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वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, मोहाली के संचालक पर हज़ारों निवेशकों के अरबों रुपये हड़पने का आरोप लगाया डब्ल्यूटीसी (नोएडा) चण्डीगढ़ अलॉटीस एसोसिएशन ने

चण्डीगढ़ : डब्ल्यूटीसी (नोएडा) डेवलपमेंट कंपनी के संचालक बिल्डर आशीष भल्ला के खिलाफ कई निवेशकों ने अरबों  रूपये डकार लिए जाने का आरोप लगाया है। बिल्डर ने निवेशकों से पैसे बटोर लिए और गमाडा को बनती किश्तें देनी बंद कर दीं। इस पर गमाडा ने इस प्रोजेक्ट को रिज्यूम कर लिया और अब ऑक्शन करने की तैयारी है जिस कारण निवेशकों ने नीलामी से पहले निवेशकों के हितों का भी ध्यान रखने की मांग की है। निवेशकों ने आरोप लगाया कि डब्ल्यूटीसी का देश भर 17 अन्य परियोजनाओं में भी निधियों की हेराफेरी का इतिहास है और उन परियोजनाओं को भी पूरा नहीं किया गया है। आज यहां चण्डीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस वार्ता में निवेशकों द्वारा गठित डब्ल्यूटीसी (नोएडा) चण्डीगढ़ अलॉटीस एसोसिएशन के पदाधिकारियों की ओर से संस्था के अध्यक्ष एयर मार्शल (सेवा-निवृत) पीएस गिल ने कंपनी के कारनामों का खुलासा करते हुए बताया कि कंपनी ने 2015 में गमाडा, एसएएस नगर (मोहाली) द्वारा आयोजित नीलामी में 8 एकड़ जमीन खरीदी। भूमि आवंटन पर डब्ल्यूटीसी ने नीलामी मूल्य की बनती 22 फीसदी राशि का भुगतान करने के बाद कब्जा ले लिया। गमाडा द्वारा जारी आवंटन पत्र में, डब्ल्यूटीसी को आवंटित स्थल के किसी भी भाग को विकसित करने और बेचने की स्वतंत्रता दी गई थी, जिसके आधार पर डब्ल्यूटीसी ने उक्त आवंटित स्थल पर विभिन्न आकारों के कार्यालय स्थानों और वाणिज्यिक क्षेत्र की पेशकश करते हुए एक वाणिज्यिक परियोजना शुरू की और निवेश पर 10 फीसदी की सुनिश्चित वापसी की पेशकश की। यह भी सुनिश्चित किया गया कि वाणिज्यिक परियोजना मार्च 2021 तक पूरी हो जाएगी और संबंधित इकाइयों का भौतिक कब्जा विभिन्न आवंटियों को सौंप दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस प्रतिवेदन को सही मानते हुए लगभग 1200 निवेशकों ने कार्यालय स्थान या वाणिज्यिक क्षेत्र के लिए विभिन्न आकार की इकाइयों के लिए बुकिंग की। अधिकांश निवेशकों ने 70 से 90 फीसदी तक की बिक्री विचार प्राप्त कर ली थी परन्तु उधर डब्ल्यूटीसी ने आवंटियों से एकत्रित राशि के अनुपात में निर्माण कार्य नहीं किया और अंततः मार्च 2022 में निर्माण कार्य और सुनिश्चित वापसी का भुगतान बंद कर दिया।
आरोप है कि डब्ल्यूटीसी ने विभिन्न निवेशकों से लगभग 432 करोड़ रुपये एकत्र किए और विभिन्न वित्तीय संस्थानों एवं गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों से 176 करोड़ रुपये का ऋण भी लिया। डब्ल्यूटीसी के पास उपलब्ध राशि को ध्यान में रखते हुए एकत्रित), परियोजना को पूरी तरह से पूरा किया जा सकता था परन्तु कंपनी ने न तो गमाडा को शेष भूमि लागत का भुगतान किया गया और न ही निर्माण पूरा किया। 

एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) पीएस गिल ने गमाडा व पीबी रेरा की भी गलतियों को उजागर करते हुए बताया कि गमाडा ने 2015 में नीलामी मूल्य के 131.33 करोड़ रुपये में 8 एकड़ भूमि डब्ल्यूटीसी को आवंटित की थी और 25 फीसदी भुगतान प्राप्त करने पर कब्जा दिया। आवंटन पत्र में डब्ल्यूटीसी को परियोजना बेचने की अनुमति दी गई थी। बाद में गमाडा ने न तो परियोजना की निगरानी की और न ही सार्वजनिक हित की सुरक्षा के लिए कोई शर्तें रखीं। आठ साल बाद, जब डब्ल्यूटीसी ने ईएमआई का भुगतान नहीं किया, तो जीएमएडीए ने अचानक प्लॉट जब्त कर लिया।

उन्होंने बताया कि परियोजना को पीबी रेरा के साथ पंजीकृत किया गया है। मार्च 2022 तक, डब्ल्यूटीसी ने 77.02 करोड़ रुपये की अतिरिक्त निकासी की थी परन्तु रेरा ने डब्ल्यूटीसी को दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए मजबूर नहीं किया और न ही परियोजना की प्रगति की निगरानी की। डब्ल्यूटीसी ने समय-समय पर रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी ( रेरा), पंजाब को परियोजना की प्रगति के बारे में रिपोर्टें सौंपीं। यहां तक कि 06.04.2023 की रिपोर्ट में भी पुष्टि की गई कि 31.03.2022 तक 77.04 करोड़ रुपये की अतिरिक्त निकासी की गई थी।


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