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दिगम्बर जैन मंदिर सेक्टर 27B में आयोजित पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव एवं विश्व शांति महायज्ञ बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया

Chandigarh:आचार्य श्री 108 सुबल सागर जी महाराज जैन संत परम पूज्य आचार्य श्री सुबलसागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में और चंडीगढ़ दिगम्बर जैन मंदिर सेक्टर 27B में आयोजित पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव एवं विश्व शांति महायज्ञ के दूसरे दिन उत्तरार्द्ध गर्भ  कल्याणक महोत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया।
इस अवसर पर प्रात: कालीन सौधर्म इन्द्र सहित सभी इन्द्रों ने प्रभु का अभिषेक, शांतिधारा कर अपने जीवन को धन्य किया । 29 नवंबर को होने वाली भव्य जैनेश्वरी दीक्षा को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में बाहर से भक्तगण पधार रहे है। प्रातः कालीन बेला में भाईओं ने गणधर वलय विधान किया, जिसमें 64 ऋद्धि घारी आचार्यों भगवंतों की वन्दना पूजा सम्पन्न हुई। दीक्षार्थी भाईयों ने अंतिम बार  गुरूवर का परगाहन कर आहार दान दिया और फिर स्वयं ही कर पात्रों में एक बर्तन में ही आहार का अभ्यास किया । दोपहर दो बजे से माता की गोद भराई का कार्यक्रम सम्पन्न होगा, तत्पश्चात् दीक्षार्थीओं की भी गोद भराई होगी और हल्दी की रस्म भी सम्पन्न होगी 
आचार्य श्री ने धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि विश्व में हजारों-करोड़ो नानियाँ है लेकिन तीर्थकर भगवान की माता बनना कोई सामान्य बात नहीं विशेष साअतिशय पुण्य के होने पर ही संभव है। जब भगवान भगवान नहीं थे तब हम जैसे ही थे। तब उन्होंने भेदविज्ञान करते वस्तु तत्त्व का विचार किया कि मैं कौन हूँ, मेरा क्या है। उन्होंने सोल‌ह कारण भावनों को भाया अर्थात् तीर्थंकर भगवान बनने का उधम नहीं किया, मात्र दर्शन विशुद्धी, विनय आदि रूप शुभ भावनाओं का बार-बार हदय में करते थे। उन भावनाओं के कारण ही वह तीर्थंकर बने ! तीन लोक, तीन काल में प्रत्येक जीव का कल्यान हो,  प्रत्येक जिव सुखी रहे कही भी गरीबी न हो इस प्रकार का भावना निरंतर प्रतिक्षण करते हैं।
29 नवंबर को प्रातः कालीन 8:30 बजे से भव्य दीक्षा का प्रोग्राम आचार्य श्री गुरुवर के कर कमलों से 3 भाईयों को दीक्षा दी जाएगी। इस संसार मार्ग से वैराग्य मार्ग की अनुमोदना करने के लिए बहुत से श्रावक गण बाहर से आए है। प्रातः कालीन 3:30 बजे कैशलोचन क्रिया होगी, जिसमें दीक्षा भाई अपने सिर व दाढ़ी मूछों के बालों को अपने हाथों से निकालकर अलग करगें फिर मंगल स्नान के पश्चात् प्रभु का अभिषेक व शांतिधार कर, गुरुवर से दीक्षा प्राप्त करेंगे। इस वैराग्य दृश्य को देखकर हम भी संयम की भावना भाते हुए अपना भी मोक्ष मार्ग प्रशस्त करें। यह जानकारी संघस्थ बाल ब्र. गुंजा दीदी एवं श्री धर्म बहादुर जैन जी ने दी।

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