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पारम्परिक भारतीय खाद्य सामग्री और उसके उपयोग विषय पर होगी विदेशों में चर्चा

चण्डीगढ़ : पारम्परिक भारतीय खाद्य सामग्री, जिसे वर्तमान में नया नाम वैश्विक वैदिक खाद्य सामग्री  रखा गया है, के बारे में पूरे विश्व को समझाने हेतु ट्राइसिटी के मोहन सिंह आहलूवालिया, पूर्व आयुक्त डिसेबिलिटी हरियाणा, एनआईवीएच, भारत सरकार के पूर्व सदस्य व वर्तमान में भारत सरकार के एनिमल वेलफेयर बोर्ड के केन्द्रीय सदस्य हैं, अलग-अलग मुल्कों की यात्रा कर रहे हैं। अब उन्हें इस्कॉन परिवार के एनिमल लवर्स ने यूरोप में निमंत्रित किया है। मोहन सिंह आहलूवालिया देश में खाद्य सामग्री में मिलावट के खिलाफ अभियान के लिए भी चर्चित रहें हैं। आहलूवालिया को छह सदस्य टीम के साथ 18 तारीख को इस यात्रा पर चण्डीगढ़ से रवाना किया जाएगा। वे स्विट्जरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, जर्मनी व फ़्रांस में ग्रामीण अंचलों में लोगों को संबोधित करेंगे। यहां समस्त जगह पर ट्रेडिशनल खाद्य सामग्री और उसका उपयोग और उसके फायदे पर चर्चा होगी तथा शाकाहार दुनिया का सर्वश्रेष्ठ आहार है, इस बारे लोगों को प्रेरित करेंगे तथा भारतीय खाद्य सामग्री और दूध सामग्री की उपयोगिता और महत्व को  समझाएंगे।  आहलूवालिया, जो ग्वाला गद्दी  प्रमुख भी हैं, विदेश में प्रवास के दौरान वहां के ग्रामीण इलाकों में लोगों को समझाएंगे कि जिस गाय का दूध सारी उम्र आप पीते हो, उसे अंत में कई जगहों पर मारकर खा जाते हो, यह सब तरह से गलत है और पूरे विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है जिसमें संपूर्ण दुधारू पशुधन को विभिन्न रूपों में विभिन्न शक्तियों का दर्जा दिया है और प्रत्येक दूध में अलग-अलग गुण को ढूंढ कर उसका ट्रेडिशनल चिकित्सा पद्धति में (जिसे भारत में आयुर्वेद के नाम से जाना जाता है) महत्वपूर्ण  स्थान दिया है तथा बगैर प्रयोगशालाओं के भारतीय बुजुर्ग जनमानस ने उसके उपयोग को सिद्ध किया है।  ग्वाला गद्दी और वैश्विक वैदिक परिवार पंचकूला जिले के ग्राम खेड़ी में अलग-अलग तरीके से कार्य कर रहा है तथा देश में विभिन्न जगहों पर दूध उत्पादक पशुपालकों के कल्याणu में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।

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