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मंडी में पिछले वर्ष तबाही लाने वाली बाढ़ के बाद सीड्स ने पुनः निर्माण के कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न किया

मंडी, 20 जनवरी, 2024: हिमाचल प्रदेश में पिछले वर्ष जुलाई और अगस्त 2023 में भारी बारिश के बाद भूस्ख्लन से हुई तबाही के मद्देनज़र, सीड्स (सस्टेनेबल एन्वायरनमेंट एंड इकोलॉजिकल डेवलपमेंट सोसायटी) ने अपनी आश्रय इंडिया फ्लड रिस्पॉन्स पहल के माध्यम से,तत्परता के साथ प्रभावितों के लिए राहत कार्यों की शुरुआतकीतथाइसकार्यकोप्रभावशालीरूपसेसंपन्नकिया। सीड्स ने मंडी में 20 ऐसे परिवारों की पहचान भी की जो इस तबाही में अपने घरों को ही नहीं बल्कि आजीविका के साधनों को भी खो चुके हैं।सीड्स ने इस सिलसिले में स्थानीय ग्राम प्रधानों और समुदायों के साथ मिलकर गहन आधार पर सर्वे करने के बाद इन जरूरतमंद परिवारों को चुना है जो समाज के हाशिए पर हैं।
पिछले साल मंडी में आयी अचानक बाढ़ का काफी प्रतिकूल असर पड़ा था, खासतौर से समाज के कमजोर तबकों तथा बुजुर्गों को इस तबाही ने बुरी तरह झकझोर दिया था, जबकि बच्चों एवं वयस्कों को इस विभीषिका ने मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित किया है। इस पृष्ठभूमि में, सीड्स को निर्माण के क्षेत्र में निवेश के अवसर दिखायी दिए और इसने राज्य में प्रभावित समुदायों के सशक्तिकरण के लिए मजबूत भागीदारी की शुरुआत की।

डॉ मनु गुप्ता, सह-संस्थापक, सीड्स ने मंडी जिले में बाढ़ प्रभावित वन भूमि क्षेत्र में बेघरों के लिए अस्थायी आश्रयों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया। इन अस्थायी आश्रयों (शैल्टर्स) न सिर्फ स्थानीय लोगों को भीषण सर्दी के प्रकोप से बचाया बल्कि भविष्य में आपदाओं के जोखिमों से निपटने के लिए उपयोगी जानकारी और आवश्यक कौशलों को भी उनके साथ साझा किया गया।

स्थानीय स्तर पर पंचायतों के साथ परामर्श और जमीनी मूल्यांकन के बाद, सीड्स ने कुछ जरूरी परियोजनाओं की पहचान की ताकि इस प्राकृतिक संकट से निपटा जा सके। अस्थायी शैल्टरों के जरिए लोगों की तात्कालिक जरूरतों को पूरा कर उन्हें सर्दी से सुरक्षा प्रदान की गई और साथ ही, इन गृह-स्वामियों को भी निर्माण संबंधी कौशलों को सीखने के लिए एक लर्निंग प्लेटफार्म उपलब्ध हुआ। कुल-मिलाकर, समाज के हाशिए पर गुजर-बसर करने वाले बेहद जरूरतमंद 20 परिवारों को, सर्दी के मौसम के मद्देनज़र,तत्काल अस्थायी शैल्टर प्रदान किया गया।

सीड्स 1994 से ही आपदाओं में प्रभावितों को राहत पहुंचाने के काम में सक्रिय भूमिका निभाती आयी है और हिमाचल प्रदेश में यह 2004-05 से कार्यरत है। सीड्स, हिमालयी क्षेत्रों में संभावित भूकंपों और भूस्खलनों के मद्देनज़र शोध, पारंपरिक जानकारी और बचाव आदि के बारे में उल्लेखनीय योगदान करता रहा है। सीड्स प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए, हिमाचल राज्य आपदा प्रबंधन योजना में महत्वपूर्ण पार्टनर है, और यह स्कूलों की सुरक्षा के लिए रेट्रोफिटिंग के साथ-साथ समुदायों को भी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारी से जुड़े कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभाता रहा है।

हिमाचल प्रदेश में जमीनी स्तर पर मौजूदगी और मजबूत पार्टनर नेटवर्कां के चलते, सीड्स ने सरकार से लेकर स्थानीय स्व-सहायता समूहों समेत विभिन्न हितधारकों के साथ मजबूत संबंध बनाए हैं। संगठन को भवनों की रैट्रोफिटिंग, फील्ड तकनीशियनों एवं मिस्त्रियों की क्षमता निर्माण, संबंधित प्राधिकरणों को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण देने, सामुदायिक स्तर पर जागरूकता कार्यक्रमों का संचालन करने और भूकंप में निकासी संबंधी अभ्यास कार्यक्रमों के संचालन की विशेषज्ञता हासिल है।

सीड्स आपदाओं के संकट से जूझने वाले क्षेत्रों में लोगों को सशक्त जीवन के लिए पुनः तैयार करने और उन्हें खुद को मजबूती के साथ तैयार रखने की संस्कृति अपनाने के लिए समर्पित है।

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