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बेहोश हालत में मिलने वाले सीनियर सिटीज़न की मदद पर एनजीओ को मिल रही धमकियां कई शिकायतों के बाद भी पुलिस ने नहीं की कोई एफआईआर

चंडीगढ़ :पिछले कई दिनों से एक सीनियर सिटीजन व पूर्व प्रिंसिपल भूपिंदर सिंह के अपने सेक्टर-27 के मकान नंबर 3265 में बेहोश मिलने पर हंगामा मचा हुआ है। एमपॉवर एनजीओ की शार्मिता भिंडर को उनकी मदद करने पर पिछले 1 हफ्ते से धमकियां मिल रही है कि वे इस मामले से अलग हो जाएं। 
सरकारी कॉलेज फॉर मेन्स सेक्टर-11 के पूर्व प्रिंसिपल भूपिंदर सिंह 29 मई को अपने घर में बेसुध हालत में पाए गए थे 29 मई को फेसबुक पर खुद को प्रिंसिपल भूपिंदर का दोस्त बताने वाले महावीर जगदेव ने शर्मिता भिंडर से संपर्क किया और मदद करने के लिए कहा। शार्मिता द्वारा भेजी गई वालंटियर्स ने देखा कि वे अपने घर में बेहोशी की हालत में पड़े हैं व उनके घर के दरवाजे खुले हुए हैं। इसके बाद उन्हें हॉस्पिटल में दाखिल करवाया गया। 

शार्मिता 29 मई से प्रिंसिपल भूपिंदर को सही इलाज दिलवाने में लगी हैं व जब उन्हें पता चला कि एम्बुलेंस में ले जाते हुए प्रिंसिपल भूपिंदर ने वालंटियर्स से कहा था कि उनके कज़न कुलदीप सिंह बावा व कामवाली ने उन्हें 3 दिनों से खाना व पानी नहीं दिया है तो शर्मिता इस मामले की शिकायत सेक्टर-26 के थाने व एसएसपी को भेजी थी। 

शर्मिता की शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं की गई बल्कि उन्हें कई दिनों से अलग-अलग लोगों द्वारा डराया-धमकाया जा रहा है कि वे इस मामले से हट जाएं। शर्मिता भिंडर ने सवाल उठाए हैं कि यदि कुछ गलत नहीं हुआ था तो प्रिंसिपल भूपिंदर अपने घर में ऐसी हालत में क्यों पाए गए? उन्होंने वालंटियर्स से क्यों कहा कि उन्हें कज़न व कामवाली ने भूखा-प्यासा रखा? प्रिंसिपल भूपिंदर का कज़न कुलदीप सिंह बावा और कामवाली 1 जून से कहाँ गायब हुए? प्रिंसिपल भूपिंदर की मदद के लिए सामने आने वाली महिलाओं को ही धमकियां क्यों मिल रही हैं?

बता दें कि प्रिंसिपल भूपिंदर की उम्र 74 साल है व उनकी फैमिली में कोई नहीं है। वे अभी सेक्टर-32 के सरकारी हॉस्पिटल में इलाज के लिए भर्ती किए गए हैं जहां एनजीओ द्वारा उन्हें पर्सनल अटेंडेंट की सुविधा भी दी गई है। यह सब मीडिया व जानी-मानी हस्तियों द्वारा की गई डोनेशन के जरिए संभव हो पा रहा है। जानकारी के अनुसार कुलदीप सिंह बावा (उनका कज़न) उनका नॉमिनी है। कुलदीप एनजीओ को पहले ही ट्रांसफर लेटर पर सिग्नेचर करके दे चुका है कि वह प्रिंसिपल भूपिंदर की देख-रेख शार्मिता भिंडर के एनजीओ व बड्डी केयर एनजीओ को दे रहा है। 

शर्मिता इस मामले में पुलिस द्वारा सही कार्यवाही चाहती हैं और उनका मकसद प्रिंसिपल भूपिंदर की सेफ्टी है। लेकिन मदद करने पर उन्हें बदनाम करना या धमकियां मिलना यह दर्शाता है कि मामला इतना सीधा नहीं जितना दिखाने की कोशिश हो रही है। पुलिस द्वारा अब तक ठोस कार्यवाही सामने नहीं आई है।

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