दिल्ली, 8 जनवरी 2024:सामाजिक कार्यकर्ता और व्हिसलब्लोअर गौतम अग्रवाल द्वारा प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली में देश में चल रहे बड़े शत्रु संपत्ति घोटाले और संदिग्ध आतंकी फंडिंग के बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
पत्रकारों को जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश में 16 हजार के करीब शत्रु संपत्तियां (आजादी के समय पाकिस्तान गए लोगों की भारत में रह गई संपत्तियां) है, जिनको पाकिस्तान में रह रहे लोगों द्वारा यहां के लोगों और अफसरों के साथ मिलकर बेचा जा रहा है। ज्यादा जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के बाद इन संपत्तियों के मालिक 1952-53 में भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए और वहां के नागरिक बन गए।
उन्होंने कहा कि अब उनकी जो संपत्तियां इधर रह गई थी, उन पर भारत सरकार का कब्जा होना चाहिए था, लेकिन इस के उल्ट पाकिस्तान के लोग उधर बैठकर भारत में रह गई संपत्तियों का सौदा कर रहे है। उन्होंने कहा कि मुंबई और महानगर में ऐसी सबसे ज्यादा संपत्तियां है, जिनपर भू-माफिया कब्जा कर रहा है या यहां के कुछ लोग पाकिस्तानियों से मिलीभगत करके बेच रहे है।
उन्होंने मीरा रोड क्षेत्र की घटना बताते हुए कहा कि यहां की एक संपत्ति का सौदा पाकिस्तानी परिवार भारत आकर कर गया और प्रशासन को इसका रजिस्ट्रेशन के बाद पता चला। इसके बाद उनकी शिकायत पर सरकार ने इस प्रॉपर्टी के लिए कानूनी कार्रवाई शुरु की, जिसका केस हाइकोर्ट में चल रहा है। अब एन आई ऐ, सी बी आई और ई डी ने इस पर जाँच शुरु की हुई है।
उन्होंने यह भी बताया कि 2012 में इस प्रॉपर्टी सबंधी दुबई में पाकिस्तान से आए लोगों के साथ डील हुई थी और हवाला राशि का लेन देन हुआ था। उन्होंने कहा कि 2013 में डेवलपमेंट एग्रीमेंट हुआ, जिसमें लिखा गया कि उन्होंने 2012 में यह प्रॉपर्टी खरीदी है। उनका ये मुद्दा मुंबई से नजदीक लगते मीरा भेंदेर या महाराष्ट्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देशव्यापी अति संवेदनशील मुद्दा देश सुरक्षा और देश हित से जुड़ा है। क्योकि जो दो कंपनियां ए ए कारपोरेशन और जे पी इंफ़्रा इस घोटाले में शामिल है, उनमें आनंद अगरवाल, हरीश मोंटू अगरवाल, राम प्रकाश अगरवाल, जॉर्डन प्रेहेरा, दिलेश शाह और विजय जैन शामिल है, के संबंध पाकिस्तान में बैठे भारत के मोस्ट वांटेड आतंकी दाऊद अब्राहिम और उसके भाई मुस्तकीम से है।
यह बात अभी हाल ही में महाराष्ट्र विधान सभा में मुंबई के बी जे पी, प्रदेश अध्यक्ष माननीय आशीष शैलार ने सबूतों के साथ विधानसभा के पटल पर रखा था, जिस पर माननीय ग्रहमंत्री और उपमुख्य मंत्री देवेंदर फडणवीस ने दो महीनो के भीतर इसकी जांच के आदेश दिए है।
उन्होंने कहा कि शत्रु प्रॉपर्टी घोटाले का विषय माननीय विधायक महादेव जी जानकर ने भी उठाया था, जिसपर उच्च सदन की सभा पति महोदय मति नीलम गोहरे जी ने जांच के आदेश दिए है।
उपरोक्त जानकारी से मेरे द्वारा फरवरी 2022 से ए ए कारपोरेशन के आनंद अगरवाल, हरीश मोंटू अगरवाल, राम प्रकाश अगरवाल जॉर्डन प्रेहेरा और दिलेश शाह व जे पी इंफ़्रा के मालिक विजय जैम, जिन पर मैने शत्रु संपत्ति घोटाले व सस्पेक्टेड टेरा फंडिंग के आरोप लगाए थे। उस मुद्दे को आशीष शिलर ने सबूत देकर ये सत्यापित कर दिए कि इन लोगों के दाऊद अब्राहिम और महादेव बेटिंग एप से जुड़े लोगो से संबंध है और ये लोग देश विद्रोही गतिवधिओं में शामिल हो सकते है।
उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री नरिंदर मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से प्रार्थना और अपेक्षा करता हूं कि किसी भी देश विरोधी गतिविधि में शामिल लोगों की निष्पक्ष जांच करवाएं और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।
गौरतलब है कि आजादी के 76 वर्ष बाद भी राज्य सरकार उस जमीन का मालिकाना हक नहीं ले सकी है जिसके मालिक साल 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए थे। पाकिस्तान जाने वाले इन लोगों की भारत में मौजूद संपत्ति को शत्रु संपत्ति (एनिमी प्रॉपर्टी) के नाम से जाना जाता है। दुश्मन की इस संपत्ति पर सरकार का कब्जा होना चाहिए लेकिन सरकार के ढुलमुल रवैये के चलते इन संपत्तियों पर भूमाफियाओं का कब्जा हो गया है। राज्य में कुल 11 जिलों में 462 शत्रु संपत्तियां हैं, जिनमें से मुंबई उपनगर में 181 और ठाणे में 90 संपत्तियों की निशानदेही हुई है। खास बात ये है कि अभी तक ज्यादातर संपत्तियों पर सरकार कब्जा नहीं कर सकी है। मुंबई से सटे काशीमीरा (मीरा रोड) इलाके में रहने वाले कुछ परिवार ऐसे भी हैं जो आजादी के समय देश छोड़कर पाकिस्तान चले गए, लेकिन उनकी संपत्तियों को गैरकानूनी तरह से बेच दिया गया। खबर है कि मीरा रोड की एक संपत्ति पर एक भूमाफिया की मदद से इसका सौदा भी हुआ है। पाकिस्तान गए एक परिवार के रिश्तेदार ने भारत आकर इस संपत्ति का सौदा भी कर दिया लेकिन प्रशासन को इसकी भनक तब लगी जब इस संपत्ति का रजिस्ट्रेशन हो गया। देशभर में ऐसी बहुत संपत्ति है।
*यहां है शत्रु संपत्ती*
शत्रु संपत्तियां मुंबई, संभाजीनगर, पुणे, पालघर और ठाणे सहित पूरे राज्य में फैली हुई हैं। मुंबई में परेल, मुंबई सेंट्रल, कोलाबा, गिरगांव, बांद्रा, वर्ली, कांदिवली और जुहू में शत्रु संपत्तियां हैं जिन पर राज्य सरकार की नजर है। जिनमें सिनेमाहाल, फ्लैट, खाली प्लॉट और जमीन शामिल हैं। केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देशभर में करीब 16 हजार शत्रु संपत्तियां हैं, जिनकी कीमत हजारों करोड़ रुपए है।
*जिन्ना का बंगला केंद्र के कब्जे में*
दक्षिण मुंबई के मलबार हिल इलाके में मोहम्मद अली जिन्ना का घर है। इस पर जिन्ना के रिश्तेदारों ने दावा ठोंका था, लेकिन मलबार हिल के विधायक मंगल प्रभात लोढा ने कानूनी लड़ाई लड़ी और अब ये प्रॉपर्टी केंद्र सरकार के पूर्ण कब्जे में है। गौरतलब है कि आजादी के बाद शत्रु संपत्तियों की देखरेख के लिए एनिमी डिपार्टमेंट का गठन हुआ था। जो शत्रु संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने का काम करता है।
*क्या होती हैं शत्रु प्रॉपर्टी*
1965 और 1971 के युद्ध के बाद भारत से पाकिस्तान में बड़ी संख्या में पलायन हुआ. जो लोग भारत में अपने घर व फैक्ट्रियां छोड़कर पाकिस्तान के नागरिक बन गए उनकी संपत्तियों को भारतीय रक्षा अधिनियम 1962 के तहत सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया. इन्हीं संपत्तियों को 'शत्रु प्रॉपर्टी' कहा जाता है।
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