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पोषण माह में चंडीगढ़ के क्रेचों के बच्चे पोषक भोजन से वंचित

चंडीगढ़ : आईसीसीडब्ल्यू यानी इंडियन कॉउन्सिल फॉर चाइल्ड वेलफेयर के स्थानीय अदारे में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। नीचे के स्टाफ ने बड़े अधिकारियों को पूरी तरह से गुमराह कर रखा हुआ है जिस कारण यहां व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। 

अभी कल से पूरे देश के साथ-साथ चंडीगढ़ में भी पोषण माह की शुरुआत धूमधाम से हुई है, परंतु अफसोस कि यहां के क्रेचोँ के बच्चे अरसे से पौष्टिक भोजन से वंचित हैं।
कोरोना काल के बाद हालात काफी हद तक सामान्य होने के बावजूद इस विभाग के अंतर्गत आते 52 क्रेचों के लगभग 12 सौ बच्चों को न तो डेली मिड डे मील नसीब हो रहा है और न ही अन्य आवश्यक सामान, जिसमें खिलौने, फर्नीचर व बेड शीट्स आदि (सालाना) व झाड़ू-पोंछा, फर्नैल आदि (मासिक) शामिल हैं। 
यहां ये भी उल्लेखनीय हैं कि इन सभी के लिए केंद्र से ग्रांट बराबर आ रही है, जैसे कि पोषण अभियान के अंतर्गत मिड डे मील के लिए 12/- रुपये प्रति बच्चा प्रतिदिन की ग्रांट तय है। मिड डे के बारे में फाइल कथित तौर पर बाल भवन के कर्मी के पास पिछले फ़रवरी से लंबित पड़ी हुई है। 

अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि हालात तब से ज्यादा बदतर होने लगे, जब यहां के ऑर्गैनाइजिंग सेक्रेटरी का सेवानिवृति के बाद मिला अतिरिक्त कार्यकाल भी इस वर्ष अप्रैल में ख़त्म हो गया। मई-जून में यहाँ छुट्टियां रहीं व जुलाई में ऑर्गैनाइजिंग सेक्रेटरी की पोस्ट भर तो दी गई, परन्तु  नई ऑर्गैनाइजिंग सेक्रेटरी ने भी एक महीने बाद अगस्त में ही एक महीने के नोटिस पर त्यागपत्र दे दिया। आज 2 सितम्बर को उसका यहाँ आखरी दिन था। उनके मुताबिक वे प्राइवेट सेक्टर से यहां आईं थीं, परंतु एडजस्ट नहीं कर पाईं।

ऑर्गैनाइजिंग सेक्रेटरी के नीचे सोशल ऑफिसर एक व दो होतें हैं। सोशल ऑफिसर (एक) को बीती जुलाई के शुरू में ही सोशल वेलफेयर विभाग की सचिव ने क्रेचों की साफ़-सफाई व मिड डे मील आदि के मसलों पर खड़े पैर सेवाओं से टर्मिनेट कर दिया। ये बात और है कि जिन आरोपों के चलते उसे निकला गया, वे कमियां आज लगभग दो महीने बाद भी वहीं की वहीं हैं। पूछा जा रहा है कि अब इन सब कमियों के लिए कौन जिम्मेदार है?

कुछ दिनों बाद विभाग ने सोशल ऑफिसर (दो) को सोशल ऑफिसर (एक) का भी चार्ज दे दिया परन्तु अब ये अधिकारी भी स्वास्थ्य समस्या के चलते एक महीने की छुट्टी पर चली गईं हैं। पता चला है कि फ़िलहाल अब एक क्रेच की बाल सेविका को शहर के सारे क्रेचों का अतिरिक्त कार्यभार दे दिया गया है। 

सूत्रों के मुताबिक बाल भवन में जहां ठेकेदार की जरिए पिछले दो-तीन वर्षों की दौरान अतिरिक्त स्टॉफ भर्ती कर लिया गया वहीं क्रेचों में कर्मियों की कमी चल रही है।

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