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करोड़ों रुपये की संपत्ति को दबाने के लिए अगवा करवाकर और 3 घंटे तक अवैध रूप से हिरासत में रखा

- पंजाब जांच ब्यूरो के पूर्व निदेशक बी चंद्रा से न्याय की उम्मीद जागी थी, लेकिन गोलीकांड के आरोपियों को बचाने के लिए राजनीतिक दबाव में रातों-रात जांच बदल कर  बीओआई (हाई अथॉरिटी) से एसएसपी कपूरथला को चिन्हित कर दी गई। इस पूरे मामले के पीछे सतनाम सिंह संधू मोहाली/चंडीगढ़ से करवा रहा करवाई। इस से जान माल का खतरा:- इंग्लैंड निवासी सुखजीत सिंह धालीवाल
 मैं सुखजीत सिंह धालीवाल कपूरथला और इंग्लैंड का रहने वाला हूँ। हमारी संपत्ति को दबाने के लिए मुझे मारने के लिए मुझ पर कई बार हमले हो चुके है। भूमाफिया से जुड़े कुछ लोग जिनमें पूर्व सीएम कैप्टन का खास ओएसडी संदीप संधू और कुछ पुलिस अधिकारी, सतनाम सिंह संधू और कुछ अन्य लोग हमारी ज़मीन (हमारी जमीन पर कॉलेज बनाना चाहते हैं) को दबाने के लिए मिलीभगत करके आरोपियों की मदद कर रहे हैं और मुझे और मेरे परिवार को झूठे मामलों में फंसाने की धमकियां मिल रही है और उन्होंने मुझे मोहाली पुलिस के द्वारा   संघा की फैक्ट्री से अगवा कर अवैध रूप से नाहर चौकी हवालात में तीन घंटे तक हिरासत में रखा ताकि मैं देश छोड़ कर भाग सकूं।
सतनाम सिंह संधू अपने पैसे और रुतबे के बल पर कोई करवाई नहीं होने दे रहा। विधानसभा चुनाव 2022 में मैने आम आदमी पार्टी के पक्ष में प्रचार किया और केजरीवाल के  ओर से मुख्य मंत्री के चेहरे के चुनाव के लिए जारी किए गए नंबर पर भगवंत मान के पक्ष में इस उम्मीद के साथ मतदान किया कि नई पार्टी की सरकार आने पर पंजाब के हर नागरिक के साथ न्याय होगा।
गौरतलब है कि वर्ष 2017 में विपक्षी दल के भाड़े के बदमाशों से मुझे जान से मरने के लिए मेरे पर गोली चलवाई गई थी। घटना के तुरंत बाद पुलिस को सूचित किया गया, लेकिन राजनीतिक दबाव और स्थानीय पुलिस के साथ पूर्व योजना के चलते हमले को अंजाम दिया गया। जिसके चलते कपूरथला पुलिस ने 2 दिन की देरी से केस दर्ज किया और बाद में इस आधार पर पुलिस टीमों ने आरोपियों को क्लीन चिट दे दी, क्योंकि इसमें सतनाम संधू का हाथ था। जिसके मेरे पास काफी सबूत हैं।  मैंने पुलिस की झूठी सिट की रिपोर्ट का जवाब तैयार कर सबूतों, गवाहों के साथ एक दरखास्त पंजाब के माननीय निदेशक ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन को दे थी। जिसपर उनकी  ओर से स्पेशल इन्वेटिगेशन टीम क्राइम चंडीगढ़ में बनाई गई थी।
इस एसआईटी में मैंने अपने गवाह पेश किए। एसआईटी के समक्ष ऐसे दो गवाह पेश हुए जिन्हें विरोधी पक्ष के आरोपियों के पास नौकरी करते थे। इन गवाहों ने मौके पर ही अपने बयान दर्ज कराए और पुलिस ने इन गवाहों से पूछताछ के दौरान गवाहों ने पुलिस पार्टी के साथ जाकर गोली मारने की घटना में प्रयुक्त कार की पहचान की, जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया और माननीय कपूरथला कोर्ट में गवाहों के 164 के तहत बयान दर्ज करवाए गए और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए उनके ठिकानों पर छापेमारी की गई। इस बीच मुझे विरोधी पक्ष की ओर से धमकी मिली कि ' हमारी पंजाब पुलिस के बड़े  अधिकारी और मौजूदा राजनीतिक लीडर से बात हो गई है, तुम हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते, हमने जाँच बदलवा लेनी है'। यह बात सच सब्त हुई।
जिक्रयोग है कि दिनांक 28-08-2022 को मैं माननीय वर्तमान डीजीपी पंजाब को अपना वीडियो संदेश  उनके व्हाट्सएप नंबर पर भेजा था कि मुझे धमकी मिली है कि मेरी जाँच बदल दी जाएगी।  लेकिन फिर भी मेरे मुक़दमे (गोली कांड सबंधी) फाइल तुरंत बीओआई से एसएसपी  कपूरथला को चिन्हित कर दी गई। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि एआईजी  क्राइम ब्रांच (बीओआई) द्वारा आरोपियों के खिलाफ बनाई गई रिपोर्ट भी गायब कर दी गई।
 इसके बाद मैं इस मामले को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री श्री भगवंत मान के दफ्तर जाकर उनके पीए दलजीत सिंह व श्री नवराज सिंह बराड़ पीसीएस अधिकारी को कई बार मिला और अनुरोध किया कि मेरे मामले की जांच बिना किसी राजनीतिक दबाव के ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन पंजाब के कराकर न्याय किया जाए और यह भी मांग की कि मुझे पंजाब के मुख्यमंत्री श्री भगवंत मान से मिलने का समय दिया जाए जो नहीं दिया गया।
मैंने इस मामले सबंधी मुख्यमंत्री पंजाब कार्यालय में पेश होकर और ई-मेल के माध्यम से कई बार अपनी दरखास्त दे चूका हूँ। मैंने उनसे मिलने का समय मांग चूका हूँ। मैं पंजाब के गृह सचिव से मिल चुका हूं, लेकिन मुझे कहीं से भी न्याय नहीं मिला है।  जिससे मुझे यकीन हो गया था कि पहले की तरह अब भी अफसरशाही और नेता आपस में मिले हुए है और मुझे नुकसान पहुंचाने के फ़िराक में है।
अब एस.एस.पी  कपूरथला के ओर से राजनीतिक दबाव के चलते आरोपियों को बचाने के लिए एसपीडी  कपूरथला की निगरानी में एसआईटी का गठन किया गया है, जिन्होंने ने मुझे गोलीकांड के मुकदमे के संबंध में अपने गवाहों के साथ पेश होने के लिए सम्मन भेजा है।  हैरानी की बात यह है कि मेरे गवाहों ने आरोपी के खिलाफ लगभग 7-8 बार विभिन्न वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और बीओआई की ओर से  माननीय कपूरथला कोर्ट में 164 गवाहों के बयान भी हो चुके हैं। अब दोबारा गवाही के लिए गवाहों को बुलाने की जरूरत नहीं बनती है। जानबूझकर मुझे और मेरे गवाहों को परेशान किया जा रहा है ताकि वे गवाही देने से मुकर जाएं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मामले की जांच जिले के कनिष्ठ अधिकारी से लेकर पंजाब पुलिस मुख्यालय चंडीगढ़ के उच्चाधिकारियों तक टन सुनी थी, लेकिन मेरे मामले में यह पहली मामला है जब एआईजी क्राइम ब्रांच की टीम आरोपियों को पकड़ने के लिए छापेमारी कर रही थी और गोली मारने की घटना से जुड़ी कार को भी पुलिस ने हिरासत में लेकर थाना सिटी कपूरथला भेज दी थी और इस करवाई को बंद करके डीजीपी पंजाब ने मामले की जांच कपूरथला पुलिस को भेजी दी, जहां मुझे न्याय मिलने की कोई उम्मीद नहीं है।
पिछले पांच साल से इस मामले को इसी तरह दबाया जा रहा है, क्योंकि इस मामले में पुलिस को मौका वारदात वेले दिन और उसके अगले दिन की जो कॉल डिटेल पुलिस ने हासिल की थी, उससे साबित होता है कि मोहाली के सतनाम सिंह संधू के फोन नंबर का आरोपियों से बात करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था और यह व्यक्ति अपने पैसा की जोर से राजनीतिक नेताओं और पुलिस अधिकारियों के मिलवर्तन रखता है और अपनी पावर के बल पर आरोपियों को बचाता रहा है। 
 
क्योंकि आरोपी गोलीकांड की इसका नाम नाम भी ले सकता है। क्योंकि अब मेरे पास पक्के सबूत है कि इस व्यक्ति के विरोधी पार्टी की साथ क्या संबंध है और यह व्यक्ति ऐसा क्यों कर रहा है। इसके साथ मेरी  फोन पर भी बात हो चुकी  है और उन्होंने यह भी पता लगाने की कोशिश की है कि मेरे पास उनके खिलाफ कौन से वीडियो और सबूत हैं, जिनसे उन्हें फंसाया जा सकता है। एक मौजूदा प्रमुख पद पर तैनात आईएएस अधिकारी ने मुझे अपने कार्यालय में बुलाया और कहा कि आप विदेश चले जाइए, सतनाम संधू की बहुत राजनीतिक पहुंच रखते हैं, इससे आपको जान और माल का नुकसान हो सकता है या आपको झूठे मामले में फंसाया जा सकता है।

क्योंकि पूरी अफसरशाही आरोपियों के खिलाफ मुकदमा नं. 60/22 अ/ध  420 व धना सिटी कपूरथला और मुकदमें नं,  31.3/22 अ/ध 420, 120-बी, 34-आई पीसी थाना डेराबस्सी, मोहाली में दर्ज है जो कि सीनियर आईपीएस अधिकारीयों ने जाँच की बाद दर्ज करवाए थे। मुकदमें नं. 227/17 अ/ध 307, 120-बी, 25 आर्म्स एक्ट तहत थाना सिटी कपूरथला में आरोपियों की खिलाफ दर्ज हैम के जांच को भी दबा दिया गया है।
सतनाम सिंह संधू ने अपने राजनीतिक पहुंच से आरोपियों को गिरफ्तारी से बचाया हुआ है और मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है। सतनाम संधू ने अपने खास आदमियों के जरिए मुझे संदेश भेजा कि मैं मीडिया के पास ना जाऊं, आपको आपका हिस्सा मिल जाएगा। यह वाकया इसकी यूनिवर्सिटी में जो वीडियो वायरल हुआ था की बाद का है। उन्होंने इस बात को दबाने की लिए मुझसे झूठ बोला कि मैं कुछ दिनों के लिए विदेश जा रहा हूं।
प्रेस के माध्यम से मैं श्री नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री भारत और श्री भगवंत सिंह मान, मुख्यमंत्री, पंजाब की ध्यान में लाना चाहता हूँ कि अगर मेरी जान या माल का कोई नुकसान होता है, तो इसके पीछे सतनाम सिंह संधू मुख्य रूप से जिम्मेदार होगा और मैं यह भी मांग करता हूं कि सतनाम सिंह संधू के कारोबार की जांच की जाए कि इसने कुछ सालों में करोड़ों की संपत्ति कैसे बना ली और इसके विश्वविद्यालय में जो जो कांड हुए है, जिसमें एक मामला एक छात्रा की आत्महत्या, छात्राओं के वायरल वीडियो, छात्राओं के छात्रावास प्रबंधन में लापरवाही की बारे में सीबीआई से जांच करवाई जाये, क्योंकि स्थानीय प्रशासन इसके नियंत्रण में काम करता है। मै पंजाब की मुख्य मंत्री श्री भगवंत सिंह मान से मांग करता हूँ कि मुझे मिलने का समय दिया जाये, तांकि मै अपना पक्ष रख सकूं।    

उक्त मामले से संबंधित किसी भी प्रकार के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए मेरे वकील श्री विश्वदीप सिंह राणा, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मोबाइल नं.  97808-01167 पर संपर्क कर सकते हैं।

इस मामले में जब सतनाम सिंह संधू से बात की गई तो उन्होंने इन सभी आरोपों से इनकार कर दिया।

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