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जीवन में गुरु के महत्व को दर्शाता है गुरु पूर्णिमा का त्योहार........

 गुरु जी के ज्ञान व शिक्षा से ही हम जीवन के मूल्यों को समझ पाते हैं। गुरु जी हमें सही मायने में जीवन जीने की कला सिखाते हैं। जीवन के सभी क्षेत्रों में गुरु का होना अनिवार्य है । हमारे संतो ने तो गुरु को भगवान से भी बढ़कर माना है। संत कबीर जी ने कहा...
गुरु गोविन्द दोऊ खड़े,
 काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने,
 गोविन्द दियो  बताय।
         जब हम संसार में आते हैं तो माता-पिता ही हमारे प्रथम गुरु होते हैं, जो हमें अच्छे संस्कार व शिक्षा देते हैं। गुरु के अंदर वह शक्ति मौजूद होती है जो अपनी शक्ति के बल पर एक साधारण बालक को भी राजा बना सकता है। चाणक्य ने  साधारण से बालक  चंद्रगुप्त को राजा बना दिया।

हमारी संस्कृति और शास्त्रों में गुरु पूर्णिमा का बहुत महत्व है।  गुरु पूर्णिमा का पर्व भारत में बड़ी ही श्रद्धा और भक्तिभाव के साथ मनाया जाता है। इस दिन गुरुओं का सम्मान किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। शास्त्रों में भी गुरु की विशेष महिमा बताई गई है। गुरु शब्द का अगर हम संधि विच्छेद करें तो इसमें - 'गु' शब्द का अर्थ है अंधकार यानि अज्ञान और 'रु' शब्द का अर्थ है प्रकाश यानी ज्ञान। अर्थात् अज्ञान को नष्ट करने वाला जो ब्रह्म रूप प्रकाश है, वह ही गुरु है। इस संसार की संपूर्ण विद्याएं गुरु की कृपा से ही प्राप्त होती हैं और गुरु के आशीर्वाद से प्राप्त  हुई विद्या सिद्ध और सफल होती है। 
निम्नलिखित श्लोक में  गुरु को ब्रह्मा -विष्णु -महेश मानकर  प्रणाम किया गया है.......
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥
गुरु अपने शिष्य को एक नया जन्म देता है इसलिए गुरु ब्रह्मा है, गुरु अपने शिष्य की रक्षा एवं पालन करता है इसलिए गुरु विष्णु है। गुरु अपने शिष्य के सभी काम, क्रोध आदि विकारों को समूल नष्ट कर देता है इसलिए गुरु शिव है।

 आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है इसे प्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।  इसी दिन व्यास जी प्रकट हुए थे उन्होंने वेदों का विस्तार किया और 18 पुराणों की रचना की, इसीलिए व्यास जी को गुरु रूप में माना जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजा का विधान है  अबकी बार गुरु पूर्णिमा 24  जुलाई को पड़ेगी, इस दिन सूर्योदय व्यापिनी पूर्णिमा  प्रातः 8:10 बजे तक रहेगी। 
1.इस दिन ही गुरु पूजा करें, तुलसी व पीपल में घी के दिए जलाएं। ऐसा करने से लक्ष्मी की बढ़ोतरी होती है। 


2. जो छात्र अपनी पढ़ाई को लेकर चिंतित हैं, उन्हें गुरु पूर्णिमा के दिन गीता पाठ  एवं गाय की सेवा करना चाहिए।

3. यदि  कारोबार में हानि हो रही है और आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं तो आज के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को पीले अनाज, पीले वस्त्र और पिली रंग की मिठाई दान करनी चाहिए।

4. इस दिन केवल गुरु  ही नहीं, अपितु माता-पिता, बड़ों  का भी  सम्मान करें।
5. गुरु पूर्णिमा के दिन ज्यादा से ज्यादा गुरुमंत्र या गायत्री मंत्र का जप करें।
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आचार्य ईश्वर चन्द्र शास्त्री जी
अध्यक्ष- देवालय पूजक परिषद्
श्री खेड़ा शिव मंदिर सेक्टर 28 चण्डीगढ़

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