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मोटापे को हलकेपन से लेना हो सकता है खतरनाक : डाक्टर अमित गर्ग

चंडीगढ।  फरबरी 2021,डाक्टर अमित गर्ग ने आज कहा है कि मोटापा को हलकेपन से नही लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हाल ही में किए गए शोधों से यह साबित होता है कि यदि किसी व्यक्ति को मोटापे के अलावा कोई और बीमारी नहीं है तो उसे भी गंभीर कोविड बीमारी होने का रिस्क ज्यादा होता है। असंयमित मधुमेहनींद न आने (स्लीप एपनिया) की बीमारी को झेल रहे मरीज जिनका वज़न भी ज्यादा हो उन्हें सांस की कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पडता है जिसके कारण उनकी मौत तक हो सकती है।  

एक पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए डाक्टर अमित गर्ग ने कहा कि  उन व्यक्तियों में जिनका बाडी मास इंडेक्स तीस से ज्यादा होता है उनके लिए कोविड होने पर ज्यादा जटिलताएं होने का खतरा पैदा हो जाता है। हाल की शोधों से यह भी साबित होता है कि मोटापा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है, जिससे बीमारियां होने का और ज्यादा खतरा पैदा हो जाता है। 

वास्तव में कोविड 19 के दौर में मोटापा गंभीर बीमारियों के लिए एक बडे रिस्क फैक्टर के रूप में सामने उभरकर आया है।  कई स्वतंत्र शोधों से यह भी पता चला है कि मोटापे से ग्रसित कोविड 19 के मरीज़ गंभीर बीमारियों के प्रति और ज्यादा रिस्क पर होते हैं। उ्न्हें अस्पताल में भरती होने या फिर उनकी मौत तक होने की संभावना ज्यादा होती है।  कोविड 19 महामारी ने पुरी दुनिया के सामने नई चुनौतियों को पेश किया है। हमारे संस्थानों व स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल असर लंबे समय तक दिखाई देगा। 

 मोटापा से ग्रसित व्यक्तियों की बडी संख्या हर एक के लिए बडी चुनौती बन गई है।   इसके लिए यह जरुरी है कि हम मिलकर अपने खानपान के तौर तरीकों में सुधार करके इससे निपटने के लिए तैयारी कर सकते हैं जो कि हमारे भविष्य के लिए जरूरी है। डाक्टर गर्ग ने कहा है कि मोटापा एक जटिल बीमारी है। जो कि व्यक्ति के मानसिकशारीरिक व सामाजिक व आर्थिक जीवन को प्रभावित करती है। इस बात के बावजूद कि मोटापा सामान्य बात नहीं है इससे ग्रसित लोग डाक्टरों से कम ही सलाह लेते हैं।  डाक्टर अमित गर्ग ने कहा है कि भारत में 60 प्रतिशत मरीज से 10 वर्षों तक वजट घटाने के लिए मेडिकली साउंड प्रोसीसर्ज के लिए डाक्टरों के पास जाते हैं। आमतौर पर इ्न मरीजों में दो से तीन को मार्बिडीटिज  के लक्षण सामने आते हैं जैसे कि डायबिटीज । डाक्टर गर्ग ने कहा है कि उन्होंने अपनी प्रेक्टिस मे इनफर्टिलीटीडिप्रेशनएनएएफएलडीकिडनी फेलरकैंसर,स्लीप एपनिया और हार्ट अटैक आदि के लक्षण मोटापे से ग्रस्त मरीजों में ज्यादा देखें हैं। 

डाक्टर गर्ग ने कहा है कि “ यदि  मोटापे का सही तरीके से इलाज कर दिया जाए तो फिर  कई तरह की मार्बिडीटीज में भी सुधार होने लगता है, उदाहरण के लिए  बेरियाट्रिक सर्जरी मोटापे के रोगियों में टाइप डायबिटीज को नियंत्रित करने में मददगार साबित होती है, इसके अलावा यह कई तरह की बीमारियों को भी दूर करने में मदद करती है, उन्होंने इस बात पर जोर दिया की बेरियाट्रिक सर्जरी के बाद वजन के रखरखाव के लिए कार्यक्रम का अनुपालन और समय पर डॉक्टरी सलाह इस सर्जरी की सफलता के लिए आवश्यक है। ”

डॉक्टर गर्ग ने बताया कि मोटे लोग समस्या पैदा होने के पहले ही स्वतप्रेरित होकर बेरियाटिक सर्जरी के बारे में डाक्टरों से सलाह ले सकते हैं। ज्यादातर मरीज बेरियाट्रिक सर्जरी के बारे में तब सलाह लेते हैं जब उनको टाइप डायबिटीज  या फिर  स्लीप एपनीया की बीमारी हो जाती है या डाक्टर उनके घुटने बदलने की सर्जरी करने से इनकार कर देते हैं। इसलिए मरीजों को चाहिए कि वे खुद ही अपने स्तर पर बेरियाट्रिक सर्जरी के बारे में सलाह ले। यदि किसी व्यक्ति का लगातार वजन बढता है तो उसे डाक्टरों से तुरंत सलाह लेना चाहिए। 

डॉक्टर गर्ग ने कहा कि वे अपने अनुभवों से कह सकते हैं कि ज्यादातर मरीज आर्थिक चिंताओं के कारण मोटापा के इलाज से बचते हैं।  लेकिन अब बीमा कंपनियां भी मोटापे के  इलाज में मदद कर रही हैं।  उन्होंने कहा कि हालांकि  मोटापे के इलाज के बारे में बड़े पैमाने पर भ्रामक सूचनाएं फैली हैं लेकिन  सही व वैज्ञानिक तरीके से इलाज कराया जाए तो यह बहुत प्रभावी है। 40 से ज्यादा बीएमआई या 35 से ज्यादा बीएमआई वाले मरीज़ जिन्हें मोर्बिडीटीज हैं उन मरीजों के लिए सर्जरी सबसे अच्छा विकल्प है। नई आईआरडीएआई रेगुलेशन के अनुसार बीमा कंपनियों को भी इसके इलाज का खर्चा देने के लिए बाध्य कर दिया गया है।  

केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना बेरियाट्रिक सर्जरी के लिए मरीजों को इलाज के खर्च की भरपाई नवंबर 2013 से कर रही हैं। आईआरडीए ने भी यह स्पष्टीकरण जारी किए है कि सभी सरकारी व निजी बीमा कंपनियां वेट लास सर्जरी को भी अपनी बीमा पालिसीज में शामिल करेंगी।  

अपने स्वास्थ्य बीमाकर्ता द्वारा बेरिएट्रिक सर्जरी लागत को कवर करने के लिएनिम्नलिखित सभी शर्तों को पूरा करना होगा :

·         इस सर्जरी को मडिकल व  डायगोनिस्टक टेस्टिंग के द्वारा प्रमाणित होना चाहिए।

·         आपके उपचार करने वाले चिकित्सक को सर्जरी की सलाह देनी चाहिए।

·         सर्जरी कराने वाले बीमित व्यक्ति की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए और बीएमआई 40 से ज्यादा होना चाहिए।  

·         कोरोनरी हृदय रोगनींद बेकाबू टाइप -मधुमेहऔर यकृत रोग आदि मोटापे से संबंधित बीमारियों के लिए बीएमआई 35 से ज्यादा होना चाहिए।  

इस पत्रकार वार्ता में ऐसे कई मरीजों ने अपने अनुभव साझा किए जो बेरियाट्रिक सर्जरी या फिर मेटाबोलिक सर्जरी को करवा चुके हैं।

चंडीगढ के 58 वर्षीय बिजनेस मैन,  राजन जैनजिन्होंने मेटाबोलिक सर्जरी कराई वे कहते हैं कि, 'मैं उच्च रक्तचापटाइप मधुमेहरिफ्लक्स की समस्या और गंभीर बीमारी स्लीप एप्निया से पीडित था।  मैं विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के लिए एक दिन में लगभग 9-10 गोलियां ले रहा था। पोस्ट बेरियाट्रिक सर्जरी ने अब मेरी सारी दवाइयाँ बंद कर दी गई हैं। मैंने 10 महीनों में लगभग 30 किलोग्राम वजन कम किया और अब बहुत सक्रिय जीवन जी रहा हूं।  

एक अन्य रोगीश्रीमती वंदना शर्माजो 54 वर्ष की हैंने अपना अनुभन  साझा करते हुए कहा कि "151 किलोग्राम के वजन के कारण मैं छोटी दूरी तक भी नहीं चल पाती थी। मुझे स्लीप एपनिया था और मैं बिस्तर पर भी लेट कर सो नहीं पाती थी और मैं बैठने की स्थिति में सोफे पर ही सोती थी। बैरिएट्रिक सर्जरीकराने के बाद  मेरी स्लीप एपनिया  और  बीपी की समस्या हल हो गई। मैंने एक साल में 74 किलोग्राम वजन कम किया और पूरी तरह से स्वस्थ हूं और सामान्य व सक्रिय जीवन जी रही हुँ। 

40 वर्ष के रमिंदर बस्सी ने बेरियाट्रिक सर्जरी के बाद लगभग 37 किलोग्राम वजन महीने के भीतर काम किया हैउन्होंने कहा, "मैं जीवन के प्रति उदासीन था और जीवन काटना बहुत मुश्किल लग रहा था। मुझे टाइप मधुमेहउच्च रक्तचापस्लीप एपनिया और अवसाद जैसी वीमारियां थी। सर्जरी के बादजीवन बेहतर हो गया है। मेरी सभी मेडिकल परीक्षण रिपोर्ट अब सामान्य हैं और मैं सभी बीमारियों से दूर हूं। मैं बहुत ऊर्जावान और खुश महसूस करता हूं ।"

25 साल के सुखमनप्रीत सिंह ने बताया कि, "मेरा वजन 208 किलोग्राम था और मैं अपना वजन उठाने में असमर्थ था। आहार और व्यायाम के माध्यम से वजन कम करने की कोशिश की लेकिन घुटने में चोट लग गई। मैं कोलेस्ट्रॉल व स्लीप एनीयिा से पीडित था। बैरिएट्रिक सर्जरी ने मेरी जान बचा ली। मैंने कैशलेस बीमा के माध्यम से सर्जरी कराई। मैंने महीने में 33 किलोग्राम खो दिया है। जल्द ही मैं अपने स्वस्थ वजन तक पहुँच जाऊँगा। 

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