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सरकार पर जमकर बरसे स्टेट अवार्डी समाज सेवी सरदार आलमजीत सिंह मान

 सरकार पर जमकर बरसे स्टेट अवार्डी समाज सेवी सरदार आलमजीत सिंह मान


 

26 जनवरी को किसान आंदोलन की प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किला पर जो हुआ। उस ने सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। हुक्मरान इस पूरे दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम के लिए किसान आंदोलन के अगुआ लोगों को बता रही है और यह तोहमत लगा रही। जबकि मेरा अपना मत भी एक मत है कि इस आंदोलन के लिए जिम्मेवार सरकार ओर उसका सरकारी तंत्र है। काबिलेगौर है कि यदि किसान,मजदूर हिंसात्मक होते तो दो महीने से ज्यादा दिनों तक बेरहम मौसम, ठंडी जमीन और सर्द हवाओं में अपनी बजुर्ग माताओं, बहनों, बच्चों ओर परिवार के साथ बैठ कर प्रर्दशन नही करते, ओर न ही शांतिपूर्ण तरीके से अपनी ट्रैक्टर परेड निकालने की बात करते। वैसे तो मोटे तौर पर देश के गृहमंत्री को इस घटना के बाद उस आधार पर इस्तीफा देना चाहिए था जिससे नैतिकता कहा जाता है लेकिन वर्तमान सरकार का नैतिकता से कोई लेनादेना नही है। भाजपाइयों मे इस्तीफे जैसी बात को केवल दूसरों के लिए माना जाता है। यह साफ और स्पष्ट रूप से सरकारी नाकामयाबी है। गृहमंत्री अमित शाह के पास सारा इंटेलिजेंस और खुफिया तंत्र मौजूद है। खुफिया तंत्र के ने इस होने वाले घटनाक्रम की जानकारी नहीं दी हो ऐसा हो नही सकता। अब दो बातें विचारनीय है क्या सरकार को पता नहीं था कि ऐसा हो सकता है? सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक करके वाहवाही लूटने वाली सरकार अपने ही घर में नाकारा साबित हो गई। यदि सरकार को पता था तो कार्रवाई रोका क्यों नहीं? कलंक की यह ऐसी कालिख भारतीय लोकतांत्रिक के मुंह पर पोती गई है, जिसको आंखों के आंसू भी सदियों तक भी नहीं धो सकेंगे। एक वीडियो वायरल हुआ जिसमे 20 के लगभग सरकारी कर्मचारी पकड़े गए हैं। जो हिंसा फैला रहे थे। क्या सरकार इस बाबत कोई संज्ञान लेगी? चाहे किसान, मजदूर अन्नदाता हो या ना हो, लेकिन इंसान तो है और देश का नागरिक भी है। कुछ लोग द्वारा बार-बार एक ही बात दोहराई जा रही है कि तिरंगे का अपमान हुआ है। वो एक बात जान ले कि जिनके बच्चों की लाशें तिरंगे में लिपटकर आती हैं, उन्हें तिरंगे का सम्मान और महत्व ज्ञात है। तिरंगे के अपमान को लेकर नकली टेसुए बहाने वाले जाहिल से पूछे कि नाकाम, निकम्मी, नकारा सरकार और उसका सारा पुलिस तंत्र उस व्यक्ति को क्यों नहीं ढूंढ पाया जिसने यह घटिया काम को अंजाम दिया। क्या सरकारी तंत्र उसे बचाना चाहता है या फिर डरता है कि कहीं पोल ना खुल जाए। किसान अपनी जमीन, फसल ओर चौपट होते भविष्य को लेकर चिंतित है। और साहब और उसके अनुयायी जान ले कि अंबानी और अडानी को खेती करके फसल पैदा नहीं करनी, यह काम तो किसान ओर मजदूर ही करेगा और सबसे बड़ी बात किसान के लिए धरती मां समान हैं ओर अपनी मां के आत्मसम्मान का अपमान किसान तो क्या कोई इंसान भी नहीं सहेगा, इसलिए इस आंदोलन के हर एक पहलू की बारीकी से जांच की जाए और तिरंगे का अपमान करने वाले दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए क्योंकि मुझे पूरा यकीन है की किसान आंदोलन की आड़ में इस घटना को अंजाम देने वाला किसान नही शैतान है और शैतान हर युग में सजा का हकदार है। ओर हुक्मरान जान लें कि किसान ओर मजदूर अपना हक लिए बिना नहीं हटने वाला। चाहे सरकार जितना जोर लगा ले।

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