दिनांक 30 अप्रैल 2021 को प्रिंसिपल रमेश टाक ने प्रेस को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया की आज चंडीगढ़ दलित वेलफेयर एसोसिएशन की एक बैठक का आयोजन एसोसिएशन के प्रधान श्री भगत राज दिसावर की अध्यक्षता में किया गया
बैठक में चंडीगढ़ नगर निगम के 1 मई 2021 से सभी फील्ड वर्कर को घड़ी बांधने के लिए बाध्य करने के फैसले की कड़ी निंदा की गई और चंडीगढ़ के प्रशासक को पत्र लिखकर यह प्रस्ताव वापस लेने के लिए लिखा गया एसोसिएशन ने कहा यदि यह फैसला वापस नहीं लिया जाता तो एसोसिएशन सड़कों पर उतरेगी और इस मामले की शिकायत ह्यूमन राइट कमीशन को करेगी
यहां उल्लेखनीय है कि दर्जा चार के ज्यादातर कर्मचारियों में दलित लोग हैं और नगर निगम दलित विरोधी है जिस कारण यह फैसला इन पर थोपा जा रहा है और इन्हें बंधुआ मजदूर बनाया जा रहा है नगर निगम के इस घड़ी बांधने वाले फैसले में दो पक्ष थे एक पक्ष मैं पार्षद थे पार्षदों का मानना था की घड़ी बांधना जरूरी नहीं है लेकिन नगर निगम के अधिकारी घड़ी बंधवाने के लिए आतुर दिखाई दे रहे थे जबकि इन घड़ियों का सालाना किराया 2 करोड़ 1600000 रुपए कंपनी को दिया जा रहा है इसमें पूरी तरह से भ्रष्टाचार की बू आ रही है क्योंकि अधिकारी घड़ी बनवाने पर उतारू हैं इसका मतलब है के अधिकारियों को कंपनी की तरफ से जरूर कुछ ना कुछ मिल रहा है
प्रस्ताव में आगे कहा गया कि लायंस कंपनी में जो कर्मचारी काम करते हैं उनकी निगरानी मोबाइल के द्वारा की जाती है यदि LIONS कंपनी अपने कर्मचारियों की निगरानी फोन द्वारा कर सकती है तो नगर निगम ऐसा कर सकती इस मामले में नगर निगम LION कंपनी पर क्यों मेहरबान है और अपने कर्मचारियों को घड़ी बंधवाने के लिए क्यों आतुर है सबसे ज्यादा तनख्वाह इस कंपनी में ही दी जाती है और इस कंपनी में नगर निगम के अफसरों और पार्षदों के चहेतों को फ्री की तनख्वाह दी जाती है
यदि प्रस्ताव के अनुसार घड़ी पहनना जरूरी है और घड़ी पहनने से कर्मचारियों की सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता तो नगर निगम के सभी अधिकारीA से लेकर D तक तथा आउट सोर्स के सभी कर्मचारियों को घड़ी बांधना अनिवार्य करना चाहिए नहीं तो 3955 इंप्लाइज को भी यह घड़ी बांधना जरूरी नहीं होना चाहिए यदि जल्दी ही इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया तो हम संघर्ष करने पर मजबूर होंगे
No comments:
Post a Comment