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एन.एच.एम कर्मचारियों की एक और ऐतिहासिक जीत

चंडीगढ़:--वर्ष 2019 में स्वास्थ्य विभाग, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, चंडीगढ़ में कार्यरत डेटा एंट्री ऑपरेटर और डेटा प्रोसेसिंग असिस्टेंट के पदों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा भारत सरकार की तरफ से पदों की नामंजूरी का हवाला देते हुए नौकरी से निकालने के आदेश जारी कर दिए थे। कर्मचारियों द्वारा माननीय पंजाब हरियाणा उच्चन्यालय में याचिका लगाई और उन्हें कोर्ट द्वारा अंतरिम राहत देते हुए कोर्ट का फैसला आने तक नौकरी को बहाल रखा जाने के आदेश जारी हुए ।

प्रधान बबीता रावत द्वारा बताया गया कि कोर्ट के फैसले में यह दर्शाया गया है कि विभाग द्वारा सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण से जवाब जारी किया गया कि जब तक भारत सरकार की तरफ से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, चंडीगढ़ के तहत अन्य प्रोजेक्ट की तरह मंजूरी और ग्रांट आती रहेगी, हमें इन कर्मचारियों को बहाल रखने में कोई परेशानी नहीं है। 

यूनियन व सभी कर्मियों ने विभाग के इस सकारात्मक कदम की सराहना की और सभी कर्मचारियों और उनके परिजनों में खुशी का माहौल है। आज कर्मियों द्वारा नोडल अधिकारी, डॉक्टर चारु से मिलकर उनका आभार व्यक्त किया और उनका मुंह मीठा करवाया ।

दिनांक 31 जुलाई 2025 को माननीय उच्चन्यालय ने सभी 12 डेटा एंट्री ऑपरेटर और 2 डेटा प्रोसेसिंग असिस्टेंट के केस को डिस्पोज ऑफ करते हुए यह फैसला सुनाया कि सभी कर्मचारियों की नौकरी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत सुरक्षित रहेगी।

अमित कुमार, महासचिव ने बताया कि इस कैस की पैरवी में मुख्य रूप से मार्गदर्शक बिपिन शेर सिंह,चेयरमैन, ऑल कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी संघ और एडवाइजरी सदस्य, एडवोकेट भूपिंदर सिंह गिल और एडवोकेट विकास सिंह का रोल रहा। कर्मियों में उत्साह है कि अब किसी कर्मचारी को बेवजह कारणों से परेशान नहीं किया जाएगा।



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