चंडीगढ़ 22 दिसंबर 2021इंटरडिसीप्लीनेरी रिसर्च को बढ़ावा देने के उदेश्य से चितकारा यूनिवर्सिटी ,हिमाचल प्रदेश (सीयूएचपी) और चितकारा इंटरनेशनल स्कूल (सीआईएस) ने एक कोलेबोरेटिव रिसर्च प्रोजेक्ट (सीआरपी) की शुरुआत की है। यह प्रोजेक्ट फेकल्टी व छात्रों के बीच में सहयोग को बढ़ावा देगा।
राष्ट्रीय विकास में इनोवेशंस के योगदान को स्वीकार करते हुए भारत सरकार ने 2010-2020 को इनोवेशंस दशक घोषित किया था। इस उद्देश्य में अपना योगदान को और बढ़ाते हुए कोलैबोरेटिव रिसर्च प्रोजेक्ट इनोवेटिव आइडियाज पर ही काम करेगा और इस बात की संभावना को तलाश करेगा कि चितकारा यूनिवर्सिटी, हिमाचल प्रदेश व चितकारा इंटरनेशनल स्कूल के ज्वाइंट रिसर्च ग्रुप्स इन आइडियाज पर संयुक्त रूप से काम कर सकें ।
कोलैबोरेटिव रिसर्च प्रोजेक्ट में हिस्सा लेकर फैकल्टी सदस्य अपने बीच में ऐसे सहयोगियों और छात्रों की पहचान कर सकते हैं जो प्रोजेक्ट में मदद करने के लिए दिलचस्पी रखते हों और जिनके साथ वे सहयोग कर सके रिसर्च प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा सकें । इस दूरदृष्टि के साथ चितकारा यूनिवर्सिटी के आईपीआर सेल के कोआर्डिनेटर डॉ सरताजवीर सिंह, की देखरेख में चितकारा यूनिवर्सिटी व चितकारा इंटरनेशनल स्कूल दोनों संस्थानों से 12 से 14 टीमों का गठन किया गया है।
स्कूल के छात्रों के लिए रोजमर्रा की समस्याओं के लिए आउट-ऑफ-द-बॉक्स समाधान के बारे में सोचने के उत्कृष्ट अवसर का जिक्र करते हुए चितकारा इंटरनेशनल स्कूल की निदेशक डॉ नियति चितकारा, ने कहा कि हमारे युवा विचारकों के लिए यह बहुत ही उत्कृष्ट अवसर हैं जिनको चितकारा यूनिवर्सिटी के सीनियर शिक्षाविदों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्कूलों के छात्रों में वैज्ञानिक सोच पैदा करने के लिए भी यह सुनहरा अवसर मदद करेगा।
चितकारा यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश के प्रो वाइस चांसलर डॉक्टर मनोज मनुजा ने कहा कि समाज के विकास की नींव इनोवेशंस पर ही आधारित है। यूनिवर्सिटीज न सिर्फ इन्नोवेशंस का भंडार हैं साथ ही वे समाज के सामने आने वाले साइंटिफिक, एथिकल व सामाजिक मुद्दों पर सोचने वाली लीडरशिप को पैदा करने का भी काम करती है। कोलैबोरेटिव रिसर्च प्रोजेक्ट की मदद से चितकारा यूनिवर्सिटी और चितकारा इंटरनेशनल स्कूल दोनों से 50 से ज्यादा फैकल्टी के सदस्यों और छात्रों को फायदा पहुंचा है। "डॉ मनोज मनुजा ने कहा कि इसके साथ ही उन्हें यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि हम चितकारा इंटरनेशनल स्कूल की टीम के सहयोग से अपने अगले मील के पत्थर तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं और परिणामस्वरुप हम नए आइडियाज पर 12 पेटेंट दाखिल किए जा चुके हैं जिसमें चितकारा यूनिवर्सिटी और चितकारा इंटरनेशनल स्कूल की फैकल्टी के साथ साथ हमारे छात्र भी इस पहल में प्राइमरी कंट्रीब्यूटर्स हैं और दाखिल किए जा चुके पेटेंट के संयुक्त मालिक भी हैं।
पेटेंट के महत्व के बारे में बताते हुए, के आईपीआर सेल के कोआर्डिनेटर डॉ सरताजवीर सिंह डॉ सरताजवीर सिंह ने कहा, "इनोवेशंस और पेटेंट मजबूती से जुड़े हुए हैं। पेटेंट इनोवेशंस के स्वामित्व को बनाए रखने में मदद करते हैं और इसके लिए पूंजी निवेश व उनके व्यावसायिकरण में भी मदद करते हैं। इसके अलावा वे ओपन पब्लिकेशन की कानूनी जरूरतों को पूरा करने में भी मदद करते हैं इनोवेटर्स की पहचान व सम्मान बनाने में भी मदद करते हैं। यदि इन इनोवेशंस के टेक्नोलॉजिकल एडवांस्ड प्रोडक्ट्स का व्यावसायिकरण किए जाए तो फिर ये इंस्टीट्यूशंस की भी मदद करते है।
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