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ब्राह्मी लिपि गरिमा पुनः स्थापित हो: जैनसन्त क्षुल्लक श्री प्रज्ञांशसागर महाराज

चण्डीगढ़:-  दिगम्बर जैन मन्दिर में सिद्धचक्र महामंडल विधान समारोह के सिलसिले में चंडीगढ़ आये जैनसन्त क्षुल्लक श्री 105 प्रज्ञांशसागर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि संस्कृत व देवनागरी की आधारभूमि रही ब्राह्मी लिपि की गरिमा पुनः स्थापित करने का वक्त आ गया है। उनका मानना है कि ब्राह्मी लिपि के शोध व संवर्धन से अतीत के कई पन्नों पर जमा वक्त की परत हटाने से कई महत्त्वपूर्ण तथ्य सामने आएंगे। 
दिल्ली प्रदेश से चंडीगढ़ आए जैनसन्त का कहना है कि विदेशी शासकों ने अपनी भाषा संस्कृति थोप कर हमारे प्राचीन ज्ञान व गौरवशाली विरासत को नकारने का कुत्सित प्रयास किया है। जबकि ब्राह्मी लिपि के हजारों वर्ष पुराने शिलालेख हमारे उन्नत संस्कृति को दर्शाते हैं।

जैनसन्त प्रज्ञांशसागर जी कहते हैं कि यद्पि ब्राह्मी लिपि को राजश्रय का काल मौर्य शासन माना जाता है। लेकिन इसका इतिहास और पीछे जाता है। ईसा पूर्व छटी शताब्दी में तमिलनाडु व श्रीलंका में यह लिपि प्रयोग में पायी गई। पहले यह लिपि प्राकृत भाषा लिखने के लिये उपयोग की गई, जो बाद में संस्कृत के रूप सामने आई। सम्राट अशोक के राज्य में ब्राह्मी लिपि के  माध्यम से प्राकृत व पाली भाषा में लिखे स्तंभ आज भी इतिहास के विश्वनीय दस्तावेज हैं। आज जरूरत है पुरातत्व संग्राहलयों में रखे इतिहास परक स्तंभों को जनता तक पहुंचाने का प्रयास हो।

जैनसन्त प्रज्ञांशसागर जी बताते हैं कि आज हम ब्राह्मी लिपि को बढ़ावा देकर एक ऐसी दुर्लभ भाषा को पा सकते हैं जो राष्ट्र के गोपनीय दस्तावेजों के संरक्षण में सहायक हो। ब्राह्मी लिपि के प्रचार-प्रसार के लिये भारत सरकार को ठोस काम करना चाहिए। तभी देश की गौरवशाली अतीत को आने वाली पीढ़ी से अवगत कराया जा सकता है। उनका मानना है कि जैन, बौद्ध व हिन्दू धर्म के तमाम धार्मिक ग्रन्थ ब्राह्मी लिपि में दर्ज हैं। जिनके विश्लेषण के द्वारा हम एक भूले-बिसरे इतिहास से परिचित हो सकते हैं। इस दिशा में खोज व विश्लेषण से इतिहास के अनेक दुर्लभ पन्नों से देश-दुनिया रू-ब-रू हो सकेगी, जो समय के थपेड़ों व विदेशी आक्रमणकारियों के दमन से ओझल हो गये हैं।

 पूज्य क्षुल्लक श्री के आदेशानुसार जैन समाज के श्रेष्ठी श्रीमान पीयूष जैन और उनके सुपुत्र केतन जैन ने ब्राह्मी लिपि का सॉफ्टवेयर और मोबाइल एप्लीकेशन बनवाकर इतिहास को संरक्षित करने का एवं जन जन तक ब्राह्मी लिपि को पहुंचाने का बहुत महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। इसी तरीके का कार्य करने की बारी अब सरकार की है। सरकार से अपील की जाती है कि हिन्दी दिवस की तरह है एक ब्राह्मी दिवस मनाया जाए और जन-जन तक ब्राह्मी लिपि को पहुंचाया जाए साथ ही पाठ्यक्रम में भी ब्राह्मी लिपि को जोड़ा जाए। ब्राह्मी लिपि की एप्लीकेशन प्राप्त करने के लिए प्ले स्टोर पर सर्च करें brahmi lipi

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