चंडीगढ़, 20 अगस्त 2025: मोहाली में रियल एस्टेट धोखाधड़ी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक फ्लैट खरीदार ने स्मर्ब होम्स प्राइवेट लिमिटेड और उसकी संबद्ध कंपनियों के खिलाफ स्थायी लोक अदालत का दरवाज़ा खटखटाया है। आरोप है कि कंपनी ने अधिकांश भुगतान लेने के बावजूद उनके अलॉटेड फ्लैट का कब्ज़ा नहीं दिया। पीड़ित खरीदार, दर्शन सिंह ने प्रोजेक्ट के प्रमोटरों पर न केवल उनकी संपत्ति रोकने बल्कि उसी ज़मीन को किसी अन्य पक्ष को बेचने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया।
चंडीगढ़ प्रेस क्लब में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में दर्शन सिंह ने कहा, “मैंने मोहाली के सेक्टर 91 स्थित स्मर्ब होम्स में 3बीएचके फ्लैट बुक कराया और कुल 36 लाख में से 30 लाख रुपए का भुगतान कर दिया। लेकिन आज तक मुझे कब्ज़ा नहीं मिला। इसके बजाय प्रमोटरों ने ज़मीन को दोबारा बेचने की कोशिश की और यहां तक कि मुझे 45 लाख रुपए का एक चेक भी दिया, जो बाउंस हो गया। यह सीधे-सीधे धोखाधड़ी और उत्पीड़न का मामला है।”
दर्शन सिंह ने आगे आरोप लगाया कि प्रशासन के कुछ तत्व भी इस धोखाधड़ी में शामिल हैं, क्योंकि तहसीलदार ने स्थगन आदेश के बावजूद विवादित ज़मीन को एक तीसरे पक्ष के नाम रजिस्टर कर दिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके साथ तीन अन्य पीड़ित खरीदार - जसबीर सिंह, नरेश कुमार और मंजीत सिंह भी शामिल हुए, जिन्होंने मीडिया के सामने अपनी शिकायतें साझा कीं।
अदालती दस्तावेज़ों के अनुसार, सिंह ने फ्लैट नंबर बी-402 (3बीएचके), स्मर्ब होम्स, सेक्टर-91, मोहाली को 18 अगस्त 2020 की अलॉटमेंट लेटर के आधार पर बुक किया था। कुल कीमत 36 लाख रुपए तय हुई, जिसमें से 30 लाख रुपए नकद, अकाउंट ट्रांसफर और एनईएफटी के माध्यम से जुलाई और अगस्त 2020 के बीच चुका दिए गए। शेष 6 लाख रुपए कब्ज़ा और पंजीकरण के समय देने थे।
यह प्रोजेक्ट के.सी. लैंड एंड फाइनेंस लिमिटेड और स्मर्ब क्रिएशंस इंडिया लिमिटेड के संयुक्त उपक्रम के तहत शुरू किया गया था, जिसने बाद में इस हाउसिंग योजना के लिए स्मर्ब होम्स प्राइवेट लिमिटेड बनाई। सिंह का आरोप है कि भुगतान लेने के बाद परियोजना अचानक रोक दी गई और बार-बार अनुरोध करने के बावजूद न तो सेल डीड दर्ज हुई और न ही फ्लैट सौंपा गया।
याचिका के विवरण में कहा गया है कि जुलाई 2022 में स्मर्ब होम्स के डायरेक्टर सतिंदर पाल सिंह ने समझौते के नाम पर 45 लाख रुपये का एक चेक दिया, जो बाउंस हो गया, जिससे धोखाधड़ी की आशंका और गहरी हो गई। सिंह ने उनके खिलाफ एफआईआर (संख्या 0312 दिनांक 14 अगस्त 2023) भी दर्ज कराई। हाल ही में जून 2025 में, सिंह का दावा है कि उन्होंने प्रतिवादियों को प्रोजेक्ट की ज़मीन अन्य खरीदारों को बेचने की कोशिश करते पाया, जिससे वे रजिस्ट्रार कार्यालय भागे और मौजूदा याचिका दाखिल की।
अपनी अर्जी में सिंह ने अदालत से अनुरोध किया है कि प्रतिवादियों को शेष 6 लाख रुपए लेकर फ्लैट का कब्ज़ा सौंपने का आदेश दिया जाए; विवादित संपत्ति तीसरे पक्ष को बेचने से रोकने के लिए स्थगन आदेश जारी किया जाए; और मानसिक पीड़ा व उत्पीड़न के लिए मुआवज़ा तथा 1 लाख रुपए मुकदमेबाज़ी खर्च दिलाया जाए।
यह याचिका कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 22-सी के तहत दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि मामला लोक उपयोगिता सेवाएं (आवास) के दायरे में आता है। सिंह के वकील, अधिवक्ता एच.एस. पन्नू और गयनपवित सिंह ने कहा कि यह मामला स्थायी लोक अदालत, एसएएस नगर के अधिकार क्षेत्र में आता है और डेवलपर्स की सेवा में कमी और धोखाधड़ी की मंशा का स्पष्ट उदाहरण है।
दर्शन सिंह ने न्याय की अपील करते हुए कहा, “मैं लगभग पांच वर्षों से यह लड़ाई लड़ रहा हूं। मेरी जीवनभर की जमा पूंजी फंसी हुई है। मैं अधिकारियों से अपील करता हूं कि ऐसे धोखेबाज़ बिल्डरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें ताकि कोई और परिवार मेरी तरह पीड़ित न हो।”
No comments:
Post a Comment