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अमेरिका में इंटरनल मेडिसिन के विश्व प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ रवि गोडसे व चंडीगढ के एक्स-असिस्टेंट प्रोफेसर व होम्योपैथ डॉ. एचके खरबंदा जुड़े ऑनलाइन लाइव सेशन में

चंण्डीगढ : अमेरिका में इंटरनल मेडिसिन के विश्व प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. रवि श्रीकांत गोडसे, जो अपनी सटीक व वैज्ञानिक टिप्पणियों से भारत के कोविड की स्थिति पर पैनी नज़र बनाये हुए है, ने चंडीगढ के एक्स-असिस्टेंट प्रोफेसर व होम्योपैथ डॉ एच के खरबंदा के साथ ऑनलाइन आयोजित सेशन में कहा कि तीन हफ्ते में भारत में हर्ड  इम्युनिटी आ जायेगी और कोविड-19 बैकफुट पर चला जाएगा। 
डॉ. गोडसे के मुताबिक तीसरी वेव ऑप्शनल है व इसके आने की उम्मीद भी काफी कम है और यदि आएगी तो भी बच्चों में  मारक नहीं होगी। उन्होंने बताया कि पहली वेव व दूसरी वेव में बच्चों की परसेंटेज बराबर रही। इंडियन व ब्रिटिश वैरिएंट सिर्फ कन्टेजियस अधिक थी। डॉ गोडसे  ने बताया  कि पहली वेव से जिनमें इम्युनिटी बनी  थी व अब तक बरकरार है इसलिए उन्हें दोबारा वायरस ने कम परेशान किया।
उन्होंने आगे बताया कि यदि आज सीरो सर्वे करवाया जाए तो 40 प्रतिशत लोगों में इम्युनिटी बन चुकी है और जैसे ही 16 प्रतिशत को वैक्सीन लग जाती है तो भारत में हर्ड इम्यूनिटी आ जायेगी। डॉ. गोडसे ने कहा कि मई में जब रोजाना 4 लाख मरीज आ रहे थे, तब न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा था कि भारत मृत्यु के आंकड़े छुपा रहा है व एक घोषित केस के पीछे 20 -50 लोग संक्रमित हो रहे थे। उनके मुताबिक़ यदि ये सही बात है तो तीन हफ्ते में करोना एंडेमिक बन जायेगा व अक्टूबर तक भारतीयों के लिए भी अमेरिका की तरह मास्क ऑप्शनल हो जाएगा।
बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि द्वारा तैयार दवा कोरोनिल की एफिकेसी पर डॉ. गोडसे ने कहा कि आज का समय एविडेंस पर आधारित दवाओ का है। किसी भी दवाई की डबल एन्ड ब्लाइंड स्टडी हो तभी उसके प्रभावी होने का पता चलता है। वहीं आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के बारे में उन्होंने कहा कि आयुर्वेद एक प्राचीनतम पद्धति है व कारगर भी है लेकिन आज के समय में चाहे वो होम्योपैथी हो या फिर आयुर्वेद, किसी भी तरह से यदि एविडेन्स आधारित स्टडी या रिसर्च हो, तो ही मान्य होगी।

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