Chandigarh:वर्ष 1975 में स्थापित चंडीगढ़ योग सभा (रजिस्टर्ड), जिसके योग आश्रम सेक्टर 30-A और शिवालिक विहार मनीमाजरा में स्थित हैं, के संस्थापक एवं प्रथम योगाचार्य (मुख्या धर्म गुरु के बराबर) ब्रह्मलीन स्वामी देवी दयाल जी महाराज और उनके ज्येष्ठ पुत्र एवं मौजूदा योगाचार्य स्वामी लाल जी महाराज ने सैकड़ों लोगों को उनकी लाइलाज बीमारियों से मुक्ति दिलाई है।
आज लगभग पांच दशक बाद चंडीगढ़ योग सभा के कुछ पदाधिकारियों ने अपने निजी स्वार्थ के लिए इस गुरु-भक्त के पावन रिश्ते को एक गहरी ठेस पहुंचाई है। यहाँ तक कि मौजूदा प्रधान योगाचार्य और विश्व प्रसिद्ध योग गुरु स्वामी लाल जी महाराज, जिनको सभा के संविधान में सर्वोच्च स्थान दिया गया है और जिनकी अनुमति के बिना सभा की कार्यकारिणी का कोई भी निर्णय कार्यान्वित नहीं किया जा सकता, की गुरुगद्दी को मौजूदा कार्यकारिणी के कुछ कथित सदस्यों, जिनमें सभा के प्रधान अशोक दुआ एवं महासचिव महेन्द्र खुराना शामिल हैं, के द्वारा सेक्टर 30 के आश्रम से हटा दिया गया है।
इन तथाकथित सदस्यों ने उनकी अनिवार्य अनुमति लेना तो दूर, प्रधान योगाचार्य को सभा की किसी भी गतिविधि से अवगत नहीं कराया जाता। यही नहीं, इन शरारती तत्वों द्वारा भक्तों के प्रति कर्तव्यों के निवारण में अनेक बाधाएं डाली जा रहीं हैं एवं आश्रम में प्रवेश करने के लिए धमकियाँ दी जा रही हैं।
इस सम्बन्ध में स्वामी लाल जी महाराज द्वारा चंडीगढ़ पुलिस को 12. मार्च, 2022 को दी गयी शिकायत थाना इंडस्ट्रियल एरिया फेज 1 में धूल चाट रही है।
एक अन्य शिकायत जिसमें स्वामी जी ने चंडीगढ़ योग सभा के पदाधिकारी अशोक दुआ, सुरेश शर्मा, अनिल गुप्ता, नरेश कुमार अवं महेन्द्र खुराना पर सभा को असंवैधानिक ढंग से चलने के गंभीर आरोप लगाए थे, पर कार्रवाई करते हुए चंडीगढ़ के रजिस्ट्रार, फर्म्स एंड सोसाइटीज ने 6 अप्रैल, 2022 को सभा के प्रेजिडेंट अशोक दुआ को लिखे मेमो में उनसे सारे आरोपों के जवाब मांगे हैं।
रजिस्ट्रार के मेमो की अनदेखी करते हुये, चंडीगढ़ योग सभा ने फिर से 15 दिन का सभी सदस्यों को विधिपूर्वक नोटिस दिए बगैर और बिना प्रधान योगाचार्य की अनुमति के 24 अप्रैल, 2022 को जनरल बॉडी मीटिंग और वर्ष 2022-23 के लिए नयी कार्यकारिणी के चुनाव करवाने का पब्लिक नोटिस निकाल दिया है जोकि असंवैधानिक एवं अपराधजन्य है।
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