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भारतीय और अंतराष्ट्रीय शिक्षा तंत्र में अंतर के कारण विदेश में मनपसंद स्ट्रीम में दाखिला लेने से कई छात्र रह जाते है वंचित

चंडीगढ़, 13 अगस्त :भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के बीच की खाई को पाटने को लेकर यहां औद्योगिक क्षेत्र स्थित होटल हयात में एक एजुकेशनल टॉक का आयोजन किया गया। इस टॉक शो के दौरान प्रतिभाशाली और शैक्षिक विशेषज्ञों ने भारतीय और अंतराष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के बीच अंतर और विदेश जाकर पढ़ाई करने वाले छात्रों को पेश आने वाली समस्याओं तथा उनका विदेश जाने से पहले ही समाधान को लेकर चर्चा की गई। टॉक शो के दौरान विदेश जाने से पहले यहीं देश में ही अंतराष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के अनुरूप तैयार होने को लेकर उपलब्ध प्लेटफार्म के बारे में भी जानकारी दी गई। टॉक शो में मुख्य तौर पर वाटरलू विश्वविद्यालय कनाडा के अंतर्राष्ट्रीय विपणन और भर्ती विशेषज्ञ करुणा ओसमन ने वैश्विक शिक्षा और भारतीय शिक्षा प्रणाली में अंतर और भविष्य को लेकर जानकारी बांटी। उन्होंने कहा कि अंतराष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली की जरूरतों को लेकर जानकारी का आभाव होने के कारण कई छात्र अपनी मनपसंद स्ट्रीम में दाखिला लेने से वंचित रह जाते है। अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली को लेकर टचस्टोन एजुकेशनल की ओर से आयोजित इस टॉक शो में पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के प्रतिष्ठ निजी स्कूलों और यूनिवर्स्टियों के प्रिंसिपलों व प्रतिनिधियों को टीएसई (टैलेंटेड  स्कॉलैस्टिक एक्सपर्ट्स) की ओर से अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा को लेकर देश में ही उपलब्ध सुविधाओं से परिचित कराया। टॉक शो में टीएसई के सीईओ  आशुतोष आनंद ने कहा की सभी भारतीय छात्रों का विदेश में जाकर अपनी मन  पसंद स्ट्रीम में पढ़ाई करने का सपना होता है। मगर अधिकतर मामलों में देखा जाता है कि भारतीय और अंतराष्ट्रीय पढ़ाई की प्रणाली में अंतर होने के कारण छात्र अपनी मनपसंद स्ट्रीम में दाखिला लेने से वंचित रह जाते है। उन्होंने बताया कि टीएसई की टीम ने अकादमिक और प्रौद्योगिकी के माध्यम से भारतीय छात्रों को सशक्त बनाने के लिए सर्वोच्च कनाडाई पाठ्यक्रम 'ओएसएसडी' की यही देश में ही उपलब्ध करवाकर समग्र विकास की धारणा स्थापित की। उन्होंने इस टॉक शो में बताया कि 'ओएसएसडी' कनाडा में ओंटारियो शिक्षा मंत्रालय से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त क्रेडेंशियल है। इस पाठ्यक्रम को लगातार दुनिया की शीर्ष 5 शिक्षा प्रणालियों में से एक के रूप में स्थान दिया गया है। अब कोई भी विदेशी देश में यात्रा करने या बसने की परेशानी के बिना वैश्विक शैक्षणिक मानकों का अनुभव कर सकता है, क्योंकि टीएसई भारत में नामांकित छात्र कनाडा के ओंटारियो में स्कूल जाने वाले छात्र के समान लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने आगे बताया कि यह पहल दुनिया भर के छात्रों के लिए जीवन बदलने वाले सीखने के परिणाम तैयार करने  के साथ साथ उनका लक्ष्य वैश्विक शिक्षा के भविष्य को नया रूप देना है।
फोटो कैप्शन-  भारत और अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली को लेकर किये गए टॉक शो के दौरान हाज़र आयोजक और अन्य।

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