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हिंदी दिवस पर महान साहित्यकार विकेश निझावन को किया सम्मानित

Ambala,Sept,15,:विश्व शांति सेवा एवं सम्मान संगठन अंबाला शहर तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के संयुक्त तत्वधान में हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर एक ऐसे साहित्यकार को सम्मानित करने की पहल की गई जिन्होंने अपना पूरा जीवन हिंदी साहित्य और हिंदी की समृद्धि के लिए न्योछावर कर दिया। अंबाला शहर रेलवे रोड के मूल निवासी विकेश निझावन जी का जन्म 7 अक्टूबर 1949 को डॉ श्याम सुंदर निझावन के यहां हुआ। आपका व्यक्तित्व बचपन से ही गंभीर प्रवृत्ति का रहा और आपने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ए एस सीनियर सेकेंडरी स्कूल से प्राप्त की। बचपन से ही साहित्य ,कला और बागवानी के क्षेत्र में आपकी गहरी रुचि रही और 12 वर्ष की उम्र में आपने कविता लेखन से साहित्य जगत में कदम रखा और लगभग 6 दशक का अनवरत सफर लगातार जारी है। 15 वर्ष की उम्र में आपने कथा लेखन की ओर कदम बढ़ाए और आपकी पहली कहानी "जाने और लौट आने के बीच"भारत की तत्कालीन अग्रणी मैगजीन सारिका में प्रकाशित हुई और आपकी यह रचना भारत की लगभग हर क्षेत्रीय भाषा में अनुवादित हुई। कथा लेखन से ही आपको मूल रूप से पहचान मिली। साहित्य के साथ-साथ आपने डीएवी कॉलेज से उच्च शिक्षा प्राप्त कर फार्मेसी में डिप्लोमा किया और केमिस्ट शॉप खोल ली। साथ ही साथ आपने पंजाब यूनिवर्सिटी से हिंदी साहित्य में पोस्ट ग्रेजुएशन की।  साहित्यिक सफर में आपकी रचित 200 से अधिक कहानियां प्रकाशित हो चुकी हैं। आपके पुस्तकालय में आपके लिखे 12 कहानी संग्रह, पांच कविता संग्रह, दो उपन्यास एक लघु कथा संग्रह और बाल कथा क्षेत्र में भी आपकी रचित लघुकथा संग्रह और बाल कविताएं सम्मिलित हैं। आपकी रचित दो कथा पुस्तकें "छुअन" और "अब दिन नहीं निकलेगा" तथा कविता संग्रह" एक टुकड़ा आकाश " इन तीन पुस्तकों पर हरियाणा साहित्य अकैडमी की ओर से आप को विशेष रूप से पुरस्कृत किया गया। भारत सरकार द्वारा साहित्यकारों को दिया जाने वाला विशेष सम्मान लाला देशबंधु गुप्त पुरस्कार सम्मान आपको मिला जिसमें ₹200000 की नगद राशि से आपको अनुग्रहित किया गया।
     भारत सरकार के निमंत्रण पर महान साहित्यकार मोहन राकेश जी पर  शोध का कार्य किया जिसे सरकार की ओर से पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया।
    कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी की छात्रा डॉक्टर सोनिया द्वारा आपके जीवन साहित्य पर रिसर्च की गई जिसे "विकेश निझावन जीवन और साहित्य" के रूप में प्रकाशित किया गया।
     आपके द्वारा विश्वास प्रकाशन के नाम से एक प्रकाशन भी चलाया जा रहा है जिसके अंतर्गत कई पुस्तकों का संचालन किया जा रहा है। पिछले 12 बरस से प्रकाशन द्वारा पुष्पगंधा के नाम से एक कथा पत्रिका का संचालन किया जा रहा है जिसे देश-विदेश में ख्याति प्राप्त है।
       साहित्य के अतिरिक्त पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष रुप से आपकी भावनाएं प्रबल है और बागवानी के क्षेत्र में आपकी गहरी रुचि है। संगीत के क्षेत्र में भी आप की पकड़ व्यापक है। इसके साथ साथ आप में एक प्रख्यात चित्रकार भी छुपा हुआ है और आपके द्वारा प्रकाशित तमाम पुस्तकों में आपकी अपने रेखा चित्र प्रकाशित हैं। आपके रेखा चित्रों को अन्य साहित्यकारों ने भी अपनी रचनाओं में स्थान दिया है और आप की कलाकृतियां मुंह से बोलती प्रतीत होती है। आपको अनेक बार सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से साहित्य के क्षेत्र में आप के योगदान को देखते हुए सम्मान प्राप्त हुए।
       विश्व शांति सेवा एवं सम्मान संगठन  शहर की ओर से श्री विकेश निझावन जी के हिंदी साहित्य जगत को दी गई उनकी सेवाओं के लिए और अपने साहित्य के द्वारा हिंदी को समृद्ध करने के लिए हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर उन्हीं के समकक्ष साहित्यकार और शिक्षक एवं समाजसेवी श्री प्रदीप शर्मा स्नेही जी के कर कमलों द्वारा सम्मानित किया गया। विश्व शांति सेवा एवं समाज संगठन आप की सेवाओं को कोटि-कोटि नमन करता है अभिनंदन करता है और आपका तहे दिल से धन्यवादी है। संगठन की ओर से सम्मान सूचक पटका और एक स्मृति चिन्ह देकर निझावन जी का अभिनंदन किया गया ।संगठन की सहयोगी संस्था युवा पतंजलि समिति की ओर से पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधा भेंट  किया गया।  संगठन आपके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हुए प्रभु चरणों में अरदास करता है कि आपकी लेखनी से सरस्वती की धारा अविरल निरंतर बहती रहे बहती रहे और बहती रहे।
       इस अवसर पर संगठन की ओर से पदाधिकारीगण, कार्यकर्ता , युवा मोर्चा और महिला मोर्चा के सभी सदस्य उपस्थित रहे।

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