Chandigarh 2July :एशिया में वर्ष 2050 तक आधी आबादी शहरों में रहने लगेगी। बावजूद, भारतीय शहरों के नियोजित विकास पर काम नहीं हो रहा। यूके में एक लाख की आबादी पर 37 जबकि ऑस्ट्रेलिया में 23 टाउन प्लानर हैं, जबकि भारत में एक लाख की आबादी पर एक टाउन प्लानर भी नहीं है। यह आकड़ा 0.26 आता है। बिना टाउन प्लानर के शहरों का नियोजित विकास नहीं हो सकता। यह बातें पटेल ने लैंड पूलिंग मॉडल पर आयोजित कार्यक्रम में हरियाणा, पंजाब व हिमाचल के शहरी विकास से जुड़े विशेषज्ञों के समक्ष प्रस्तुत की।पटेल ने कहा कि ऐसे में ये चिंता का विषय बनता जा रहा है। शहरीकरण की चुनौतियां और शहरी प्लानर की जरूरत विषय पर आयोजित सेशन में 30 टाउन प्लानर सेक्टर 35 स्तिथ आई टी पी आई में एकत्र हुए थे व भारत भर से टाउन प्लानर्स ऑनलाइन भी जुड़े हुए थे।
टाउन प्लानर की अहमियत समझने की जरूरत
मौके पर पंजाब के पूर्व चीफ टाउन प्लानर गुरप्रीत सिंह व चंडीगढ़ चैप्टर के चेयरमैन पंकज बावा ने राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र पटेल को सम्मानित किया ।
गुरप्रीत सिंह ने बताया कि हमें टाउन प्लानर की अहमियत समझने की जरूरत है। भारत में तो कई शहरों के मास्टरप्लान ही नहीं बने हैं। यह राज्य का विषय है। आवासीय, औद्योगिक, सांस्कृतिक अलग-अलग तरह के शहरों के विकास का नियोजन अलग तरीके से होना चाहिए। भविष्य में टाउन प्लानर के लिए और अधिक प्लानिंग यूनिवर्सिटी की भी जरूरत पड़ेगी। पटेल ने बताया कि सेशन में निकले अहम बिंदुओं को नोट कर इसे केंद्र सरकार और विभिन्न राज्यों की सरकारों को भेजा जाएगा। विशेषज्ञों ने कहा कि इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
No comments:
Post a Comment