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पंचकूला में एशियाड सर्कस का रंगारंग आगाज़

पंचकूला:-पंचकूला के लोगों विशेषकर बच्चों के मनोरंजन के लिए शहर में पहली बार सर्कस लग गयी है । पंचकूला शहर के सेक्टर 05 में स्थित शालीमार माल के साथ वाले ग्राउंड में लगी  "एशियाड सर्कस" के  नाम  से विख्यात इस सर्कस की शनिवार 30 अप्रैल को रंगारंग तरीके से शुरुआत हुई। इस सर्कस का शुभारंभ हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने किया । हर बार कुछ नया पेश करने वाले सर्कस के आयोजक इस बार सर्कस मे नए और पुराने कलाकारों के साथ साथ विदेशी(अफ्रीकन) कलाकारों के कुछ नए नए करतब लेकर आये है।
खचाखच भरे हाल में मौजूद लोगों का सर्कस के लिए उत्साह देखते ही बनता था। मुख्य अतिथि ज्ञान चंद गुप्ता के रिबन काटते ही आयोजकों ने जैसे ही सर्कस की शुरूआत की घोषणा की, हाल लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। सबसे पहली परफॉर्मेंस सर्कस की जान कहे जाने वाले हवाई झूले का खेल रही। हवा में झूले पर इधर से उधर करतब दिखाते कलाकारों की परफॉर्मेंस पर लोगों ने खूब तालियां बजाई। इसके बाद सर्कस के कलाकारों की परफॉर्मेंस ने ऐसा समां बांधा की, लोग जैसे अपनी जगह से चिपक कर रह गए हो। लोगों ने कलाकारों की हर परफॉर्मेंस पर जम कर तालियाँ बजा उनकी खूब होंसला आफजाई की।
सर्कस की जान जोकरों की हंसी ठिठोली वाली बातों पर तो लोग खासकर बच्चे अपनी हंसी रोक ही नही पा रहे थे। सर्कस रिंग में यूं ही परफॉर्मेंस देने आते कलाकारों के साथ जोकरों की एंट्री होती, लोगों के चेहरे पर मुस्कान फैल जाती। म्यूजिक की तेज धुनों पर सर्कस के कलाकारों की तेज और ताबड़तोड़ परफॉर्मेंस ने तो अलग ही माहौल से बना दिया था। 
अफ्रीकन कलाकारों के ग्रुप की तेज म्यूजिक की धुन पर तेजी और चपलता से बगरी जिमनास्टिक व एरोबिक की परफॉर्मेंस देख तो दर्शकों ने दांतों तले अंगलियों ही दबा ली। इधर से उधर फुदकते एक दूसरे को लपकने की उनकी परफॉर्मेंस यादगार पल रहेगी।

सर्कस के निदेशक सुनील कुमार उर्फ विल्ला, मैनेजर अजय कुमार गोयल और अलंकेश्वर भास्कर ने बताया कि पंचकूला व इसके आस पास के क्षेत्र के लोगों में सर्कस के प्रति क्रेज हमेशा ही बना रहा है। शहर से उन्हें अच्छा रिस्पांस मिलने की उम्मीद है। लोगों को सर्कस में हर बार हम कुछ नया देते आये है, और इसी कड़ी में इस बार भी कुछ अलग दिया जा रहा है। जिसे लोग शत प्रतिशत पसंद करेंगे। इसी के तहत पंचकूला व् आस पास के क्षेत्र के लोगों की भारी मांग को ध्यान में रखते हुए पहली बार इस शहर में इस मैदान पर "एशियाड सर्कस" को पेश किया जा रहा है।  इस बार सर्कस के कलाकार अपने करतबों से लोगों में रोमांच तो भरेंगे ही बल्कि कलाकारों की हौंसला आफजाई के लिए तालियाँ मारने को मजबूर भी अवशय करेंगे । इसी तरह सर्कस में मौत का कुआँ खेल में भी कलाकार अपनी हैरत अंगेज प्रस्तुति से दर्शकोंदर्शकों का मनोरंजन करेंगे ।

सुनील कुमार गोयल उर्फ विल्ला ने बताया कि इनके अलावा सर्कस के अन्य कलाकारों द्वारा भी अपनी अपनी नृत्य व् कला कौशल को पेश किया जायेगा। दर्शको को हंसा हंसा कर लोटपोट कर देने के लिए किसी भी सर्कस की जान कहे जाने वाले जोकर भी बीच बीच में अपनी अदाकारी से लोगों विशेषकर बच्चों को हंसाएंगे ।

अजय कुमार गोयल का कहना है कि सर्कस चलाना बहुत ही मेहनत का काम है। एक सर्कस में 200 से ज्यादा लोग काम करते हैं। सबके रहने-सहने और खानपान की जिम्मेदारी सर्कस कंपनी की होती है। सभी कलाकार नहीं होते। पर वे एक-दूसरे से ऐसे जुड़े होते हैं, जैसे मोतियों की माला। कुछ का काम होता है तंबू लगाना, उखाड़ना व उनकी देखभाल करना, प्रचार प्रसार करना, तो कुछ लोग जानवरों की सेवा में लगे रहते हैं। खेल दिखाने वाले कलाकार तो होते ही हैं, परंतु उन्हें कब और क्या चाहिए और कई बार जब उनका शो खराब हो रहा होता है, तो कैसे जोकर व अन्य लोग उस शो को संभाल लेते हैं, यह देखते ही बनता है।

अलंकेश्वर भास्कर बताते हैं कि जानवर सर्कस का मुख्य आकर्षण होते थे। अब सरकार ने सर्कस में जानवरों के इस्तेमाल पर पूर्णत रोक लगा दी है। टीवी, वीडियो गेम और इंटरनेट ने रही सही कसर पूरी कर दी। आखिर दर्शक क्या देखने के लिए सर्कस आएंगे। सर्कस से कोई क्यों जुड़ना चाहेगा। सर्कस उद्योग से जुड़े लोग मानते हैं की सरकारी समर्थन और नई प्रतिभाओं की कमी भी इस उद्योग को लाचार बना रही है।

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