धर्मशाला, 28 मई, 2022: कांगड़ा की 43 वर्षीय महिला येशी ल्हाडन बाइलेट्रल वैरिकाज़ वेन्स (सूजी हुई और टेढ़ी नसें) से पीडि़त थीं, जिससे उन्हें अत्यधिक दर्द, सूजन और त्वचा के नीचे एक फैला हुआ नीला उभार हो रहा था। बाइलेट्रल वैरिकाज़ वेन्स क्षतिग्रस्त वाल्वों के कारण सूजन से पीडि़त और दर्दनाक नसें हैं जो रक्त को गलत दिशा में जाने देती हैं। उपचार में देरी से रोगी के पैर में अल्सर विकसित हो सकते थे।
दर्द और परेशानी को सहन करने में असमर्थ, रोगी ने इस साल 29 अप्रैल को डॉ.रावुल जिंदल, डायरेक्टर, वस्कुर्लर सर्जरी, फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली से संपर्क किया। एक डॉपलर अल्ट्रासाउंड स्कैन ने बाएं पैर में बिगड़ा हुआ वाल्व और त्वचा का कालापन प्रकट किया, जिसे स्टेज सी 3 के रूप में जाना जाता है, जो पैरों में तीव्र सूजन (एडिमा) का प्रमुख लक्षण है।
दर्द और परेशानी को सहन करने में असमर्थ, रोगी ने इस साल 29 अप्रैल को डॉ.रावुल जिंदल, डायरेक्टर, वस्कुर्लर सर्जरी, फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली से संपर्क किया। एक डॉपलर अल्ट्रासाउंड स्कैन ने बाएं पैर में बिगड़ा हुआ वाल्व और त्वचा का कालापन प्रकट किया, जिसे स्टेज सी 3 के रूप में जाना जाता है, जो पैरों में तीव्र सूजन (एडिमा) का प्रमुख लक्षण है।
जिंदल के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने रोगग्रस्त नस की फोम स्क्लेरोथेरेपी की। फोम स्क्लेरोथेरेपी का उपयोग उभरी हुई वैरिकाज़ नसों और स्पाइडर नसों के इलाज के लिए किया जाता है। रोगी को प्रोसीजर के उसी दिन छुट्टी दे दी गई थी और वह बिना सहारे के चलने में सक्षम था। वे अब पूरी तरह से ठीक हो गई है और आज अपना सामान्य जीवन जी रही हैं।
यह बताते हुए कि नवीनतम तकनीकी प्रगति के माध्यम से वैरिकाज़ का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है, डॉ. जिंदल ने कहा कि ‘‘वैरिकाज़ नसों के लिए एडवांस्ड उपचार विकल्पों की एक विस्तृत श्रृंखला उपलब्ध है। प्रक्रिया कम दर्दनाक है और इसमें लगभग 30 मिनट लगते हैं। साथ ही मरीज जल्दी ठीक हो जाता है और प्रक्रिया के एक घंटे के भीतर घर जा सकता है। इसके अलावा, उसको काफी कम दवाओं और प्रोसीजर के बाद एक सीमित देखभाल की जरूरत रह जाती है।’’
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