चंडीगढ़:-सैक्टर 28 स्थित गुरुद्वारा नानकसर साहिब में 46वां सालाना गुरमति समागम समारोह श्रद्धाभाव और हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। गुरुद्वारा साहिब में अल सुबह से ही संगत का आना आरंभ हो गया था, कीर्तन दरबार व दीवान सजे हुए थे। जिसमें देश के अलग-अलग राज्यों से आए रागी जत्थो ने संगत को गुरबाणी और शब्दों से निहाल किया। अमृतसर से विशेष रूप से आये रागी जत्थे बलदेव सिंह वडाला, अमृतसर से हेड कीर्तनी सुखजीत सिंह, लुधियाना से आये रागी जत्थे जितेंद्रपाल सिंह व जगाधरी से आए बाबा लक्खा सिंह ने श्रोताओं को शब्दों और गुरबाणी का महत्व समझाते हुए पंथ की राह पर चलने की अपील की। प्रत्येक साल की तरह इस साल भी रक्तदान शिविर का आयोजन सेक्टर 16 अस्पताल की टीम द्वारा सरदार हरपाल सिंह की मदद से किया गया था। रक्त दाताओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और 100 के लगभग यूनिट इकट्ठे हुए। सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गुरुद्वारा साहिब में माथा टेका, विश्व शांति और मानव कल्याण की बात करते हुए कोरोना व यूक्रेन रूस के मध्य चल रहे युद्ध से छुटकारा पाने की भी अरदास की।
गौरतलब है कि सुबह से ही चाय, पकौड़े, बिस्कुट और लस्सी का लंगर चल रहा था। कुछ लोगों ने फल और आइसक्रीम भी बांटी। जबकि दोपहर में संगत के लिए लंगर का भी प्रबंध किया गया था।
नानकसर गुरुद्वारा के बारे में एक बात मशहूर है कि "पकता नहीं है लंगर फिर भी छकती है संगत" डेरा प्रमुख बाबा गुरदेव सिंह, बाबा लक्खा सिंह और गुरुद्वारा साहिब के सेवादार मास्टर गुरचरण सिंह, मनजीत सिंह कलसी, हरनेक सिंह सेखों, अमर टैक्स के प्रवीण कुमार और लुधियाना से गुरप्रीत सिंह के साथ गाँव दढ़वा से सेवादार धर्मेंद्र सैनी, राकेश, उत्तम सिंह मान, यशपाल मलिक, परमजीत सिंह, चरणजीत सिंह ने भी गुरुद्वारा साहिब में अपनी सेवाएं प्रदान की। डेरा प्रमुख बाबा गुरदेव सिंह ने समागम के सफलतापूर्वक समापन पर सारी संगत का आभार प्रकट करते हुए कहा कि वह अगले वर्ष के लिए सारी संगत को आमंत्रित करते हैं।
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