Haryana:करनाल के एक निजी हस्पताल में 3 से 4 दिन मौत के बीच जूझते हुऐ गाँव कैलाश के बनवारी लाल धानिया ने आखिरकार 23 अक्टूबर को अँतिम सांस ली और प्रभु चरणों में विलीन हो गये। अचानक गम्भीर बीमार होने के कारण उनकी डायलेसिस करनी पड़ी लेकिन सेहत में सुधार होने की बजाय उनका स्वास्थ्य निरंतर ज्यादा ख़राब होता गया। अतत उनको वेंटिलेटर पर भी रखा गया लेकिन बनवारी लाल की स्तिथि ज्यादा ही क्रिटिकल होती गई।
उनके बेटे रविंदर धानिया ने डॉक्टरों से अपने पिता के ठीक होने की बात पूछी तो डॉक्टरों ने उनको स्पष्ट कर दिया कि उनके बचने की उम्मीद सिर्फ 1% ही हैं। लेकिन उसके कुछ घण्टों के बाद ही उनके पिता का देहांत हो गया। वह रोते बिलखते हस्पताल से बाहर आ गया फिर अपने आप को संभाला और अपनी इस अत्यंत दुख की घड़ी में भी अपनी बुआ जी के लड़के कुलदीप मेहरा जो चंडीगढ़ से सिर्फ उनकी देखभाल के लिए उनके पास करनाल आये हुए थे। उनको कहा कि भाई मैं चाहता हूँ कि मैं पापा की आँखें डोनेट कर दूँ जो किसी अन्य दूसरे मरीज के काम आ सके। आप किसी डॉक्टर, हस्पताल या संस्था से बात करके देख लो जिसको हम आँखे दान कर सके। उन्होंने कहा कि पापा तो अब नहीं रहें लेकिन मैं चाहता हूँ कि पापा के जाने के बाद उनकी आंखें किसी न किसी के जीवन को रोशन करें। इस प्रकार वह जिंदा न होते हुए भी अपनी आँखों से इस संसार को देखते रहेगें। मुझे और मेरे परिवार के मन में कहीं न कहीं यह सुकून भी रहेगा कि हमारे पापा इस संसार में अभी भी जीवित है।
तभी कुलदीप मेहरा ने किसी जानकार के माध्यम से माधव नेत्र बैंक करनाल में उनके वालंटियर्स चरणजीत बाली से सम्पर्क किया। उनको अपने ममेरे भाई रविंद्र धानिया द्वारा उनके पिता बनवारी लाल जी की मरणोपरांत आँखे दान करने की इच्छा बताई। रविंदर ने समाज में अंगदान को बढ़ावा देने के लिए अपने पिता की आंखें समाज सेवा के लिए माधव नेत्र बैंक करनाल में चरणजीत बाली एवं अनु मैदान को दान कर दी, ताकि वह आँखे किसी के अंधकार भरे जीवन को रोशन कर सकें।
इस पर माधव नेत्र बैंक के चरणजीत बाली ने कुलदीप मेहरा को कहा कि मैं कैलाश गांव के रविन्द्र धानिया सहित उनके सम्पूर्ण धानिया परिवार का आभारी हूँ और उनके इस महादान के लिए इनके परिवार के सभी सदस्यों के अच्छे स्वास्थ्य एवं लंबी आयु की कामना करता हूँ इन्होंने अपनी अत्यंत दुःख की घड़ी में भी नेत्रदान जैसे महादान का पुनीत कार्य कर संपूर्ण समाज को गौरवान्वित कर परोपकार का अनोखा उदाहरण स्थापित किया है।
बनवारी लाल धानिया करनाल के हॉर्टिकल्चर डिवीज़न से वर्ष 2019 में बतौर जूनियर इंजीनियर रिटायर हुऐ थे। उनके दो बेटे और दो बेटियाँ है सभी शादीशुदा है। उनके बड़े बेटे रविंद्र धानिया की बसंत विहार करनाल में धानिया टैंट हाउस के नाम से दुकान है जबकी उनके छोटे बेटे विकास कुमार हरियाणा स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट में फेंसिंग कोच है।
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