3 जून 2022:चितकारा यूनिवर्सिटी ने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहयोग से आज अपने पंजाब कैम्पस में भविष्य के लिए पर्यावरण का संरक्षण विषय पर एक सेमिनार "फ्यूचर लाइज़ इन एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन" का सफल आयोजन किया।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के अध्यक्ष माननीय जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। सेमिनार में विभिन्न क्षेत्रों से गणमान्य लोगों की उपस्थिति देखने को मिली जिनमें एनजीटी मॉनिटरिंग कमेटी के चेयरमैन जस्टिस (सेवानिवृत्त) जसबीर सिंह , पर्यावरणविद और एनजीटी निरीक्षण समिति के सदस्य पद्म श्री संत बलबीर सिंह सीचेवाल जिन्होंने पंजाब में नदियों के प्रदूषण अभियान का नेतृत्व किया, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन प्रो (डॉ.) आदर्श पाल विग, डॉ बाबू राम , श्री एस.सी. अग्रवाल सदस्य कार्यकारी समिति, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, श्री उमेंद्र दत्त, संस्थापक सदस्य और कार्यकारी निदेशक, खेती विरासत मिशन, प्रो. वी.के गर्ग, डीन, पर्यावरण और पृथ्वी विज्ञान, सेंट्रल यूनिवर्सिटी पंजाब बठिंडा , डॉ. रवींद्र खैवाल, सामुदायिक चिकित्सा विभाग और सार्वजनिक स्वास्थ्य स्कूल, पीजीआईएमईआर, डॉ सुशील मित्तल, कुलपति, सरदार बेअंत सिंह स्टेट यूनिवर्सिटी गुरदासपुर पंजाब, करुणेश गर्ग, सदस्य सचिव, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वरिष्ठ पर्यावरण इंजीनियर परमजीत सिंह और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सदस्य शामिल थे।
इस विशेष सेमिनार में उद्योग जगत के प्रतिष्ठित प्रतिनिधियों की उपस्थिति भी देखी गई। सेमिनार का उद्देश्य युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा पारित विभिन्न कार्यों के बारे में जागरूक करना था। इस मौके पर डॉ. मधु चितकारा, प्रो-चांसलर, चितकारा यूनिवर्सिटी, पंजाब और डॉ. अर्चना मंत्री, वाइस-चांसलर, चितकारा यूनिवर्सिटी, पंजाब, सहित काफी संख्या में विद्यार्थी व स्टाफ के सदस्य भी मौजूद रहे ।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के अध्यक्ष माननीय जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हमें दूसरों पर निर्भर रहने के बजाय धरती को बचाने के लिए स्वयं आगे आना होगा, उन्होंने कहा कि पंजाब का भूजल लगातार गिर रहा है और अगले कुछ वर्षों में पीने के पानी की कमी हो जाएगी। उन्होंने सीचेवाल मॉडल का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर इस तरह के मॉडल बड़े पैमाने पर लगाए जाएं तो पानी को रिचार्ज कर खेती में इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के संस्थानों को आगे आना चाहिए और युवाओं की अधिकतम भागीदारी के साथ मॉडल को और विकसित करना चाहिए। अच्छे जल को अपशिष्ट जल में मिलने से रोकने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए। न केवल सरकार बल्कि सभी स्तरों पर नागरिकों को पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान देना चाहिए। सख्त कानूनों के साथ-साथ इसे प्रकृति के संरक्षण की नैतिक जिम्मेदारी के रूप में भी किया जाना चाहिए।
विशेषज्ञों द्वारा यह भी समझाया गया कि कैसे पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ करके हम अपने जंगलों और जल संसाधनों को नष्ट कर रहे हैं और यह मानव लालच पर्यावरण के क्षरण के लिए पूरी तरह जिम्मेदार है। अपने संबोधन के दौरान छात्रों को मिट्टी के कटाव के कारणों और विभिन्न फसलों के बारे में भी बताया गया जो पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकती हैं। इस मौके पर माननीय जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और अन्य सभी गणमान्य व्यक्तियों द्वारा पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट पर एक पुस्तक का भी विमोचन किया गया।
कार्यक्रम में चितकारा यूनिवर्सिटी, पंजाब कैम्पस को पर्यावरण संरक्षण के लिए इन-हाउस अनुपालन के उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रशंसा प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया है। चितकारा यूनिवर्सिटी पर्यावरण संरक्षण में शुरुआत से ही अग्रणी रहा है और युनिवर्सिटी कैम्पस में सौर ऊर्जा उत्पादन और वाटर रीसाइक्लिंग का अनुपालन किया जाता है।
हरियाली के संदेश को फैलाते हुए सभी गणमान्य अतिथियों ने वृक्षारोपण अभियान में भाग लिया और पौधे लगाये जो कि आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण बनेगा।
संगोष्ठी का समापन माननीय डॉ. मधु चितकारा, प्रो-चांसलर, चितकारा विश्वविद्यालय, पंजाब द्वारा दिए गए धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।
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