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सर्कस कलाकारों ने चलाया "सेव सर्कस-सेव सर्कस आर्टिस्ट" अभियान

चंडीगढ़:- मौजूदा समय दौड़ भाग भरी जिंदगी में सुकून और खुशी के कुछ पल देने वाली सर्कस कला देखते ही देखते सिमटती जा रही है। पिछले लगभग एक शतक से बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों सहित महिलाओं का मनोरंजन कर रही सर्कस कला अब अपना अस्तित्व खोती जा रही है। सर्कस प्रबंधन और इसके कलाकारों का सर्वाइव करना मुश्किल ही नही असंभव होता जा रहा है। हालांकि लोग आज भी इसे देखने जाते हैं, किंतु जानवरों के अभाव में सर्कस में मनोरंजन लुप्त से हो गया है। कलाकारों द्वारा अपनी परफॉर्मेंस के जरिये लोगों को भरपूर मनोरंजन दिए जाने का भरसक प्रयास किया जाता है। जिसका दर्शक दीर्घा में उपस्थित सभी लोग लुत्फ तो उठाते हैं। किंतु इस सबके बाबजूद जानवरों के बिना सर्कस को अधूरा ही मानते हैं। जिसके चलते सर्कस अपना अस्तित्व खोती सी जा रही है। इसी को लेकर सेक्टर 34 के ग्राउंड में 17 मार्च से चल रही एशियाड सर्कस के प्रबंधन और कलाकरो सहित इससे जुड़े स्टाफ ने एक अभियान "सेव सर्कस-सेव सर्कस आर्टिस्ट"  की शुरुआत की है। इनका कहना है कि किसी समय मे देश भर में लगभग 100 सर्कस चला करती थी। लेकिन वर्ष 1996 से सर्कस में जानवरों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से यह सिमटती सिमटती मात्र 05 सर्कस ही राह गईं है। लोगों का रुझान अगर सर्कस के प्रति ऐसा ही रहा तो वो दिन भी दूर नही, जब सर्कस का वजूद देश भर में समाप्त हो जाएगा। इन सर्कस के बंद होने के बाद इन सर्कस से जुड़े लगभग 750 लोगों और उनके परिवार के भरण पोषण की समय उतपन्न हो जाएगी, इनके भूखे मरने की नौबत आ जायेगी। हम कलाकार इसके अलावा और कुछ काम भी नही कर सकते, की कहीं और काम धंधा कर सकें। सरकार को चाहिए कि खत्म होती जा रही इस विरासत को सहेजे। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन को चाहिए कि नगर निगम द्वारा मनीमाजरा ग्राउंड की तर्ज पर ही सेक्टर 34 में सर्कस लगाए जाने पर ग्राउंड रेंट में छूट दी जाए।
   अलंकेश्वर भास्कर ने कहा कि जानवर सर्कस की जान कहे जाते थे। लोग जानवर देखने ही सर्कस की ओर रुख करते थे। सर्कस प्रबंधन जानवरों को अपने बच्चों की तरह रखती थी, पालता पोसता है। लेकिन सरकार ने जानवरों पर अत्याचार की आड़ लेते हुए सर्कस में इन पर प्रतिबंध लगा दिया। जिसके चलते ही सर्कस  का वजूद देश मे खत्म होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि इसको लेकर कानून में अमेंडमेंट करे और सीमित संख्या में जानवरों को सर्कस में रखने की इजाजत दी जाए। सरकार चाहे तो समय समय पर सर्कस स्थल पर जाकर चेक कर सकती है। उनकी मांग है कि अगर सरकार उन्हें इजाजत देती है तो जानवर को जोड़े में रखने की इजाजत दे। इनके जो भी बच्चे होंगे, वो इन्हें वन विभाग को सौंप देंगे।

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