Latest News

एसजीपीसी द्वारा प्रकाशित पुस्तक में सिख गुरु साहिबान के लिए अपमानजनक शब्द लिखना बेअदबी के सामान ही गंभीर मुद्दा : स. बलदेव सिंह सिरसा

चण्डीगढ़ : खालसा पंथ की स्थापना के 300 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में अन्य कार्यक्रमों के साथ-साथ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा सिख इतिहास नामक एक विवादास्पद पुस्तक प्रकाशित करवाई गई थी जिसमें सिख गुरु साहिबान के लिए अपमानजनक शब्द लिखे गए हुए हैं। ये खुलासा होने पर एसजीपीसी को गलती का अहसास हुआ व उसने इस पुस्तक को वापिस करने की अपील भी जारी की, परन्तु केवल पांच प्रतियां ही वापिस आ पाईं। ये कहना है किसान नेता स. बलदेव सिंह सिरसा का, जो पंथक नेता भी हैं। आज यहां चण्डीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि एसजीपीसी द्वारा सिख गुरु साहिबान के लिए अपमानजनक शब्दों वाली पुस्तक प्रकाशित करवा कर वितरित करना श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने के बराबर ही अक्षमनीय अपराध है। उन्होंने बताया कि उन्हें संयोगवश ये पुस्तक मिली और इसे पढ़ कर उन्हें बेहद ठेस पहुंची। तब उन्होंने ये मामला एसजीपीसी के समक्ष उठाया तो उन्हें गलती का अहसास हुआ व वर्ष 2007 में इस पुस्तक को वापिस करने की अपील भी जारी की, परन्तु प्रकाशित करवाई गईं प्रतियों में से आजतक केवल पांच प्रतियां ही वापिस आ पाईं। स. बलदेव सिंह सिरसा ने बताया कि उनकी सूचना के मुताबिक इन प्रकाशित प्रतियों की आगे कई लोगों ने फोटो कॉपियां भी करवाईं हैं, जिनकी संख्या हज़ारों में है। 

उन्होंने अकाल तख़्त से मांग की है कि अकालियों के दोनों धड़ों को तलब करके गुरुओं का अपमान करने वालों का पता लगाकर जल्द से जल्द दंडित करे। इस सारे वाक्यात से बेहद आहत स. बलदेव सिंह सिरसा ने कहा कि आजकल शिरोमणि अकाली दल के दोनों धड़ों द्वारा श्री अकाल तखत के समक्ष पेश होकर अपनी पुरानी गलतियों की माफियां मांगने की होड़ मची है, परन्तु सिख गुरुओं को नीचा दिखाने वाली इस पुस्तक को लेकर कोई एक शब्द भी नहीं बोल रहा।

स. बलदेव सिंह सिरसा ने दोनों अकाली धड़ों से सवाल किया है कि जब एसजीपीसी ने इस पुस्तक की प्रतियां वापिस मंगवाई, तो इसका मतलब हुआ कि पुस्तक में गलत जानकारी प्रकाशित होने के कारण ही एसजीपीसी ने ये कदम उठाया होगा, तो फिर आखिर इस बेअदबी का जिम्मेदार कौन है? इसके अलावा हैरानी की बात ये भी है कि इस पुस्तक में लेखक का नाम भी नहीं गया हुआ है  

उन्होंने खुलासा किया कि एसजीपीसी की तत्कालीन अध्यक्ष बीबी जगीर कौर के समय वर्ष 1999 में खालसा पंथ की सृजना के 300 साला उत्सव को समर्पित मत संख्या 556 के तहत हिंदी भाषा में अमृतसर की डॉन प्रेस से इस किताब की हज़ारों प्रतियों को छपवाया गया था, जिसके लिए भुगतान गुरु की गोलक के पैसे के माध्यम से किया गया था। इस किताब में सभी दस गुरु साहिबानों के बारे में जो अपमानजनक शब्दावली लिखी गई है, उसे हम किसी भी बुरे से बुरे व्यक्ति के बारे में भी नहीं कह सकते।


उन्होंने कहा कि पूरे सिख समुदाय को पीड़ा देने वाली इस पुस्तक को प्रकाशित करवाने वाले आरोपी को जल्द से जल्द अगर दंडित न किया जाना अति आवश्यक है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस होस्ट
 स. बलदेव सिंह सिरसा 
 स. सुरिंदर सिंह, राज्य संरक्षक 
 डॉ. करम सिंह 
 बीबी मनदीप कौर
 स. बलविंदर सिंह कंग
 बीबी सुरिंदर कौर पदमपुर 
 स. गुरप्रीत सिंह चिल्ला
 स. करम सिंह भगढाना (चुन्नी)

No comments:

Post a Comment

buzzingchandigarh Designed by Templateism.com Copyright © 2014

Theme images by Bim. Powered by Blogger.
Published By Gooyaabi Templates