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रिश्ते

रिश्ते

हमारा अंश जब से माँ के गर्भ में आता है

उस पल से ही रिश्तों का जन्म हो जाता है

पापा की बेटी आएगी,  दादा का पोता आएगा

घर में चारोँ ओर ऐसा ही रिश्तों का शोर मच जाता है।

 

रिश्तों की डोर से तो हम जन्मों-जन्म से बंधे आते हैं

कई बार जीवन के सफर में, ऐसे अनजान लोग मिल जाते हैं

जिनसे हम अलग ही प्रेम और लगाव पाते हैं

और वही लोग हमारे पक्के दोस्त बन जाते हैं

उनसे मिलने के बाद मुहं से निकल ही जाता है

लगता है हमारा तुम से पिछले जन्म का नाता है

 

जहां रिश्तों में प्यार और विश्वास होता है

वहां सुख और समृद्धि का वास होता है

ऐसे रिश्ते खुशियों से भरपूर होते हैं

और हमारे समाज का गुरूर होते हैं।

 

जब जीवन में कभी मुश्किल समय आता है

रिश्तों का भेद तभी समझ आता है

हमारा किससे कितना नाता है

निर्भर करता है  मुश्किल समय में

कौन कितना साथ निभाता है।

 

रिश्ते खट्टी-मीठी यादों से भरपूर होते हैं

पर फिर भी हम अपनों से कहां दूर होते हैं

खट्टी यादों को भूलने में ही समझदारी है

मीठी यादों के साथ आगे बढ़ना ही

रिश्तों के साथ सच्ची यारी है।

कामिनी गर्ग

मोहाली (पंजाब)

youtube channel : zindagi ke tajurbe

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