, चिकित्सा, समाजसेवा और गवर्नमेंट जॉब में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया गया। "द लास्ट बेंचर्स" की प्रेजिडेंट सुमिता कोहली की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर रविकांत शर्मा बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे और क्षेत्रीय पार्षद आशा जायसवाल विशिष्ट अतिथि एवम सोशल एक्टिविस्ट व पूर्व मनोनीत पार्षद पैम राजपूत, सोशल एक्टिविस्ट अस्तिन्दर कौर सहित भाजपा महिला मोर्चा अध्यक्ष सुनीता धवन और ओंकार चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रेसिडेंट रविंदर सिंह बिल्ला बतौर विशेष अतिथि उपस्थित थी। इस अवसर संस्था की सदस्य शशि बाला, दिव्या सिंगला, नीलम गुप्ता, डेज़ी महाजन और आरती भी मौजूद थी। इस अवसर पर 10 महिलाओं को मैडल और मोमेंटो से सम्मानित किया गया।
इस मौके एडवोकेट आँचल ठाकुर, गरीब और जरूरतमन्द बच्चों को फ्री कंप्यूटर शिक्षा देने वाली सुमन पौडवाल, दन्त चिकित्सक डॉक्टर वंदना, सेक्टर 35 गवर्नमेंट मॉडल स्कूल की नेत्रहीन म्यूजिक टीचर विनीता सैनी, निधि गुप्ता, वीना चड्डा, डेज़ी महाजन, साईकलगिरी संचालिका अंकिता और सेवानिवृत्त शिक्षिका रीटा नंदा को कोविड-19 संकटकाल में उनके द्वारा की गई सराहनीय और प्रशंसनीय सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया।
"द लास्ट बेंचर्स" की प्रेजिडेंट सुमिता कोहली ने बताया कि हर वर्ष विश्व भर में 8 मार्च को "अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस" ("इंटरनेशनल वीमन्स डे") मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं के अधिकारों के लिए आंदोलन का प्रतीक है और इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य भी महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि “अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस” मनाने का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य महिलाओं और पुरुषों में समानता बनाने के लिए जागरूकता लाना है। साथ ही महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। आज महिलाओं के प्रति हिंसा के मामले भी सामने आते रहते हैं।
सुमिता कोहली ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है- 'यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। किंतु वर्तमान में जो हालात दिखाई देते हैं, उसमें नारी का हर जगह अपमान होता चला जा रहा है। उसे 'भोग की वस्तु' समझकर आदमी 'अपने तरीके' से 'इस्तेमाल' कर रहा है। यह बेहद चिंताजनक बात है। लेकिन हमारी संस्कृति को बनाए रखते हुए नारी का सम्मान कैसे किय जाए, इस पर विचार करना आवश्यक है। मां अर्थात माता के रूप में नारी, धरती पर अपने सबसे पवित्रतम रूप में है। माता यानी जननी। मां को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है, क्योंकि ईश्वर की जन्मदात्री भी नारी ही रही है। मां देवकी (कृष्ण) तथा मां पार्वती (गणपति/ कार्तिकेय) के संदर्भ में इसे हम देख सकते हैं।
किंतु बदलते समय के हिसाब से संतानों ने अपनी मां को महत्व देना कम कर दिया है। यह चिंताजनक पहलू है। सब धन-लिप्सा व अपने स्वार्थ में डूबते जा रहे हैं। परंतु जन्म देने वाली माता के रूप में नारी का सम्मान अनिवार्य रूप से होना चाहिए, जो वर्तमान में कम हो गया है, यह सवाल आजकल यक्षप्रश्न की तरह चहुं ओर पांव पसारता जा रहा है। इस बारे में नई पीढ़ी को आत्मावलोकन करना चाहिए।
अगर आजकल की लड़कियों पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि ये लड़कियां आजकल बहुत बाजी मार रही हैं। इन्हें हर क्षेत्र में हम आगे बढ़ते हुए देखा जा सकता है । विभिन्न परीक्षाओं की मेरिट लिस्ट में लड़कियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं। किसी समय इन्हें कमजोर समझा जाता था, किंतु इन्होंने अपनी मेहनत और मेधा शक्ति के बल पर हर क्षेत्र में प्रवीणता अर्जित कर ली है। इनकी इस प्रतिभा का सम्मान किया जाना चाहिए।
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