Chandigarh:न्यू कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का उपाध्यक्ष प्रिंसिपल तीर्थ राम सहोता जी को नियुक्त किया गया | प्रिंसिपल राम तीर्थ सहोता जी दलित समाज के बहुपरिचित व्यक्ति हैं जो कि कई सामाजिक व धार्मिक संस्थायों से कई वर्षों से जुड़े हुए हैं उन्होंने शहर के युवाओं को शिक्षित करने के लिए 1975 से गुरु वाल्मीकि विद्यालय चलाया | चंडीगढ़ व उसके साथ लगते क्षेत्रों में अब तक प्रिंसिपल तीर्थ राम सहोता जी ने लाखों बच्चों को शिक्षित किया | आज प्रिंसिपल तीर्थ राम सहोता जी ने न्यू कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) केंद्रीय अध्यक्ष एडवोकेट विवेक हंस गरचा के नेतृत्व में न्यू कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का दामन थामा एडवोकेट विवेक हंस गरचा ने तुरंत प्रभाव से उन्हें पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी देते हुए प्रिंसिपल तीर्थ राम सहोता जी को न्यू कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का उपाध्यक्ष नियुक्त किया | उन्होंने कहा प्रिंसिपल साहब के पार्टी में शामिल होने से पार्टी को मजबूती मिलेगी |
प्रिंसिपल तीर्थ राम सहोता जी ने "न्यू कांग्रेस पार्टी" (एनसीपी) की विचारधारा से प्रभावित होकर राजनीती में सक्रिया होने का निर्णय लिया | क्योंकि आज के समय में प्रतेक राजनितिक दल किसी विशेष धर्म, जाति व वर्ग के लिए कार्य कर रहा है उन्होंने कहा केवल "न्यू कांग्रेस पार्टी" है जो सभी धर्म, जाति व वर्ग से ऊपर उठकर राजनितिक क्षेत्र में सक्रिया राजनितिक संगठन के रूप में उभर रही है प्रिंसिपल तीर्थ राम सहोता जी ने कहा कि एक सच्चे व अच्छे राजनेता का यह कर्तव्य होता है वह सर्वधर्म को समान रूप से देखे व कार्य करे |
प्रिंसिपल तीर्थ राम सहोता जी ने कहा कि आज तक दलित समाज के ठेकेदारों ने समाज को बांटने की राजनीति की | किसी भी वाल्मीकि समाज के ठेकेदार ने वाल्मीकि समाज के युवाओं को शिक्षित करने के लिए कोई विशेष कदम नहीं उठाये और ना ही समाज के नाम पर चल रहे विद्यालयों में अपना कोई योगदान दिया उल्टा समाज के पढ़े - लिखे लोगों को अनदेखा किया व युवाओं को सही मार्ग ना दिखाने का कार्य किया |
उन्होंने कहा कि "न्यू कांग्रेस पार्टी" (एनसीपी) संस्थापक प्रिंसिपल राम पाल हंस पूरे शहर में वे अकेले ऐसे राजनीतिज्ञ थे जो कि युवाओं को शिक्षित करने व राजनितिक क्षेत्र में आगे लाने की सोच रखते थे | इसीलिए उन्होंने 17 अगस्त, 1998 में चंडीगढ़ प्रदेश से प्रथम राजनीतिक दल "न्यू कांग्रेस पार्टी" (NCP) का गठन किया व 2 बार चंडीगढ़ संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव भी लड़ा | परन्तु अफ़सोस दलित समाज ने जैसे बाबा साहेब डॉ.भीम राव अम्बेडकर जी को 1952 में लोकसभा चुनाव में साथ ना दिया जिसकी वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा | उसी तरह दलित समाज के हितों व हकों के लिए केंद्रीय व राज्य सरकारों लड़ने वाले बुद्धिजीवी, पढ़े - लिखे, जुझारू, जोशीले व उच्च सोच रखने वाले नेता प्रिंसिपल राम पाल हंस को भी हार का सामना करना पड़ा | प्रिंसिपल तीर्थ राम सहोता जी ने दलित समाज के युवाओं से अपील की कि वे खुद को व अपने समाज को ऊपर उठाने के लिए शिक्षित बने व राजनीतिक क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए भाजपा व कांग्रेस जैसी भ्रस्टाचारी, ठगा - ठोरी, घोटालेबाज, युवाओं एवम दलितों का शोषण करने वाली व धर्म के नाम पर घटिया राजनीति करने वाले संगठनों को त्याग कर "न्यू कांग्रेस पार्टी" (एनसीपी) का दामन थामे ताकि एक नये पढ़े - लिखे समाज का निर्माण हो सके | जिससे शहर की राजनीति को एक नया सवरूप मिल सके | क्योंकि बाबा साहेब ने दलितों को मतदान का अधिकार राजा बनने के लिए दिया था | दलाल, चमचा या अंधभक्त बनने के लिए नहीं |
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