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सनातन धर्म में काल गणना का मापदंड विक्रम संवत ही माना जाता है: आचार्य वीना शर्मा

चंडीगढ़:-हिन्दु नव वर्ष विक्रम संवत 2078 का शुभ आगमन हिंदू धर्म के लिए बड़े ही हर्ष का विषय है। क्योंकि  वेदों के अनुसार इस दिन ब्रम्हा जी ने सृष्टि की रचना की थी। 
लक्ष्य ज्योतिष संसथान चण्डीगढ की प्रेसिडेंट आचार्य वीना शर्मा ने बताया कि विक्रम संवत की शुरुआत 13 अप्रैल मंगलवार से शुरू होगी और इसी दिन से चैत्र नवरात्रि का भी आरम्भ होगा। विक्रम संवत का आरंभ राजा विक्रमादित्य जी के द्वारा ईशा पूर्व 57 वर्ष पहले किया था। जैसे 2021 में 57 जोडने पर 2078 विक्रम संवत होता है, इस वर्ष राजा और मन्त्री का पद मंगल ग्रह के पास है।  जिसके कारण वो मंगल ही मंगल और कुछ अमंगल भी करेंगे,और इस संवत् का नाम राक्षस है, संवत् 60 प्रकार के होते हैं ।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 13 अप्रैल से ही नव दुर्गा का पर्व नवरात्रे शुरू हो रहा है।नवरात्रि में माता दुर्गा जी के नौ रूपों की पूजा होती है और हमारे पंचाग भी इसी दिन से आरंभ होते हैं, और इस की गणना सूर्य और चन्द्रमा से होती है। 12 मास की काल गणना को संवत बोला जाता है और इस वर्ष संवत 2078 रेवती नक्षत्र में आरम्भ होगा। सनातन धर्म में काल गणना का मापदंड मुख्य  रूप से विक्रम संवत ही माना जाता है और ये हिन्दु धर्म के अनुसार बहुत शूभ शुरूआत मानी जाती है। इस दिन अपने घरों को सजाने का और ध्वज लगाने का भी प्रचलन है। इस दिन दान का महत्व भी अधिक है, जरूरत मंद को भोजन व  अन्य सामग्री का दान विशेष रूप से  शूभ माना जाता है और गरीबों में जरूरत का सामान देना शूभ होता है ।

मै आचार्य वीना शर्मा प्रेसिडेंट, लक्ष्य ज्योतिष संसथान चण्डीगढ हिन्दु नव वर्ष विक्रम संवत 2078 की आप सभी के उज्जवल भविष्य और निरोगी व धनसंपदा से भरपूर होने की कामना करती हूँ।

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