चंडीगढ़:-आज 13 मार्च को चंडीगढ़ में प्रेस को संबोधित करते हुए पंजाब रोडवेज पनबस/पीआरटीसी कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन पंजाब 25/11 के प्रदेश अध्यक्ष रेशम सिंह गिल ने कहा कि पनबस और पीआरटीसी में कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों से की गई वादाखिलाफी और कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ व बर्खास्त कर्मचारियों की बहाली के लिए यूनियन 18 मार्च से पंजाब के मुख्यमंत्री के आवास संगरूर में धरना-प्रदर्शन शुरू करेगी।
रेशम सिंह गिल ने आगे कहा कि हम पिछले दिनों से पनबस और पीआरटीसी में कॉन्ट्रैक्ट और आउटसोर्सिंग करते आ रहे हैं। मान सरकार से उम्मीद थी, लेकिन आम आदमी सरकार ने पिछली सरकारों की तरह झूठ का सहारा लिया है। क्योंकि पहले मुख्यमंत्री भगवंत मान का बयान था कि संविदा पर भर्ती नहीं होगी, अब उन्होंने विधानसभा में बयान दिया कि ठेकेदार बिचौलिए बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन पनबस और पीआरटीसी में सब कुछ पीछे की ओर जा रहा है, ठेकेदार बिचौलियों की संख्या को घटाकर 3 कर दिया गया है और 18 डिपो को 6-6-6 में विभाजित किया जा रहा है और हरियाणा से नया ठेकेदार लाया गया है और एक 3-ठेकेदार से 4 साल का ठेका कराया जा रहा है, जिससे साबित होता है कि पंजाब के मुख्यमंत्री झूठे हैं। कमीशन के रूप में हर साल करीब 20 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। यूनियन ने हरियाणा सरकार द्वारा ठेकेदार को काम पर रखे जाने का सबूत भी पेश किया है और पिछली बैठक में सरकार के सामने ठेका पेश किया जा चुका है। लेकिन फिर भी इसका समाधान नहीं हो रहा है, भर्ती की जा रही है और तमाम सबूत देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई है। मुख्य सचिव पंजाब या विभाग द्वारा लिया गया और 19/12/22 को मुख्य सचिव पंजाब द्वारा हुई बैठक में वेतन वृद्धि, ब्लैक लिस्टेड कर्मचारी की बहाली जैसी मांगों को लेकर शर्त हटाने को लागू करने का आश्वासन दिया था एक महीने में रिपोर्ट और एक आधिकारिक प्रेस बयान भी जारी किया, लेकिन अभी तक किसी भी मांग का समाधान नहीं किया गया है।
सचिव शमशेर सिंह ढिल्लों, कोषाध्यक्ष बलजिंदर सिंह, संयुक्त सचिव जगतार सिंह, उपाध्यक्ष कुलवंत सिंह और गुरप्रीत सिंह ढिल्लों ने कहा कि पंजाब सरकार की परिवहन विभाग को खत्म करने की नीति यहीं खत्म नहीं हो जाती, पीआरटीसी में निजी मालिक भी डाल देते हैं। किलोमीटर योजना के तहत बसें, 8 रुपये प्रति किलोमीटर यानी एक दिन में 500 किलोमीटर से ज्यादा और 4000 से 5000 रुपये की लूट कि 6 साल में करीम निजी बस मालिकों से सरकारी खजाने के 1 करोड़ रुपये और फिर लूटने की तैयारी कर रहा है। यह निजी मालिकों के स्वामित्व में है, जबकि सरकारी बसों की कीमत 28-29 लाख रुपये है और 14-15 साल के लिए लोगों को यात्रा की सुविधा प्रदान करती है। इससे साबित होता है कि सरकार बदल गई है लेकिन नीतियां पहले की तरह हैं। बजट की बात करें तो अधिवेशन में उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग के लिए न तो नई बसें लेने के लिए और न ही किसी कर्मचारी की नियुक्ति के लिए कुछ भी रखा गया है, क्योंकि 497 करोड़ का बजट मुफ्त यात्रा सुविधा के लिए रखा गया है, यह पहले से पुराना पैसा लेने वाले खड़े हैं और बसें स्पेयर पार्ट्स के लिए डीजल हैं टायर खड़े हैं और कर्मचारियों को हर महीने वेतन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। 2-2 महीने वेतन नहीं आता है और अब ड्राइवर कंडक्टरों की आउटसोर्स भर्ती के साथ-साथ वर्कशॉप की भर्ती में भी भारी भ्रष्टाचार का संदेह है। क्योंकि आउटसोर्स के बारे में कार्यशालाओं की भर्ती विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हम नहीं जानते, ठेकेदार से कर्मी बुला रहे हैं, मेरिट लिस्ट जारी नहीं की गई है, सरकार की घातक नीतियों से तंग आकर ठेकेदार के खिलाफ, आउटसोर्स भर्ती के खिलाफ, किलोमीटर के खिलाफ बस योजना, वेतन वृद्धि लागू है। बर्खास्त कर्मचारियों की बहाली के लिए यूनियन 18 मार्च से पंजाब के मुख्यमंत्री के आवास संगरूर में धरना-प्रदर्शन शुरू करेगी। सरकारी परिवहन को बचाने के लिए नौजवानों व अन्य जनसंगठनों को यात्रा सुविधाओं को चालू रखने के लिए परिवहन के कच्चे कर्मचारियों का सहयोग करना चाहिए।
इस अवसर पर हरप्रीत सिंह सोढ़ी, जतिंदर सिंह दीदारगढ़, गुरप्रीत सिंह ढिल्लों, सहजपाल जैसे नेता सिंह संधू, सतविंदर सैनी आदि मौजूद रहे।
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