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कृष्णमय हुआ चंडीगढ़ शहर

चंडीगढ़, 19 अगस्त ( ): चंडीगढ़ के सेक्टर-36 स्थित इस्कॉन मंदिर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई गई, जिसमें हजारों की संख्या में भक्तों ने भगवान श्री कृष्ण जी के दर्शन किए व लड्डू गोपाल जी के झूले को झुलाया। इस अवसर पर मंदिर में बच्चों, बुजुर्गों व महिलाओं के लिए आयोजित अलग-अलग तरह के कार्यक्रमों में लोगों ने बढ़ चढक़र हिस्सा लिया। इस संबंधी जानकारी देते हुए मंदिर प्रवक्ता अकिंचन प्रियदास ने बताया कि मंदिर मेंं श्री लड्डू गोपाल और श्री राधामाधव का दिव्य झूला लोगों के लिए विशेष आकृष्ण का केंद्र बनना। इस शुभ अवसर पर, श्री श्री राधा माधव को एक शानदार नई वस्त्र (पारंपरिक पोशाक) से सजाया गया था और भक्तों ने भगवन की झलक पाकर आनंदित महसूस किया। इस मौके शहर की कई प्रमुख शख्सियतों ने मंदिर पहुंचकर भगवान कृष्ण जी के दर्शन किए। 

उन्होंने बताया कि इसके अलावा मंदिर को फूलों एवं फैंसी लाइटों से सजाया गया है। वहीं मंदिर मेंं श्रद्धालुओं के लिए पूरा दिन मंत्रमुगध करने वाला कीर्तन, श्री लड्डू गोपाल का 108 कलश अभिषेक, श्री राधामाधव की 108 प्रदीप आरती, श्री राधामाधव को 108 भोग अर्पण किए गए। इसके अलावा दूध, घी व विभिन्न प्रकार के फूलों के रस से श्री राधा माधव का शानदार महा अभिषेक हुआ। उन्होंने बताया कि जन्माष्टमी समारोह श्री-श्री राधा माधव की मंगला आरती के साथ शुरू हुआ, जो सुबह 4.30 बजे हुई, जिसके पश्चात तुलसी आरती, सेक्टर 36 में नगर कीर्तन, एवं इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस के संस्थापक आचार्य कृष्ण कृपा मूर्ति ए.सी. भक्ति वेदांत स्वामी प्रभुपाद की गुरु-पूजा हुई।
मंदिर प्रवक्ता अकिंचन प्रियदास ने बताया कि तकनीकी प्रगति से प्रभावित दुनिया में अपने बच्चों को वैदिक ज्ञान में परिपूर्ण अपने सांस्कृतिक से जुडऩे के लिए कई कल्चर प्रोग्राम आयोजित हुए। इस दौरान 120 स्कूली बच्चों द्वारा 12 लघूनाटक, नृत्य आदि सहित श्री कृष्ण जन्म की विभिन्न लीलाएं, नृत्य, गायन, छंदों और नाटकों के माध्यम से लोगों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रंग में मंत्रमुगध किया गया। बच्चों द्वारा पेश की श्री कृष्ण की उपस्थिति (जन्म) लीला, माखन चोरी लीला, पूतना का वध, रासलीला, गौचरनलीला (अपने दोस्तों के साथ गायों को चराना) तथा भगवद गीता से संस्कृत छंदों का पाठ की शानदार प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मंदिर प्रवक्ता अकिंचन प्रियदास ने बताया कि आज भारत और दुनिया भर में लाखों लोग भगवान श्री कृष्ण की महिमा के लिए प्रार्थना, पूजा और भक्ति गीत समर्पित करने के लिए इक_ा होते हैं। घटते चंद्रमा (रोहिणी नक्षत्र के तहत अष्टमी तिथि) के आठवें दिन की अर्ध रात्रि को ,भगवान के सर्वोच्च व्यक्तित्व, श्री कृष्ण के इस दुनिया में अवतरण को चिह्नित करने के लिए, श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है,जो कि उनका आविर्भाव दिवस कहलाता है। लगभग 5000 साल पहले, श्री कृष्ण भारत के उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र के रूप में प्रकट हुए थे। यह त्यौहार इस दुनिया में, उनके मूलरूप में द्विभुजा सुंदर ग्वाल बाल के रूप में स्वागत के आगमन के लिए मनाया जाता है। वे कृष्ण जिनकी त्वचा श्याम वर्ण की है, वे एक बांसुरी बजाते हैं और अपने सबसे अंतरंग और प्यार करने वाले भक्तों के साथ मनोरंजन का आनंद लेते हैं।

समारोह का समापन आधी रात को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के एक भव्य उत्सव में विस्तृत महाआरती के साथ हुआ, जिसे भक्तों द्वारा श्री गुर्वष्टकम गाते हुए किया गया।

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