पंचकूला, 27 जुलाई : लीवर की बीमारी अक्सर बिना लक्षण के बढ़ती है, और जब तक मरीज को पता चलता है, तब तक स्थिति गंभीर हो चुकी होती है। इसलिए समय पर जांच और जागरूकता बहुत जरूरी है, यह कहना है डा. राकेश कोचर का, जो पारस हेल्थ में गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर हैं। वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे के मौके पर पारस हेल्थ पंचकूला ने हेपेटाइटिस और लीवर की बीमारियों को लेकर जनजागरूकता बढ़ाने की पहल की है। अस्पताल का कहना है कि भारत में हेपेटाइटिस-बी और सी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन जांच और इलाज की दर अब भी बेहद कम है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 4 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी और लगभग 60 से 120 लाख लोग हेपेटाइटिस सी से ग्रसित हैं। चिंताजनक बात यह है कि इनमें से अधिकांश को अपनी स्थिति की जानकारी तक नहीं होती। छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में यह समस्या और भी गंभीर होती जा रही है।
डॉ. कोचर ने बताया कि हेपेटाइटिस वायरस के अलावा कुछ आयुर्वेदिक दवाएं और हर्बल सप्लीमेंट्स भी लीवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पारस हेल्थ पंचकुला में लीवर की शुरुआती जांच के लिए फाइब्रोस्कैन, लीवर फंक्शन टेस्ट, एंडोस्कोपी, कोलोनोस्कोपी और लीवर बायोप्सी जैसी एडवांस्ड सुविधाएं उपलब्ध हैं। पारस हेल्थ पंचकुला लीवर और पाचन तंत्र से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए आधुनिक तकनीक और विशेषज्ञों की टीम के साथ कार्य कर रहा है। यहां एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड की मदद से जटिल समस्याओं की पहचान और इलाज किया जाता है। साथ ही, अस्पताल जल्द ही लीवर ट्रांसप्लांट की सुविधा भी शुरू करने जा रहा है।
अस्पताल का उद्देश्य है कि अधिक से अधिक लोग समय रहते जांच कराएं, सही इलाज लें और लीवर से जुड़ी जटिलताओं से बच सकें। पारस हेल्थ का मानना है कि रोकथाम, सही जानकारी और समय पर इलाज से हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारियों को रोका जा सकता है।
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