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वेदों में भी अयोध्या को ईश्वर की नगरी बताया गया है: मंजू मल्होत्रा फूल



नौमी भौम बार मधुमासा । अवधपुरी यह चरित प्रकासा ।।
जेहि दिन राम जनम श्रुति गावहि। तीरथ सकल तहां चली आवहि।।

चैत्र मास की नवमी तिथि मंगलवार को श्री अयोध्या जी में यह चरित्र प्रकाशित हुआ। जिस दिन श्री रामजी का जन्म होता है वेद कहते हैं कि उस दिन सारे तीर्थ श्री अयोध्याजी में चले आते हैं।

अयोध्या हिंदुओं के सात पवित्र स्थलों में से एक है। सात पवित्र स्थल जिसमें अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, अवतिका और द्वारका शामिल है। आज सज रही है अयोध्या नगरी। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अयोध्या का नया इतिहास लिखा जा रहा है l 11 दिन के अनुष्ठान के पश्चात प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी अयोध्या में रामलाल की प्राण-प्रतिष्ठा में सभी भारतवासियों का प्रतिनिधित्व करेंगे । अनुष्ठान और प्राण-प्रतिष्ठा का कार्य समस्त भारतवासियों की हृदय की भावनाओं के अनुरूप विधि विधान पूर्वक संपन्न हो ऐसी ईश्वर से हम सब कामना करते हैं।
धन- धान्य व रत्नों से भरी अयोध्या नगरी की अतुलनीय छटा और गगनचुंबी इमारतों के अयोध्या नगरी में होने का वर्णन वाल्मीकि रामायण में मिलता है। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में जन्मभूमि की शोभा और महत्ता की तुलना दूसरे इंद्रलोक से की है। वेदों में भी अयोध्या को ईश्वर की नगरी बताया गया है और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। रामायण के अनुसार अयोध्या को प्रभु श्री राम के पूर्वज विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु ने बसाया था। यहीं पर प्रभु श्री राम का राजा दशरथ के महल में जन्म हुआ था। श्री राम की अवध भूमि और उस पर बने मंदिर की भव्यता देखते ही बनती थी।
 5 अगस्त, 2020 को मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जन्म स्थान सरयू के तट पर भव्य राम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन हुआ था। और अब दिनांक  22 जनवरी 2024 के शुभ दिन प्रभु श्री राम के बाल रूप नूतन विग्रह को, श्रीराम जन्मभूमि पर बन रहे नवीन मंदिर भूतल के गर्भगृह में विराजित करके प्राण -प्रतिष्ठा की जायेगी। इस अवसर पर अयोध्या में अभूतपूर्व आनंद का वातावरण होगा। 
आप सब भारतवासी भी प्राण प्रतिष्ठा के दिन  प्रातः 11 बजे से दोपहर 1 बजे के मध्य अपने आसपास के मंदिर में श्री राम नाम का सामूहिक जप,भजन कीर्तन, शंखध्वनि, आरती तथा प्रसाद वितरण करें, और अयोध्या का प्राण प्रतिष्ठा समारोह टेलीविजन अथवा कोई पर्दा स्क्रीन लगाकर समाज को दिखाएं। 
प्राण प्रतिष्ठा के दिन सायंकाल  सूर्यास्त के बाद अपने घर  के सामने देवताओं की प्रसन्नता के लिए दीपक जलाएं, दीपमालिका सजाएं, विश्व के करोड़ों घरों में दीपोत्सव मनाया जाए।

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