चंडीगढ़:--राष्ट्रीय वाल्मीकि धर्म समाज (रावाधस) रजि. ने आज अम्बेडकर भवन सैक्टर 37 चंडीगढ़ में मनाया अपना 24वाँ स्थापना दिवस उसके उपरांत ही संस्थापक/राष्ट्रीय अध्यक्ष वीर दिलबाग टांक आदिवासी जी ने संगठन की स्वतंत्र संपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपते हुए वीर संगम कुमार वाल्मीकि को केंद्रीय संगठन के मुख्य संचालक पद पर नियुक्त किया और संगठन को आगे बढ़ाने व मजबूत करने की आशा जताते हुए समाज के उत्थान और कल्याण के लिए संगम कुमार वाल्मीकि को समाज का भविष्य भी बताया ।
कबीर जयंती व स्थापना दिवस की सभी देशवासियों को बधाइयां देते हुए सामाजिक सम्मेलन के कार्यक्रम में दिल्ली, पंजाब,हरियाणा, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़ से आए भजनकर्ता हैप्पी भील जी और वरिष्ठ गणमान्य लोगों की विचार विर्मश की चर्चा में मुख्य रूप से शामिल रहे। आधास धर्म गुरु वीरेश डॉ.मुकेश अनार्य जी दिल्ली नगर निगम मजदूर फैडरेशन के अध्यक्ष श्रीमान रणधीर गागट जी, रावाधस दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती पूजा उज्जैन वाल जी, वीर राजेश पार्चा जी, पंजाब प्रधान अमित रंधावा जी, पंजाब महिला प्रधान प्रप्रीत कौर जी, राष्ट्रीय उप प्रधान बाबा बलबीर सिंह गुमटाला जी चंडीगढ़ से वरिष्ठ समाज सेवक दर्शन जी, रामबीर, हरियाणा यूथ प्रधान सनी वैध जी, राष्ट्रीय महिला प्रधान संतोष टांक जी, माया जी अमृतसर प्रधान अजय जी ने समाज और संगठन की मजबूती के लिए शिक्षा और दीक्षा से धार्मिक प्रवचनों से कार्यक्रम में शामिल अथिति का स्वागत कर जागरूक किया।
दिलबाग टांक ने कहा कि मध्ययुगीन संत कवियों में कबीर का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। उनके विचार वर्तमान युग में उतने ही प्रासंगिक हैं,जितने अपने युग में रहे थे। उन्होंने किसी देश, क्षेत्र,जाति व धर्म से ऊपर उठकर केवल मानवता को केंद्र में रखकर अपने विचार को रखा। कबीर दास समाज में व्याप्त उन तमाम परंपराओं, रुढ़ियों व मान्यताओं को तोड़ने का भरसक प्रयास किया जो मनुष्य मनुष्य के बीच भेदभाव उत्पन्न करती है। कबीर ने सामाजिक समन्वय पर बल दिया। उन्होंने एक ऐसे समाज की कल्पना की जो कुरीतियों, रूढ़ियों, कर्मकांड अंधविश्वासों व सांप्रदायिकता से मुक्त हो. जो धर्म, जाति, वर्ण एवं पंथनिरपेक्ष हो । एक ऐसा समाज जो इंसान को इंसान के रूप में देखे ना कि उसकी जाति, वर्ण, धर्म, भाषा व क्षेत्र के आधार पर आकलन करें।
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