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अपने चित्त को राम जी में लगाए रखने से ही प्रभु मिलन होता है : संत श्री रमेश भाई शुक्ला

चण्डीगढ़ :25,March,2023,: गुग्गा  मंदिर, सेक्टर 20 में चल रही राम कथा के चौथे दिन राम जन्मोत्सव की कथा सुनाते हुए लखनऊ से पधारे संत श्री रमेश भाई शुक्ला ने कहा कि सीता राम का विवाह शक्ति और भगवान का मिलन है। इस विवाह से पहले चार महत्वपूर्ण घटनाएं घटी हैं जिनमें पहली है तड़का का उद्धार। ताड़का दुराशा का प्रतीक है। परमात्मा को छोड़ कर दूसरों से की गईं आशाएं ही दुराशा है। इसका सम्बन्ध मन से है और इस पर विवेक से काबू करना होता है। दूसरी घटना अहिल्या का उद्धार है। अहिल्या बुद्धि है, इन्द्रियाँ ही इंद्र है व चन्द्रमा मन है। इन्द्रियाँ और मन मिलकर हमारी बुद्धि का पतन कर डालते हैं, तब राम के चरणों का स्पर्श पाकर हमारी बुद्धि चैतन्य होती है। तीसरे स्थान पर शिव धनुष भंजन वाली घटना आती है। शिव धनुष अहंकार का प्रतीक है, और ये गुरु कृपा से ही टूटता है। जब राम जी ने गुरु कृपा से ही अहंकार रुपी धनुष तोडा, तब ही सीता राम का विवाह संपन्न हुआ। चौथे क्रम पर विष्णु धनुष का भगवान श्री राम को मिलना है। भगवान परशुराम के पास विष्णु धनुष था जो वे शिव धनुष भंजन के बाद प्रभु राम के पास चला जाता है। यहां संत श्री रमेश भाई शुक्ला कहते हैं कि विष्णु धनुष चित्त का प्रतीक है। इसलिए अपने चित्त को राम जी में लगाए रखने से ही प्रभु मिलन होता है।

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